पार्लियामेंट्री पैनल ने BSNL और MTNL के विलय के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि दोनों के विलय से प्राइवेट सेक्टर से कॉम्पटिशन के लिए अच्छा रहेगा. साथ ही यह विलय दोनों टेलीकॉम कंपनियों के लिए लॉन्ग रन में बेहतर विकल्प है. इस पार्लियामेंट्री पैनल की अध्यक्षता बीजेपी सांसद अरविंद सावंत कर रहे थे.
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DOT) ने कहा कि दोनों पब्लिक सेक्टर फर्म आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रही हैं और अब दोनों पब्लिक सेक्टर यूनिट्स अपने वायरलेस और वायरलाइन नेटवर्क को आधुनिक करने के लिए कदम उठा रही हैं.
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BSNL और MTNL को मर्ज करने का प्रस्ताव सालों पहले उस वक्त के टेलीकॉम मिनिस्टर प्रमोद महाजन ने पेश किया था. टेलीकम्यूनिकेशन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक MTNL इस वक्त आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. इस वजह से स्टाफिंग और सैलरी मेनेजमेंट में कई समस्याएं आ रही हैं.
इस संबंध में पिछले साल नवंबर में दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने राज्य सभा में लिखित जवाब में कहा था कि MTNL भारी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है और अपनी रोज की जरूरतें पूरी करने के लिए उसे आर्थिक मदद लेनी पड़ रही है.
MTNL का आर्थिक घाटा 819.96 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है जो साल 2016 की अंतिम तिमाही में कमाए गए राजस्व से ज्यादा है. 2016 की अंतिम तिमाही में 31 दिसंबर तक MTNL ने 690 करोड़ रुपए कमाए थे जबकि इसक नेट लॉस 819 करोड़ रुपए है. 31 दिसंबर 2016 तक MTNL 19,418 करोड़ रुपए के कर्ज में हैं. साल 2012-13 में यह कर्ज 11,542 करोड़ था.
वहीं BSNL के आर्थिक घाटे में कमी आई है. BSNL का आर्थिक घाटा 6,121 करोड़ से 4,890 करोड़ हो गया है. इसकी इनकम में 5.8 फीसदी की वृद्धि हुई है. TRAI के मुताबिक BSNL और MTNL बिलियन वायरलेस सब्सक्राइबर मार्केट में 9 फीसदी हिस्सेदारी है. देश में 1.2 बिलियन वायरलेस सब्सक्राइबर हैं.
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