मुकेश अंबानी के स्वामित्व में Reliance Jio को महत्वपूर्ण लैंडिंग अधिकार और मार्केट एक्सेस ऑथोराइज़ेशन हासिल करना है जो उसे ‘इंडियन नेशनल प्रमोशन एंड ऑथोराइज़ेशन सेंटर (IN-SPACe)” से मिलेगा। ये पर्मिशन्स टेलिकॉम कंपनी के लिए इसलिए जरूरी हैं क्योंकि यह भारत में अपनी सैटेलाइट-आधारित गीगाबाइट फाइबर सर्विस पेश करने वाली है।
जियो ने स्पेस इंडस्ट्री के लिए IN-SPACe को सभी जरूरी कागज़ात जमा करवा दिए हैं, साथ ही ऑथोराइज़ेशन भी जल्द ही होने की उम्मीद है। ये पर्मिशन्स ग्लोबल सैटेलाइट बैंडविड्थ कैपसिटी को भारत में लाने के लिए महत्वपूर्ण है।
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IN-SPACe ऑथोराइज़ेशन प्रोसेस के लिए कई मंत्रालयों की सहमति जरूरी होती है। पिछले साल जियो प्लेटफॉर्म्स ने Luxembourg-आधारित सैटेलाइट कम्यूनिकेशन प्लेयर्स SES के साथ सहयोग किया था, जिससे सैटेलाइट्स के जरिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 51:49 जॉइन्ट वेंचर बने।
हालांकि, जियो के सैटेलाइट आर्म को GMPCS (ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्यूनिकेशन्स बाय सैटेलाइट सर्विसेज़) लाइसेंस मिल चुका है, लेकिन IN-SPACe से सहमति मिलना अभी बाकी है।
वर्तमान में भारती का Eutelsat OneWeb एकमात्र ग्लोबल सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन ऑपरेटर है जिसे IN-SPACe की ओर से महत्वपूर्ण सहमति मिल चुकी है। Eutelsat OneWeb और Jio-SES दोनों मिलकर भारत की तेजी से बढ़ रही सैटकॉम मार्केट में सबसे पहले फायदे उठाने के लिए Starlink, Amazon और Tatas जैसे तगड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
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IN-SPACe के हालिया अनुमान के अनुसार भारत की स्पेस ईकोनॉमी 2033 तक संभावित तौर पर $44 तक पहुँच जाएगी जिससे इसका वर्तमान 2% ग्लोबल शेयर बढ़कर लगभग 8% हो जाएगा। सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट पृथ्वी के चक्कर लगाने वाले छोटे सैटेलाइट्स के कॉन्स्टेलेशन के जरिए काम करता है जिससे इंटरनेट एक्सेस मिलता है।