आप सभी जानते हैं 14 फरवरी को हुए हमारी सेवा की CRPF की टुकड़ी पर हुए आत्मघाती हमले के बाद इस भयावह घटना की ज़िम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी, इस घटना में हमारी सेना के 44 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना को हम सभी Pulwama Attack नाम से जानते हैं। इस घटना के पीछे को बड़ा कारण है, वह कश्मीर को भारत से अलग करने की नियत से किया गया था। हालाँकि आपको बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर मात्र पुलवामा अटैक का ही ज़िम्मेदार नहीं है इसके अलावा इसे Uri पर हुए हमले के लिए भी ज़िम्मेदार माना जा रहा है। इसके अलावा 2001 में जम्मू और कश्मीर की विधानसभा पर हुए हमले में भी इसका नाम आया था। इसके अलवा 2001 में ही संसद पर हुए हमले का भी मिस्टरमाइंड माना जाता है। इसके अलवा 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के अलावा अन्य कई हमलों के लिए भी इसी काम नाम सामने आया था।
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जैश-ए-मोहम्मद की इन बढ़ती आतंकवादी घटनाओं के चलते भारत, US, UK और फ्रांस ने मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने लिए यानी एक ग्लोबल आतंकवादी घोषित करने के लिए United Nations की सिक्यूरिटी काउंसिल में एक अर्जी दी थी। सुरक्षा परिषद को दी गई इस याचिका में मसूद अजहर को 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत एक वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाना था, जिसमें 15 सदस्य हैं। हालाँकि कमिटी को इसपर फैसला बुधवार को लेना था लेकिन चीन की ओर से इस लिस्ट को ही ब्लॉक कर दिया गया, और मसूद अजहर को एक बार फिर से ही चीन के द्वारा बचा लिया गया। जैसा कि आप जानते हैं कि चीन UNSC का एक परमानेंट सदस्य है, और चीन के पीछे हट जाने के कारण ही कोई भी फैसला इस आतंकवादी को लेकर नहीं लिया जा सका है। हालाँकि अन्य कई देशों में मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने को लेकर अपना वोट दिया है लेकिन चीन के पीछे हट जाने के कारण ऐसा नहीं हो सकता है। यह 10 साल में चौथी बार है, जब चीन ने इसी प्रपोजल को ब्लॉक किया है। हालाँकि अन्य देशों में इसके पक्ष में अपने वोट दिए थे।
इसी को देखते हुए यह क्लियर होता जा रहा है कि चीन अजहर के बैन को लेकर काफी अलग सोच रहा है, इसके अलावा अब यह भी क्लियर हो गया है कि चीन कहीं न कहीं आतंवादियों को बचा रहा है, इसका यह भी कारण हो सकता है कि चीन का पाकिस्तान के साथ एक अलग ही नाता है, और पाकिस्तान अजहर का घर है। लेकिन अन लाखों लोग चीन के विरोध में भारत में खड़े हो गए हैं। लोगों ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है, और अब यह एक राष्ट्रीय मूवमेंट बन गया है। ट्विटर पर तो एक हैशटैग भी चल पड़ा है #BoycottChineseProducts इसमें स्मार्टफोंस, लैपटॉप और एप्स आदि भी शामिल हैं।
ट्विटर पर भारतीय यूजर्स ने एक अलग ही बात कहना शुरू कर दिया है, और उनका कहना है कि चीन के किसी भी प्रोडक्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। लोगों ने Xiaomi, Huawei, OnePlus, Vivo और Oppo को भारत से बंद करने तक की बात कह दी है। यह सभी देश में कुछ टॉप सेलिंग स्मार्टफोन ब्रांड्स हैं। हालाँकि ऐसा भी कहा जा सकता है कि लगभग 60 फीसदी मार्किट शेयर चीनी प्रोडक्ट्स का ही है।
आपको यह भी बता देते हैं कि तीसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी कही जाने वाली Huawei के ग्लोबल स्मार्टफोन शिपमेंट को भी प्रभावित किया है, आपको बता दें कि इसके 5G टेलिकॉम प्रोडक्ट्स की सेल पर साथ ही फोंस की सेल पर पहले ही US, Canada, Australia, New Zealand, Great Britain, Japan और अन्य देशों में बैन कर दिया गया है। इसके अलावा अभी कुछ समय पहले ही Huawei और Xiaomi को चाइनिज सर्वर स्टोरिंग के लिए भी काफी क्रिटीसिस्म झेलना पड़ा था।
भारतीय नीति निर्माता अब चीन से आयात पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे, यह एक ऐसी चीज है जिसका हमें इंतजार करना होगा। हालाँकि, अजहर के प्रतिबंध के खिलाफ चीन के रुख और हमारे पूर्व एशियाई पड़ोसी से माल पर प्रतिबंध लगाने के लिए बढ़ते सोशल मीडिया आंदोलन के मद्देनजर, हम डिजिट में आपसे जानना चाहते हैं, यह आपके भविष्य के गैजेट की खरीदारी को चीनी ब्रांडों जैसे Xiaomi, OnePlus, Huawei, Oppo, Vivo, Honor Lenovo, Nubia, Meizu और अन्य से आपके सम्बन्ध कैसे प्रभावित करेगा। आप ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हमारे पोल के जरिये हमें अपने बता सकते हैं।
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