भारत में Cyber Financial Fraud एक गंभीर मुद्दा बन गया है जो लोगों को भारी खतरे में डाल रहा है। डिजिटल लेनदेन में तेजी से हो रहे विकास के साथ धोखाधड़ी करने वालों ने फाइनेंशियल सिस्टम में कमजोरियों का फायदा उठाने के तगड़े तरीके ईजाद कर लिए हैं। नीचे 5 तरह के साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड्स के बारे में बताया गया है जिनसे आपको सावधान रहना चाहिए।
फिशिंग सबसे अधिक चलने वाले साइबर फ्रॉड्स में से एक है। इसमें धोखेबाजों द्वारा लोगों को सेंसिटिव जानकारी जैसे लॉग-इन क्रेडेन्शियल्स या फाइनेंशियल डिटेल्स निकलवाने के लिए झांसे में लिया जाता है।
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धोखेबाज अक्सर ईमेल्स, मेसेजेस या वेबसाइट्स के जरिए वैध इकाई बनने का दिखावा करके पीड़ितों को उनके निजी डेटा का खुलासा करने के लिए बढ़ावा देते हैं। भारत में बैंक ग्राहकों या ऑनलाइन भुगतान करने वाले यूजर्स को निशाना बनाने वाले फिशिंग स्कैम लगातार खतरा बने हुए हैं।
साइबर अपराधी दूसरे व्यक्तियों की नकल करके घोटाले करने के लिए उनकी निजी जानकारी जैसे आधार डिटेल्स, पैन कार्ड या बैंकिंग डिटेल्स को चुराते हैं। वे इस चोरी की हुई पहचान का इस्तेमाल फ्रॉड अकाउंट खोलने, लोन लेने या अवैध लेनदेन के लिए करते हैं जिससे पीड़ितों को भारी फाइनेंशियल नुकसान होता है।
साइबर अपराधी कार्ड्स की जानकारी और PINs को कैप्चर करने के लिए ATMs से स्किमिंग डिवाइसेज़ को अटैच कर देते हैं। इन डिवाइसेज़ को इस तरह बनाया जाता है कि ये दिखने में मशीन का ही एक हिस्सा लगते हैं ताकि यूजर्स उन्हें आसानी से न पकड़ पाएं। कार्ड्स की डिटेल्स हासिल करने के बाद धोखेबाज उसे क्लोन करते हैं और अवैध लेनदेन करते हैं जिसके नतीजे में अकाउंट होल्डर को पैसों का तगड़ा नुकसान होता है।
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संगठनों को रैन्समवेर अटैक्स का निशाना बनाया जा सकता है जहां मैलिशियस सॉफ्टवेयर गंभीर डेटा को इंक्रिप्ट करते हैं। अटैकर्स जानकारी को डिस्क्रिप्ट करने के लिए भारी फिरौती की मांग करते हैं और जो संगठन इन अटैक्स का शिकार बनते हैं उनके लिए फाइनेंशियल उथल-पुथल मचा देते हैं।
अक्सर धोखेबाज पीड़ितों को हाई-रिटर्न का वादा करके या निवेश के अवसर का झूठा लालच देकर जाल में फँसाते हैं। इन घोटालों के लालच में आकार पीड़ित अपना पैसा निवेश कर देते हैं और फिर धोखेबाज़ उन पैसों के साथ गायब हो जाते हैं जिसके बाद निवेश करने वाला व्यक्ति बेहद मुश्किल में पड़ जाता है।
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इन साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड्स से बचने के लिए जागरूक रहना, तगड़े साइबर सिक्योरिटी मेज़र्स, रेगुलर सॉफ्टवेयर अपडेट्स और ऑनलाइन कामों के लिए सतर्क रहना आवश्यक है। इसके अलावा इन बढ़ते फाइनेंशियल खतरों से बचने के लिए वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को सुरक्षित डिजिटल कामों को लेकर शिक्षित करते रहना चाहिए कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने चाहिए।