स्पैम कॉल रोकने के लिए भारत सरकार का तगड़ा सिस्टम, साइबर ठगी पर लगेगी लगाम!

Updated on 27-Oct-2024

Spam Calls से ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं. स्पैम कॉल से ही कई बार लोगों को फाइनेंशियल नुकसान भी पहुंचाया जाता है. अब भारत सरकार ने इसको लेकर एक नया स्पैम-ट्रैकिंग सिस्टम शुरू किया है. इससे यूजर्स को काफी राहत मिलने वाली है. चलिए आपको इसके बारे में डिटेल्स में बताते हैं.

भारत सरकार का नया स्पैम-ट्रैकिंग सिस्टम उन इंटरनेशनल कॉल्स को ब्लॉक करेगा जो गलत तरीके से भारतीय कॉल की तरह दिखते हैं. सिस्टम के लाइव होने के बाद केवल 24 घंटे में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने स्पूफ करके आने वाले अंतर्राष्ट्रीय कॉल में से लगभग 1.35 करोड़ या 90% को ब्लॉक कर दिया. इस वजह से ऐसी कॉल्स भारतीय यूजर्स तक नहीं पहुंच पाई.

International Incoming Spoofed Calls Prevention System को टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हरी झंडी दिखाई. उन्होंने इसे स्पैम कॉल और साइबर अपराध को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया. यह सिस्टम वैसी फर्जी कॉलों की संख्या को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है जो शुरू में +91 (भारत) दिखाते हैं, लेकिन वे कॉल्स विदेश से किए जाते हैं. साइबर अपराधी कॉलिंग लाइन आईडी (CLI) में हेरफेर करके भारतीय मोबाइल नंबरों की तरह दिखने वाले इंटरनेशनल कॉल का इस्तेमाल करते हैं.

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ऐसे करते हैं साइबर ठगी

इन कॉल्स के जरिए साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है. इसके अलावा ये कॉल्स कर स्कैमर अपने आपको सरकारी अधिकारी दिखाता है. इसके जरिए मोबाइल फोन नंबर बंद करने की धमकी दी जाती है. इसके अलावा फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी की भी बात कही जाती है. कई बार पीड़ित पर नशीले पदार्थों या सेक्स रैकेट से जुड़े फर्जी आरोप भी लगा दिये जाते हैं.

सिस्टम कैसे काम करता है?

दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के सहयोग से इन स्पूफ़ कॉल का पता लगाने और ब्लॉक करने के लिए यह एडवांस सिस्टम तैयार किया है. भारतीय दूरसंचार सब्सक्राइबर्स को ऐसी कॉलों में काफी कमी आने की उम्मीद है, जो अक्सर +91 कोड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन विदेशों से जनरेट किए जाते हैं.

हालांकि, इसके बाद भी साइबर ठग सिस्टम को बायपास करने के तरीके खोज सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप इसकी रिपोर्ट संचार साथी पोर्टल पर Chakshu सुविधा के जरिए रिपोर्ट कर सकते हैं.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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