क्या होता है डिजिटल अरेस्ट स्कैम? इसे कैसे पहचाने और बैंक अकाउंट खाली होने से रोके, सम्पूर्ण जानकारी

Updated on 01-Aug-2024
HIGHLIGHTS

भारत में डिजिटल स्पेस बड़ी तेजी से नए नए आयाम छू रहा है, ऐसा भी कह सकते है कि बड़े पैमाने पर इसका विकास हो रहा है।

डिजिटल अरेस्ट घोटाले में वास्तव में क्या होता है? या ये क्या है? आइए जानते हैं।

इसे "पार्सल घोटाले" के रूप में भी जाना जाता है।

भारत में डिजिटल स्पेस बड़ी तेजी से नए नए आयाम छू रहा है, ऐसा भी कह सकते है कि बड़े पैमाने पर इसका विकास हो रहा है। भारत में लोग इस समय शॉपिंग और बैंकिंग से लेकर ट्रैवल और UPI तक, इंटरनेट पर बड़े पैमाने पर निर्भर होते जा रहे हैं। हालाँकि, इस निर्भरता के साथ ही डिजिटल स्पेस में घोटाले जैसे खतरे भी मंडरा रहे हैं, इसे ऐसे भी देख सकते है कि डिजिटल युग में जहां हम तरक्की कर रहे हैं, वहीं इससे जुड़े घोटाले भी बड़े पैमाने पर बढ़ रहे हैं। हम देख रहे है कि पिछले कुछ समय से ऑनलाइन घोटालों में तेज़ी से वृद्धि हुई है, ऐसे में साइबर अपराधी लगातार वित्तीय लाभ के लिए तकनीक का फ़ायदा उठाने के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट स्कैम?

डिजिटल अरेस्ट घोटाले में वास्तव में क्या होता है? या ये क्या है? आइए जानते हैं। असल में इसे “पार्सल घोटाले” के रूप में भी जाना जाता है, ऐसे घोटाले के मामलों में, धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों या नियामक अधिकारियों का भेष बनाकर फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से अलग अलग लोगों से संपर्क करते हैं। वे दावा करते हैं कि पीड़ित गंभीर अपराधों के लिए जांच के दायरे में है। इसके अलावा वह अक्सर आरोप भी लगाते हैं कि अवैध वस्तुओं से भरा एक संदिग्ध पार्सल प्राप्त हुआ है, जिसमें उनका नाम शामिल है। इसी को इन दिनों डिजिटल अरेस्ट स्कैम कहा जाने लगा है।

अपने दावों में प्रामाणिकता जोड़ने के लिए, घोटालेबाज नकली पहचान, बैज या रेफ्रेंस संख्या प्रदान कर सकते हैं, और यहां तक कि आधिकारिक सोर्स आदि जैसा लगने वाला नकली फ़ोन नंबर का भी उपयोग कर सकते हैं। वे दावा करते हैं कि पीड़ित जुर्माना भरकर या जमा करके गिरफ्तारी या अन्य कानूनी परिणामों से बच सकता है। पीड़ित को अक्सर “इंवेस्टिगेशन फीस” या “जमानत” की आड़ में पैसों को एक स्पेसिफिक अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है, ऐसा करते ही पीड़ित को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचता है। पिछले कुछ समय में कई बड़े मामले भी डिजिटल अरेस्ट स्कैम को लेकर सामने आए हैं। हम आपको कुछ मामलों के बारे में नीचे बताने वाले हैं।

बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं Digital Arrest Scam के मामले

ऐसा ही एक घोटाला जो तेज़ी से फैल रहा है, यह “डिजिटल अरेस्ट घोटाला (डिजिटल अरेस्ट स्कैम) है।” डिजिटल अरेस्ट घोटाले के हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामलों में से एक में, नोएडा में एक 40 वर्षीय डॉक्टर ने साइबर अपराधियों के हाथों 59.54 लाख रुपये गंवा दिए। अपराधियों ने टेलीकॉम अधिकारी बनकर पीड़िता को फ़ोन किया और कहा कि उसका नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में शामिल है। बाद में, फ़ोन को मुंबई के तिलक नगर पुलिस स्टेशन के एक कथित पुलिस अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया गया। “अधिकारी” ने पीड़िता को बताया कि उसके खिलाफ़ अश्लील वीडियो शेयर करने के लिए एक एफ़आईआर दर्ज की गई है और गिरफ़्तारी वारंट जारी किया गया है।

अपराधियों ने यह भी दावा किया कि उनका नाम जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा हुआ है और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाया गया है। इन धमकियों के बाद, पीड़िता को डिजिटल गिरफ्तारी पर रखा गया, इसके बाद घोटालेबाजों ने उससे उसकी डिटेल्स भी प्राप्त कर ली और 15-16 जुलाई के बीच उसके बैंक खाते से पैसे निकाल लिए।

हैदराबाद से भी सामने आया एक नया मामला

एक अन्य मामले में, हैदराबाद के एक निवासी ने एक फर्जी अधिकारी से इसी तरह का कॉल प्राप्त करने के बाद 20 दिनों में 1.2 करोड़ रुपये खो दिए, जिसने उसे सूचित किया कि उसका नाम ड्रग तस्करी से जुड़ा हुआ है। फर्जी पुलिस अधिकारी ने पीड़ित को बिना किसी गलती के अपने निजी डिटेल्स शेयर करने का निर्देश दिया और उसे 24/7 ऑनलाइन रहने के लिए कहा। इसे एक गंभीर मामला मानते हुए, पीड़ित ने निर्देशों का पालन किया लेकिन अपने पैसे गंवा दिए।

  • इनके अलावा भी देश में बहुत से ऐसे मामले हैं, जो अगर यहाँ बताने लगे तो यह लेख छोटा पड़ जाने वाला है।
  • इन घोटालों में आए दिन आम जनता अपने पैसों को खो रही है।
  • इसी कारण आपको ऑनलाइन ज्यादा सतर्क और जागरूक होने की जरूरत है।
  • अगर आप सतर्क और जागरूक रहते हैं तो आप इन या ऐसे घोटालों से अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम की पहचान कैसे करें?

अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो आपको आने वाले समय में बेहद ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। हालांकि, अगर आप अपने आप को किसी भी ऐसे स्कैम से सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको इन सभी केसों को ध्यान में रखकर ही किसी भी कॉल या मैसेज को पहचानना होगा। अगर आपको भी पार्सल आदि को लेकर ऐसा कोई कॉल आता है, तो आपको क्या करना आप भली भांति जानते हैं। इस कॉल का आपको कोई जवाब नहीं देना है। जरूरत पड़ने पर आपको साइबर अपराध शाखा में इसकी शिकायत करनी है। आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन से भी संपर्क कर सकते हैं।

आपको सतर्कता ही आपको सुरक्षित रख सकती है, कैसे कि मैंने शुरुआत में ही कहा था कि इस समय हम डिजिटल युग में तो रह रहे हैं लेकिन इस डिजिटल युग में हम अपराधियों के बीच में जी रहे हैं। हमें किसी भी तरह के स्कैम में फंसा कर लूटा जा सकता है। इसी कारण आपको कॉल पर किसी भी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए, फिर वह आपके किसी जानने वाले की ही आवाज क्यों न हो। किसी अन्य के द्वारा आपके किसी करीबी की आवाज को इस्तेमाल करके भी आपको लूटा जा सकता है। इसी कारण मैं फिर से कह रहा हूँ को आपको इन केसों को पढ़कर ज्यादा से ज्यादा सतर्क हो जाने की जरूरत है।

अश्वनी कुमार

अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी में पिछले 7 सालों से काम कर रहे हैं! वर्तमान में अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी के साथ सहायक-संपादक के तौर पर काम कर रहे हैं।

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