आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI लगातार बढ़ रहा है. इससे नए तकनीकी प्रगति के कारण एक पूरी तरह से नए कानूनी ढांचे की जरूरत है. यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कही. शनिवार को INET-YSI-Bennett यूनिवर्सिटी कॉन्फ़्रेंस में बोलते हुए चंद्रशेखर ने AI और नए युग उभर रही कानूनी चुनौतियों पर बात की.
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज के कानून के छात्रों को एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां तकनीक के लिए कानूनी नींव अभी तक स्थापित नहीं हुई है. उन्होंने आगे कहा कि परंपरागत कानूनी प्लेबुक अप्रचलित होता जा रहा है, जिससे न्यायशास्त्र के लिए एक नए दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है.
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राजीव चंद्रशेखर ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि लगभग जमीनी स्तर से नया न्यायशास्त्र और कानूनों, अधिकारों और मुद्दों का एक नया ढांचा होगा, जिस पर भविष्य में विचार करने की जरूरत होगी. AI की जटिलताओं और इसकी संभावना पर बोलते हुए चंद्रशेखर ने नई चुनौतियों का समाधान करने के लिए कानूनी मानकों को विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया.
उन्होंने बताया कि कई तरीकों से अगर आप उस बिंदु को AI तक बढ़ाते हैं तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए, उससे होने वाले नुकसान के लिए नए तरीके से सब लिखना होगा. इसके अलावा एप्लीकेशन के लिए, प्राइवेसी के लिए, इंटरनेट पर किसका क्या है, व्यक्तिगत, गैर-व्यक्तिगत डेटा को लेकर एक पूरा स्कूल है, इसका पूरा क्षेत्र है जिसे आने वाले सालों में खोजा और लिखा जाएगा.
चंद्रशेखन ने इस दौरान को एक परिवर्तनकारी समय कहा है. “हम AI युग में रह रहे हैं. उन्होंने कमेंट किया इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम एक ऐसी तकनीकी और नवाचार क्रांति के बीच में हैं जो पहले कभी नहीं देखी गई.”
उन्होंने पिछले दशक में भारत के आधुनिकीकरण के लिए सरकार के योगदान की भी सराहना की. राष्ट्र की प्रगति पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा, “पिछले दस सालों में भारत और आप में से ज्यादातर लोगों के लिए काफी बड़ा परिवर्तन हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार का खुद का बजट तीन गुना और चार गुना हो गया है. हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था है.
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