धरती पर डायनासोर के नष्ट होने का कारण एस्टेरॉयड को माना जाता है. लगभग 66 मिलियन साल पहले एस्टेरॉयड के धरती पर गिरने से डायनासोर इस ग्रह से हमेशा के लिए खत्म हो गए. लेकिन, अगर कोई ऐसा एस्टेरॉयड आज गिरे तो क्या हम सब खत्म हो जाएंगे?
नहीं, ऐसा नहीं होगा. नासा ने इस बात की पुष्टि की है. NASA ने बताया कि “ग्रह नष्ट करने वाले” एस्टेरॉयड के विनाश को रोकने के लिए उनके पास पूरी प्लानिंग है. हाल ही में निकट-पृथ्वी वस्तुओं (NEOs) और खतरों के लिए राष्ट्रीय तैयारी रणनीति और कार्य योजना में खतरनाक NEOs से निपटने के लिए प्लान बताया गया है.
आपको बता दें कि फिलहाल कोई आपातकालीन खतरा नहीं है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि NASA इसकी तैयारी नहीं करेगा. NASA आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयारी कर रहा है. इसके लिए एक प्रयास 1,000 अंतरिक्ष यान जो कक्षा में तैनात हैं, पृथ्वी की ओर बढ़ते बड़े क्षुद्रग्रह को रोकने और उसका दिशा बदल सकने की काबिलियत रखते हैं. इसके लिए बस नासा को लॉन्च बटन दबाना है.
अगर क्षुद्रग्रह या एस्टेरॉयड को समय से पहले रास्ते से नहीं हटाया जा सका तो अंतिम उपाया नासा के पास न्यूक्लियर एक्शन है. आपको 1998 की फिल्म “आर्मागेडन” याद हो तो उसमें भी कुछ इस तरीके से ही एस्ट्रेरॉयड से निपटा गया था. इसमें विशाल एस्ट्रेरॉयड को परमाणु डिवाइस का इस्तेमाल करके नष्ट कर दिया जाएगा या उसका रास्ता बदल दिया जाएगा. इससे पृथ्वी को बड़ी विपत्ति से बचाया जा सकेगा.
हालांकि, ये प्लान एस्ट्रेरॉयड टकराव के गंभीर रिजल्ट को भी दर्शाते हैं. जिसकी वजह से नासा को ऐसी इमरजेंसी वाली योजाना बनानी पड़ी. तमाम योजानाओं के बाद भी अगर ऐसे ऐस्ट्रॉयड धरती से टकराते हैं तो बहुत ज्यादा गर्मी उत्पन्न होगी. इससे वस्तुएं लिक्विड स्टेज में पहुंच जाएगी. इसके बाद धूल के बादल सनलाइट को डिस्टर्ब करेंगे जो ठंड का कारण बनेंगे. इससे बड़े पैमाने पर जीवों के विलुप्त होने की घटनाएँ होंगी. इस वजह से नासा इसके लिए पहले से बड़े पैमाने पर तैयारी कर रहा है.
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