रोपोसो भारत का प्रमुख वीडियो-शेयरिंग सोशल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म

Updated on 28-May-2020
HIGHLIGHTS

रोपोसो भारत का प्रमुख वीडियो-शेयरिंग सोशल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म है

ग्लांस के स्वामित्व वाला यह प्लेटफार्म भारत में ही निर्मित है और स्वदेशी होने पर रोपोसो को गर्व है

यह अंग्रेजी सहित अन्य 10 भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है

रोपोसो भारत का प्रमुख वीडियो-शेयरिंग सोशल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म है। ग्लांस के स्वामित्व वाला यह प्लेटफार्म भारत में ही निर्मित है और स्वदेशी होने पर रोपोसो को गर्व है। यह अंग्रेजी सहित अन्य 10 भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है, ऐप उपयोगकर्ताओं को संक्षिप्त रूप में वीडियो सामग्री का उपयोग करके खुद को व्यक्त करने और दूसरों से जुड़ने में सक्षम बनाता है। रोपोसो के पावरफुल वीडियो क्रिएशन और एडिटिंग टूल्स उपयोगकर्ताओं को अपने जीवन के रोचक पलों को दूसरों से साझा करने, अपनी छिपी प्रतिभा दिखाने और अपनी मूल भाषा में प्रासंगिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करने की अनुमति देते हैं। इस प्लेटफार्म के 50 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं और एक महीने में 5 बिलियन से अधिक वीडियोस देखे जाते हैं। अधिक जानकारी के लिए www.roposo.com पर जाएं।

रोपोसो के सह-संस्थापक और ग्लांस के वीपी मयंक भंगडिया कहते हैं, 'यदि पप्पू नाच नहीं सकता है, तो उसे मत नचाओ’ (‘If Pappu can’t dance, don’t make him’) 

जब इंटरनेट का प्रसार विकासशील देशों में बढ़ता गया, तो यह टीवी के टेक्स्ट अवतार जैसा था। कुछ बड़ी संस्थाओं ने इस पर नियंत्रण किया। हम, लोग, बस उपभोग किए गए। फिर पहली पीढ़ी के 'ब्लॉगर्स' ने इसे बदलना शुरू किया। इंटरनेट का इस्तेमाल अब खुद को व्यक्त करने के लिए किया जा सकता है।

इसके साथ ही 'स्मार्टफोन' पर 'ऐप्स' का एक और चलन चलने लगा। यूएस और चीन द्वारा विकसित किए गए ऐप्स को भारत में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके फीचर्स को ब्लैक कॉफ़ी पीने वाले प्रोडक्ट मैनेजर्स को 'भारतीय संवेदनाओं' के ऊपर जबरदस्ती हावी किया गया।  

दूसरी ओर रोपोसो, भारतीय दिमाग की उपज है। हमारी टीम में ऐसे सदस्य शामिल हैं, जो भारत के विभिन्न हिस्सों से आते हैं और हमारे समाज को एक बनावट देने वाली विविधता को समझते हैं। यह आधार भारत के लिए एक वीडियो उत्पाद बनाने में महत्वपूर्ण है। कोई यह तर्क दे सकता है कि AI / ML तकनीक सच्चे भारत को समझ सकती है और हमारे लिए एक व्यसनी उत्पाद (एडिक्टिव प्रोडक्ट) बना सकती है। हमारा मानना है कि टेक्नोलॉजी सिर्फ एक उपकरण है, जिसका उपयोग करके टीम के आदर्शों को लागू किया जा सकता है। यदि 'डेटा' यह तय करें कि क्या उत्पाद (प्रोडक्ट) बनाया जाना चाहिए, तो ऐसे प्रोडक्ट्स की कोई आत्मा नहीं होगी।

रोपोसो में, हम मानते हैं कि हर कोई अपने आप को अपने अनोखे तरीके से साझा करना चाहता है, और उन्हें ऐसा करने में सहज महसूस करना चाहिए। सिर्फ इसलिए कि 'लिप-सिंकिंग' ट्रेंड कर रहा है, सभी को ऐसा कंटेंट बनाने की ज़रूरत नहीं है, एक भावपूर्ण कविता पाठ अभी भी कई लोगों ज्यादा पसंद आएगा। रोपोसो चैनल विभिन्न प्रकार के थीम बनाते हैं, जिनके चारों ओर विभिन्न कम्युनिटी बनती है। ये समुदाय खुद को व्यक्त करने के लिए दिलचस्प और अनूठे तरीकों से एक ही रोपोसो कैमरा टूल का उपयोग करते हैं। हमारी टीम रोपोसो कैमरा को सरल बनाने के लिए बहुत मेहनत कर रही है लेकिन प्रासंगिक (कन्टेक्स्चूअल) फिल्टर और क्विर्की इफेक्ट्स के साथ बहुत शक्तिशाली है।

हम सभी अपनी मातृभाषा में हंसते, रोते, अपशब्द बोलते या अभिशाप देते हैं। हम अपने आप को सबसे अच्छी तरह अपनी मातृभाषा में ही अभिव्यक्त कर पाते हैं, यही कारण है कि शार्ट वीडियो एंटरटेनमेंट प्लेटफार्म होने के कारण रोपोसो के लिए स्थानीय भाषाओँ यह बहुत महत्वपूर्ण था। भारत के लाखों लोग रोपोसो पर अपनी पसंद के समुदायों के साथ अपनी भाषाओं में जुड़े हैं।

रोपोसो अब एक ऐसा मंच है, जहां किसी भी वीडियो बनाने वाले को इंडिजेनस कैमरा टूल्स और कम्युनिटीज मिलती हैं, जिन्हें वे अपनी मातृभाषा में आइडेंटीफाय और इंटरैक्ट सकते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मौजूदा दर्शकों ने किसी भी रचनाकारों को रोपोसो स्टार बनने का मौका दिया है। ये सितारे प्लेटफार्म के बाहर से अधिक लोगों को रोपोसो की ओर आकर्षित करते हैं, जब वे अभिव्यक्ति के अपने यूनिक फॉर्म्स की खोज करते हैं। यह रचनाकारों और रोपोसो दोनों की जीत है, इस प्लेटफार्म पर हम दोनों साथ-साथ बढ़ते हैं। इस वृद्धि का मतलब हो सकता है कि रोपोसो पर अधिक राजस्व उत्पन्न हो क्योंकि बहुत सारे लोग यहां अधिक समय बिताते हैं, और हम रचनाकारों के साथ निष्पक्ष रहने की कोशिश करते हैं और इस राजस्व को रोपोसो कॉइन्स के रूप में उनके साथ साझा करते हैं।
तो,आप किस बात का इंतजार कर रहे हैं, आओ और बन जाओ रोपोसो स्टार!

भाषाएँ:

हिंदी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, मलयालम, अरबी, असमिया, ओडिया, उर्दू

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