कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से आ रहिया खबरों से बता चला है कि, अब भारत में माइक्रोसॉफ्ट मोबाइल फ़ोन्स बना सकता है, क्योंकि सरकार ने मोबाइल आयात को महँगा कर दिया है.
माइक्रोसॉफ्ट के कॉर्पोरेट वाईस-प्रेसिडेंट माइक्रोसॉफ्ट मोबाइल डिवाइस क्रिस वेबर ने कहा, कि माइक्रोसॉफ्ट भारत में प्रतिस्पर्धा को और बढ़ाना चाहता है. और कम्पनी देश में आने वाले समय में 4G और 3G फ़ोन के दामों में कमी करने की योजना बना रही है. उन्होंने आगे कहा कि माइक्रोसॉफ्ट इसी साल एक प्रीमियम स्मार्टफ़ोन लॉन्च करने पर विचार कर रही है, विंडोज 10 के साथ, और भारत जहां स्मार्टफ़ोन का उभरता बाज़ार मौजूद है. इस स्मार्टफ़ोन के लाने के सबसे पहली पसंद हमारी यही है.”
वेबर ने आगे कहा, “हमने इसका मूल्यांकन किया है कि हम अभी भारत में कहाँ है, कहाँ तक हम यहाँ ठहरते है. यहाँ कुछ नए टैक्स और नियम लागू कर दिए गए हैं. और हमने यहाँ पाया है कि यहाँ प्रतिस्पर्धा काफी ज्यादा है.” “और इसके बाद हम पूरी दुनिया का भी मूल्यांकन करने वाले हैं, भारत के साथ, इस योजना में किसी भी तरह का विस्तार किये बिना.”
यूएस की कंपनी ने हाल ही में नोकिया स्टोर्स की री-ब्रांडिंग आरम्भ कि है और यह कम्पनी के एकीकरण लगभग 7.2 बिलियन डॉलर की डील के बाद से हुआ है. माइक्रोसॉफ्ट चेन्नई में नोकिया के फ़ोन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को बड़े टैक्स भुगतान के कारण नहीं खरीद पाई और यह अब तक नहीं हो पाया है.
वेबर जो कि गुडगाँव में अपने पहले री-ब्रांड के स्टोर के लॉन्च के समय मजूद थे ने कहा, “हम लगभग 16,000 स्टोर पूरी दुनिया में खोलेंगे और लगभग 9,000 केवल भारत में होंगे. हम बाकी बाज़ारों के अलावा भारतीय बाज़ार में री-ब्रांडिंग के लिए ज्यादा निवेश कर रहे हैं.”
भारतीय सरकार ने मोबाइल फ़ोन कर अपने टैक्स और नियमों में बढ़ोत्तरी कर दी है. ताकि लोकल मैन्युफैक्चरर्स को फायदा मिल सके. भारत में घरेलु कंपनी जैसे माइक्रोमैक्स, लावा और कार्बन और इसके साथ ही विदेशी कंपनी जैसे सैमसंग, श्याओमी और आसुस इस और अपना ध्यान ज्यादा बढ़ा रहे हैं. और ज्यादा से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स बनाने पर अपना ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.
सोर्स: टाइम्स ऑफ़ इंडिया