माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, इस तकनीक का इस्तेमाल बाल शोषण तस्वीरों को पहचानने में मदद मिलती है। हालांकि, सभी उपयोगकर्ताओं को निगरानी में रखने के लिए इसका उपयोग करना 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। लेकिन यह तकनीक है क्या?
फोटोDNA तकनीक को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा तैयार किया गया है, जो तस्वीरों, विडियो और ऑडियो फाइल्स को कम्प्यूट कर के समान तस्वीरों को पहचानेगा। इस तकनीक का उपयोग खासतौर से चाइल्ड पोर्नोग्राफी को वेब पर उपलोड करने से रोकने में मदद करेगा और इसके उपयोग के लिए कोई चार्ज नहीं देना होता है। कम्पनी सभी देशों में इस सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं कर सकी है। यह सॉफ्टवेयर किसी भी तस्वीर का एक युनीक डिजिटल सिग्नेचर बनाता है और फिर इसे अन्य तस्वीरों के साथ तुलना कर के ऐसी समान तस्वीर को ढूंढता है।
यह योग्य संगठनों को मुफ्त क्लाउड सेवा के रूप में उपलब्ध कराया गया था। इसका उपयोग गूगल, ट्विटर, फेसबुक और एडोब सिस्टम्स के द्वारा किया जाता है। माइक्रोसॉफ्ट ने इस तकनीक को प्रोजेक्ट विक में भी दान किया, जिसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइड चिल्ड्रन(ICMEC)द्वारा प्रबंधित और समर्थित किया गया है।
यूरोप के कई देश रेगुलर इन्वेस्टीगेशन जांच के लिए इस तकनीक के इस्तेमाल पर बहस कर रहे हैं। यूरोपीय संघ के यूरोपीय गोपनीयता नियम इस सॉफ्टवेयर का उपयोग करने वाले सोशल मीडिया कंपनियों पर पूर्ण प्रतिबंध चाहते हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन होगा जो एक विशेष उद्देश्य के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी को अनिवार्य करते हैं।
CBI ने यह खुलासा नहीं किया है कि PhotoDNA का उपयोग करने का अर्थ क्या है, लेकिन इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन के अपार गुप्ता इसे 'निगरानी और सेंसरशिप की ढाल’ कहते हैं।
"उन्होंने IE के माध्यम से यह भी कहा कि, “अगर कोई पुलिस या जांच एजेंसी PhotoDNA का उपयोग एक सामान्य अपराध जांच के लिए कर रही है, तो यह इस तकनीक के उद्देश्य का बड़े पैमाने पर उल्लंघन है, जो कि केवल बाल यौन शोषण मामलों की जाँच के लिए है।"