भारत के टेलिकॉम दिग्गजों, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के बीच जंग में, दोनों कंपनियां डायरेक्ट-टू-होम (DTH) ऑपरेटरों के लिए लाइसेंस शुल्क के भविष्य को लेकर आपस में टकरा रही हैं। यह बहस 2023 के दूरसंचार अधिनियम के तहत प्रसारण सेवाओं के भविष्य पर चल रही चर्चा का ही हिस्सा है। जहां रिलायंस जियो लाइसेंस फीस बनाए रखना चाहती है, वहीं एयरटेल इसके हटाने की मांग कर रही है। आपको जानकारी के लिए बता देते है कि टाटा प्ले, जो पारंपरिक रूप से एयरटेल के प्रतिद्वंद्वी के रूप में जानी जाती है, एयरटेल के इस शुल्क को वाली बात का समर्थन कर रही है जिससे इस मुद्दे ने एक नया ही तूल पकड़ लिया है।
एयरटेल, टाटा प्ले के साथ मिलकर DTH लाइसेंस शुल्क को पूरी तरह से खत्म करने की सिफारिश कर रही है, उनका कहना है कि DTH ऑपरेटरों को अन्य टीवी वितरण प्लेटफॉर्म्स, जैसे कि केबल और IPTV, के समान माना जाना चाहिए, जिन्हें इस प्रकार के शुल्क आदि को नहीं देना होता है। एयरटेल का प्रस्ताव यह भी कहता है कि DTH ऑपरेटरों द्वारा चुकाए गए लाइसेंस शुल्क को प्रसारकों से लिया जाना चाहिए, जो कॉन्टेन्ट से होने वाले पैसों का लाभ लेते हैं।
इसके अलावा, टाटा प्ले ने क्रॉस-मीडिया प्रतिबंधों को समाप्त करने की भी मांग की है, जो प्रसारकों को वितरण कंपनियों में 20% से अधिक हिस्सेदारी रखने से रोकते हैं—इससे एयरटेल और टाटा प्ले के बीच संभावित विलय को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। अब देखना होगा कि क्या यह दो अलग अलग कंपनी आने वाले समय में एक बनती हैं कि नहीं।
दूसरी ओर, रिलायंस जियो ने लाइसेंस शुल्क खत्म करने के विरोध में मजबूत रुख अपनाया है, कंपनी का कहना है कि DTH सेवाओं को वैसे भी फ्री स्पेक्ट्रम आवंटन के कारण बड़ी बढ़त मिलती है। जियो के अनुसार, सस्ता स्पेक्ट्रम आवंटन DTH ऑपरेटरों को केबल टीवी और IPTV प्रदाताओं के मुकाबले बढ़त देता है, क्योंकि बाद में इन्हें बुनियादी ढांचे के लिए लाखों खर्च करने होते हैं। जियो का कहना है कि लाइसेंस शुल्क की छूट देने से गंभीर नकारात्मक विकृति उत्पन्न होगी, जिससे सरकार को भारी नुकसान होगा। अब देखना होगा कि आखिर सरकार इस मामले में कौन सा कदम उठाती है।
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