ये है दुनिया का पहला ‘Silent Plane’ जो उड़ता है बिना किसी मूविंग पार्ट के

Updated on 30-Nov-2018
HIGHLIGHTS

कुछ वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्लेन का आविष्कार किया है जिसमें किसी भी तरह का कोई मूविंग पार्ट नहीं दिया गया है। US के Massachusetts Institute of Technology में इस साइंस फिक्शन प्लेन को बनाया गया है।

US स्थित Massachusetts Institute of Technology के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा प्लेन का अविष्कार किया है जो लम्बा सफर तय कर सकता है। आप ये सोच रहे होंगे कि वो तो हर प्लेन कर सकता है तो इसमें ऐसा ख़ास क्या है, तो हम आपको इसकी खासियत बताते हैं। दरअसल यह प्लेन बिना किसी मूविंग पार्ट के उड़ता है। जी हाँ, इसमें किसी भी तरह का मूविंग पार्ट नहीं दिया गया है जिससे यह उड़ान भर सके। इसके बाद भी यह लम्बी दूरी तय कर सकता है। इसमें किसी भी तरह का propellor, turbine या मूविंग पार्ट नहीं दिया गया है। इसकी एक और बात बहुत ही दिलचस्प है। वह ये कि यह प्लेन बिना किसी आवाज़ के उड़ता है और यही वजह है इसे एक साइलेंट प्लेन भी हम कह सकते हैं।

इस अविष्कार में यह भी ख़ास हैं कि यह प्लेन बिना किसी तरह के खास मैकेनिज्म की जगह "ionic wind" पर उड़ता है यानी इलेक्ट्रिकली चार्ज एयर मॉलीक्यूल्स पर चलता है जो प्लेन को हवा के ज़रिये पुश करता है। टेस्ट के दौरान यह पाया गया कि यह मानवरहित प्लेन केवल 0.47 metres (18 inches की हाइट पर 60 metres (197ft) की उड़ान भर सकता है। वहीं आविष्कारों का मानना है कि 100 साल से भी ज़्यादा पहले Wright Brothers के एक्सपेरिमेंट्स की तरह ही यह छोटी सी शुरुआत भी एविएशन को आगे तक एक नए मोड़ पर लेकर जा सकता है। भविष्य में ion wind propulsion से quiet drones को भी चलाना संभव हो पायेगा।

Massachusetts Institute of Technology के लीड रिसर्चर Dr Steven Barrett, "यह propulsion system में बिना किसी मूविंग पार्ट के उड़ने वाला अबतक का पहला प्लेन है। इसने ऐसे एयरक्राफ्ट जो मैकैनिकली सिंपल हों, combustion emissions फ्री हों और शांत हों, के लिए संभावनाएं और अवसर बढ़ा दिए हैं।"

Dr Steven Barrett को यहाँ से मिली पलने बनाने की प्रेरणा

रिपोर्ट्स के मुताबिक Dr Steven Barrett ने अपने एक बयान में कहा है कि TV sci-fi series Star Trek देखकर उन्होंने इस आविष्कार के बारे में सोचा। उन्होंने बताया की वे बड़ी ही उत्सुकता के साथ एक बच्चे की तरह उस सीरीज़ शो को देख रहे थे जहाँ उन्होंने futuristic shuttle crafts को देखा  बिना किसी आवाज़ या शोर के काम कर रहे थे।

ये था टीम के लिए सबसे बड़ा चैलेंज

लीड रिसर्चर के मुताबिक प्लेन की बैटरी आउटपुट से 40,000 volts का पावर सप्लाई कराना था। ऐसे में ये कोशिश की जा रही है की काम वोल्टेज में ज़्यादा  ionic wind प्रोड्यूस कराई जा सके। टेस्ट फ्लाइट्स gymnasium में MIT's duPont Athletic Centre को चुना गया था। 

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