Jio, Airtel और Vi ने TRAI पर बनाया दबाव! WhatsApp, Telegram और अन्य मेसेजिंग ऐप्स के लिए बनेंगे नए नियम

Updated on 12-Aug-2024
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Jio, Airtel और Vi ने TRAI से WhatsApp, Google के RCS जैसे मेसेजिंग ऐप्स के लिए नए नियम बनाने का आग्रह किया है।

उनका यह कहना है कि ये ऐप्स वही समान सेवाएं प्रदान करते हैं जो मोबाइल फोन ऑपरेटर्स ऑफर करते हैं।

टेल्को का कहना है कि यह लाइसेन्सिंग व्यवस्था में 1994 से 30 सालों में पहला महत्वपूर्ण बदलाव है।

Reliance Jio, Bharti Airtel और Vodafone Idea ने टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) से WhatsApp, Google के RCS और Telegram जैसे मेसेजिंग ऐप्स के लिए नए नियम बनाने का आग्रह किया है। Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने TRAI से इन OTT (ओवर-द-टॉप) कम्यूनिकेशन ऐप्स के लिए अनुमति या लाइसेंस बनाने के लिए कहा है। उनका यह कहना है कि ये ऐप्स वही समान सेवाएं प्रदान करते हैं जो मोबाइल फोन ऑपरेटर्स ऑफर करते हैं।

OTT प्लेयर्स का मतलब उन ऐप्स और सेवाओं से है जो इंटरनेट पर काम करती हैं।

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Jio, Airtel और Vi ऐसा क्यों कर रहे हैं?

TRAI की विस्तृत सूचना के जवाब में एयरटेल ने कहा, “OTT सेवाएं और ऐप्लिकेशंस काफी फल-फूल गई हैं, जो किसी भी तरह की रेगुलेटरी बाधाओं और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी वाले इंटरनेट के जरिए ग्लोबल दर्शकों को इंस्टेंट एक्सेस की अनुपस्थिति को सक्षम बनाती है।”

किसी भी विशेष ऐप का नाम लिए बिना इसने कहा कि OTT प्लेयर्स टेक्स्ट और वॉइस सेवाओं के विकल्प बन गए हैं।

वहीं दूसरी ओर, OTT ऐप्स इस दावे का विरोध करते हुए कहते हैं कि वे सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम के तहत पहले से ही रेगुलेटेड हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भी मौजूदा टेलिकॉम लाइंसेन्सिंग व्यवस्था को बदलने और यूनिफाइड सर्विसेज़ ऑथोराइज़ेशन (नेशनल) नाम के पैन-इंडिया सिंगल लाइसेन्स लाने के TRAI के प्रस्ताव का समर्थन किया है।

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टेल्को का कहना है कि सिंगल पैन-इंडिया ऑथोराइज़ेशन का प्रस्ताव लाइसेन्सिंग व्यवस्था में 1994 से 30 सालों में पहला महत्वपूर्ण बदलाव है। उन्होंने कहा कि यह व्यापार करने को आसान बनाएगा, नियमों को सरल बनाएगा, लागतों को कम करेगा और भी बहुत कुछ।

हालांकि, उन्होंने सावधान किया है कि नई व्यवस्था टेलिकॉम क्षेत्र के मौजूदा संरचनात्मक कोर के लिए बाधा नहीं बननी चाहिए और साथ ही यह भी कहा कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) को लीज़्ड लाइन्स/VPNs प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

Faiza Parveen

फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं।

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