टैक्स से संबंधित छल और धोखाधड़ी को कम करने के लिए भारतीय बैंको द्वारा एक नया कदम उठाया जा रहा है। जब सरकारी स्रोतों ने किसी भी नाम का खुलासा करने से माना कर दिया, तो उन्होने कहा कि कुछ जाने-माने सरकारी और प्राइवेट बैंक अपने ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए पहले से ही इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं। यह वेरिफिकेशन स्टेप अनिवार्य नहीं है। यह उन स्थितियों में इस्तेमाल के लिए है जब बैंक के पास कोई अन्य आइडेंटिफिकेशन कार्ड जैसे PAN कार्ड आदि न हो।
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कोई भी टेक्नोलॉजी जिस पर कार्य करने के लिए ह्यूमन डेटा की आवश्यकता होती है, ऐसे में पहले से ही ग्राहकों की प्राइवसी को लेकर कुछ चिंताएँ हैं। एक वकील और साइबर लॉ एक्सपर्ट, 'Pavan Duggal' ने कहा कि, "यह प्राइवसी से संबंधित चिंताओं को बढ़ाता है, खासकर जब भारत में प्राइवसी, साइबर सुरक्षा और चेहरे की पेहचान से संबंधित कानूनों की कमी है।"
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वे व्यक्ति जिन्होने एक फाइनेंशियल ईयर में बैंक के साथ सिर्फ आधार कार्ड शेयर करके बैंक से 2 मिलियन से अधिक पैसे निकाले या जमा किए हैं, उन्हे बैंक की रिक्वेस्ट पर इन सुरक्षा प्रक्रियाओं को अप्लाई करना होगा।
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Unique Identification Authority of India (UIDAI) के एक स्पोक्सपर्सन ने बताया कि, यह प्रक्रिया सिर्फ ग्राहक की सहमति पर ही की जाएगी। उन्होने यह भी कहा, कि "UIDAI नियमित तौर पर उन सभी ऑथेंतिकेशन और वेरिफिकेशन संस्थाओं को यह सलाह देता है कि उन ग्राहकों के लिए फेस और आइरिस ऑथेंतिकेशन का उपयोग किया जाए जिनके फिंगरप्रिंट ऑथेंतिकेशन फेल हो जाते हैं।"