Top 5 Courtroom Drama Movies: क्या आप कोर्ट रूम ड्रामा देखना पसंद करते हैं जो मिस्ट्री और थ्रिलर से भरे हों? तो यह आर्टिकल खास आप ही के लिए है। आज हम पेश कर रहे हैं बॉलीवुड की टॉप 5 कोर्ट रूम ड्रामा फिल्मों की लिस्ट, जिनमें रहस्य और रोमांच का तड़का लगा है। वकीलों की धारदार दलीलें, चौंकाने वाले ट्विस्ट और अपराध की गुत्थी सुलझाने का जुनून, ये फिल्में आपको अपनी सीट से उठने नहीं देंगी। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं कौन सी फिल्में इस लिस्ट में शामिल हैं!
पिंक फिल्म तीन लड़कियों – मीनल, फलक और एन्ड्रिया की कहानी है। ये तीनों दिल्ली में रहती हैं और अपनी मर्जी से जिंदगी जीती हैं। एक रात को वे एक पार्टी में जाती हैं, जहां उनकी मुलाकात राजवीर और उसके दोस्तों से होती है। बाद में ये सब एक रिज़ॉर्ट में चले जाते हैं। वहां कुछ ऐसा होता है जिसकी वजह से लड़कियों पर गलत इल्जाम लग जाता है। यहाँ कहानी में वकील दीपक सहगल (अमिताभ बच्चन) की एंट्री होती है। वह लड़कियों का बचाव करते हैं और यह फिल्म बताती है कि कैसे समाज में लड़कियों की आज़ादी को लेकर गलतफहमी होती है और उन्हें कैसे गलत नज़रों से देखा जाता है।
इस फिल्म में कंजीलाल मेहता (परेश रावल) एक नास्तिक दुकानदार है जो मुंबई में मूर्तियों और धार्मिक सामान का बिज़नेस करता है। वह अक्सर धर्म और भगवान को लेकर होने वाली बातों का मजाक उड़ाता है। लेकिन एक दिन भूकंप आता है और सिर्फ कंजीलाल की ही दुकान तबाह हो जाती है। उसका परिवार और आसपास के लोग इसे उसके नास्तिक होने का नतीजा मानते हैं। गुस्से में आकर कंजीलाल भगवान को ही कोर्ट में ले जाने का फैसला करता है। अब देखना यह है कि क्या इस कहानी में कंजीलाल को इंसाफ मिल पाएगा? और रास्ते में उसे किन चुनौतियों का सामना करना होगा।
मुल्क फिल्म की कहानी एक मुस्लिम परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। यह परिवार एक बड़े शहर में रहता है और सबके साथ मिलजुलकर रहता है। परेशानी तब खड़ी होती है जब परिवार का एक लड़का आतंकवादियों से जुड़ जाता है। इससे पूरा परिवार मुश्किल में पड़ जाता है। उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है और उन पर आतंकवादियों का साथ देने का इल्जाम लगता है। इस मुश्किल हालात में परिवार की हिंदू बहू वकील बनकर उनके लिए लड़ती है और यह साबित करने की कोशिश करती है कि पूरे परिवार को आतंकी नहीं माना जा सकता।
शाहिद फिल्म एक वकील और मानवाधिकार के लिए काम करने वाले व्यक्ति – शाहिद अज़मी की कहानी है। यह कहानी दंगों के भयानक माहौल में शुरू होती है जहां शाहिद और उसका परिवार दंगों का शिकार होते हैं। इस घटना से गुस्से में आकर शाहिद आतंकवादियों के साथ जुड़ जाता है, लेकिन वहां के हालात देखकर वापस लौट आता है। फिर उसे गलत आरोप में जेल में डाल दिया जाता है। जेल में रहते हुए वह वकालत पढ़ता है और रिहा होने के बाद बेगुनाह लोगों के लिए लड़ने लगता है। कुल मिलाकर यह फिल्म झूठे आरोपों और उनके खिलाफ लड़ाई की कहानी है।
रुस्तम फिल्म की कहानी कुछ इस तरह है कि रुस्तम नाम का एक सम्मानित नौसेना अधिकारी घर लौटता है तो उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी सिनेमा देखने गई है। लेकिन असल में वह अपने दोस्त विक्रम के साथ होती है। रुस्तम को पता चलता है कि सिनेमा सिर्फ बहाना था और उसकी पत्नी का विक्रम के साथ अफेयर चल रहा है। गुस्से में आकर रुस्तम, विक्रम को गोली मार देता है और फिर खुद पुलिस के सामने सरेंडर कर देता है। यह फिल्म दिखाती है कि कोर्ट में कैसे रुस्तम खुद अपनी लड़ाई लड़ता है और यह साबित करने की कोशिश करता है कि उसने सही किया।