क्या है Thunderstrom के पीछे का विज्ञान? इस तरह के तूफ़ान आने पर क्या करें और क्या न करें

Updated on 08-May-2018
HIGHLIGHTS

क्या आप जानते हैं कि Thunderstrom के पीछे का विज्ञान क्या है, यह किस तरह से उत्पन्न होता है, और इसे कैसे बचा जा सकता है, आइये जानते हैं।

ऐसा कई बार हमारे सुनने आया है कि एक बड़े तूफ़ान के आने से शहर के शहर तबाह हो गए, हजारों लोगों की जान चली गई और, सैंकड़ों लोग घायल अवस्था में हैं। ऐसा भारत में ही नहीं दुनियाभर के बहुत से देशों में हो चुका है। जापान में और अन्य कई देशों में इस तरह के बड़े तूफ़ान हर साल आते रहते हैं, हमने भारत में ऐसे कई तूफानों को देखा है। एक बार फिर से भारत में इसके आने की आशंका है। 

आपको बता दें कि दिल्ली के साथ साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा राजस्थान के साथ साथ उत्तराखंड और देश के अन्य कई इलाकों और हिस्सों में बड़े भयावह तूफ़ान Thunderstrom के आने वाले कुछ ही समय में आने की आशंका है। अगर हम गृह मंत्रालय से मिल रही जानकारी की बात करें तो आपको बता दें कि इसके अनुसार हमारे देश के लगभग 13 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश आने वाले कुछ ही घंटों में बड़ी आंधी तूफ़ान और बारिश का शिकार हो सकते हैं। अगर हम अभी पिछले सप्ताह की ही बात करें तो इस तरह की घटनाओं से लगभग 124 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, और लगभग 300 लोगों को घायल अवस्था में पाया गया है। हम एक बड़े खतरे की तो बात कर रहे हैं लेकिन क्या हम जानते भी हैं कि आखिर इस तरह की घटनाओं तूफ़ान आदि के पीछे क्या विज्ञान होता है। आप हम इसी बारे में कुछ जानने की कोशिश करने वाले हैं। 

Thunderstrom के पीछे क्या है विज्ञान?

वायुमण्डल में विद्युत आवेश का डिस्चार्ज होना या किसी एक वस्तु का दूसरी में स्थानान्तरण करने से ऐसा होता है। ऐसा भी कह सकते हैं, कि जब ऐसा होता है तो एक भयावह कड़कड़ाहट उत्पन्न होती है, जिसे हम thunder आदि कहती हैं। अगर हम आंकड़ों पर जाएँ तो विकीपीडिया हमें बताती है कि हर साल दुनियाभर में लगभग 1 करोड़ 60 लाख तड़ित यानी Thunder पैदा होते हैं। अगर हम इसके बारे में ज्यादा विस्तार से जानकारी के बारे में जिक्र करें तो आपको बता देते हैं कि, “Thuder  कपासीवर्षी मेघों में उत्पन्न होता है। इन मेघों में अत्यंत प्रबल ऊर्ध्वगामी पवन धाराएँ चलती हैं, जो लगभग 40,000 फुट की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें कुछ ऐसी क्रियाएँ होती हैं जिनके कारण इनमें विद्युत्‌ आवेशों की उत्पत्ति तथा वियोजन होता रहता है।  

अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह कितनी भयावह हो सकती हैं, इसके कारण ही हर साल सुनने आता है कि लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस विज्ञान के कारण ही यह प्राकृतिक घटना इतनी अधिक भयावह बन जाती हैं, जिन्हें रोक पाना शायद ही किसी के बस में है। ऐसा ही कुछ अब हमारे देश के भी कुछ राज्यों में भी होने जा रहा है, इसके कारण ही दिल्ली सरकार ने इसे लेकर एक ऐडवाइजरी जारी कर दी है, इसके साथ ही आप स्कूल कॉलेजों में भी छुट्टी की घोषणा कर दी गई है। हरियाणा में अगले दो दिन के लिए छुट्टी की घोषणा कर दी गई है। 

तूफ़ान आने पर क्या करें और क्या न करें

अगर आप जाने अनजाने इस तूफ़ान की चपेट में आ जाते हैं तो कोशिश करें कि अपने शरीर के अंगों के साथ अपने चेहरे और आँखों को ढक लें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो आपको स्किन इन्फेक्शन हो सकता है, इसके साथ ही आपको रैश भी हो सकते हैं।
अगर आप तूफ़ान में फंस जाते हैं तो सबसे पहले ऐसी एक जगह की भी तलाश करें जहां आप सुरक्षित रह सकते हैं, किसी भी छत या खिड़की से दूर रहने की आपको सलाह दी जाती है।
अगर आप अपने घर के अंदर हैं तो अपने घर के खिड़की दरवाजों को अच्छी तरह से बंद करके उनके आसपास कोई भारी सामान जरुर रख दें। ऐसा करने से ज्यादा तेज हवा चलने पर यह खुलेंगे नही।
अगर आपके घर में खिड़की आदि पर कांच का इस्तेमाल किया गया है, तो उन्हें परदे या किसी कपड़े आदि से अच्छी प्रकार से ढँक दें। 
इस समय किसी भी बिजली के उपकरण का इस्तेमाल न करें।
ऐसी किसी जगह की तलाश करें जहां ज्यादा बड़े पेड़, बिजली के खम्बे या दीवार आदि न हो, ऐसा करने से आप इनके गिरने से बच सकते हैं।
अगर आप गाड़ी के अंदर ही हैं तो अपनी गाड़ी को सही प्रकार से बंद करना न भूलें इसके अलावा अपनी गाड़ी को भी बिजली के खम्बे, और पेड़ आदि की चपेट में आने से बचाएँ।
इस बात की पुष्टि करें कि आपके पास तूफ़ान की निरंतर खबरें आती जा रही हैं। इसका मतलब है कि आपको इससे अपडेट रहना होगा।
अपनी गाड़ी में रेडियो न चलायें ऐसा करने से आप आकाशीय बिजली की चपेट में आ सकते हैं।
तूफ़ान के समय अगर आप नहा रहे हैं तो आपको ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि सबसे पहले पानी में ही तेजी से बिजली फैलती है। 
सबसे अच्छा तो यही होगा कि आप अपने घर से बाहर ही न निकलें, इस तरह की घटना में बिजली आदि चली जाती है तो अपने पास टोर्च, मोमबत्ती, माचिस आदि के साथ साथ खाने पीने का सामान भी रखें। 

Digit Hindi

Ashwani And Aafreen is working for Digit Hindi, Both of us are better than one of us. Read the detailed BIO to know more about Digit Hindi

Connect On :