1 दिसंबर से नहीं आएंगे OTP? Jio, Airtel, Vi और BSNL यूजर्स जान लें नए नियम

Updated on 25-Nov-2024

इंटरनेट और स्मार्टफोन्स के विकास के साथ-साथ इन तकनीकियों से मिलने वाली सुविधाओं के आलवा कई खतरे भी उभर गए हैं। जहां स्मार्टफोन्स ने कई कामों को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इन्होंने स्कैमर्स और साइबर अपराधियों के लिए लोगों को धोखा देने के नए रास्ते भी खोल दिए हैं। इस पर चिंता जताते हुए टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने लोगों को घोटालों और ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए हाल ही में नए उपाय लागू किए हैं।

TRAI का बड़ा कदम

TRAI ने एक बड़ा कदम उठाया है जो टेलिकॉम कंपनियों को मेसेज ट्रेसेबिलिटी लागू करने का आदेश है। इस बड़े फैसले की घोषणा सबसे पहले अगस्त में की गई थी, जिसमें व्यापारिक संदेशों और OTPs पर ध्यान दिया गया था। शुरुआत में टेलिकॉम कंपनियों को इन ट्रेसेबिलिटी मेजर्स को लागू करने के लिए 31 अक्टूबर की डेडलाइन दी गई थी, लेकिन फिर Jio, Airtel, Vi और BSNL जैसी बड़ी कंपनियों द्वारा रिक्वेस्ट करने के बाद इसे 30 नवंबर के लिए आगे बढ़ा दिया गया था। अब क्योंकि नई डेडलाइन नजदीक आ रही है, तो इन कंपनियों को व्यापारिक और OTP मेसेजेस को ट्रैक करने के लिए TRAI के नियमों का पालन करना होगा।

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OTP में होगी देरी!

यह ध्यान देना जरूरी है कि अगर Jio, Airtel, Vi और BSNL ने 1 दिसंबर से इन ट्रेसेबिलिटी मेजर्स को लागू करना शुरू कर दिया, तो OTP मेसेजेस आने में देरी हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर आप बैंकिंग या रिजर्वेशंस बुक करने जैसे कामों में लगे हैं, तो आपको OTP के लिए ज्यादा इंतज़ार करना पड़ सकता है।

ट्राई ने यह पहल इसलिए की है क्योंकि घोटालेबाज अक्सर लोगों के डिवाइसेज़ तक पहुंच हासिल करने के लिए नकली OTP मेसेजेस का फायदा उठाते हैं, जिसके चलते लोगों को भारी फाइनेंशियल नुकसान झेलना पड़ता है। TRAI का लक्ष्य सभी टेलिकॉम कंपनियों के तहत इन नियमों को लागू करके लोगों को और भी प्रभावी रूप से सुरक्षित करना है।

अन्य खबरों में, 1 जनवरी, 2025 से एक नया नियम लागू होगा जो Jio, Airtel, Vi और BSNL के ग्राहकों को प्रभावित करेगा। इन नियमों का लक्ष्य देशभर में 5G इंफ्रास्ट्रक्चर को तेज करना है।

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सरकार ने हाल ही में टेलिकॉम अधिनियम के तहत अतिरिक्त नियम पेश किए थे, जिनमें सभी राज्यों को इन बदलावों का पालन करना होगा। यह नई गाइडलाइन, जिसे राइट ऑफ वे (RoW) कहा जा रहा है, देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर डिप्लॉय करते समय टेलिकॉम कंपनियों के लिए स्टैंडर्डाइज्ड लागत स्थापित करता है। अभी के लिए RoW के नियम राज्यों के लिए अलग-अलग हैं, जिसके कारण पूरे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की अनुमति और इसे स्थापित करने के लिए अलग-अलग चार्ज लिए गए।

Faiza Parveen

फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं।

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