द्रष्टिहीन भी देख पाएंगे मोबाइल की इस नई तकनीक से
कुछ वैज्ञानिक एक ऐसी नई मोबाइल तकनीक को विकसित करने में लगे हैं, जिसके माध्यम से द्रष्टिहीन लोग भी देख सकेंगे.
कुछ खबरों से सामने आ रहा है कि कुछ वैज्ञानिक एक ऐसी तकनीक विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके माध्यम से द्रश्तिहीन लोग भी अपने फ़ोन और टैबलेट के माध्यम से देख सकेंगे. यह नई मोबाइल तकनीक एक ऐसे युग की शुरुआत कही जा सकती है जहां एक ऐसे युग को देखा जाएगा, जहां द्रष्टिहीन होंगे लेकिन वह देख पाएंगे अपने मोबाइल और टैबलेट के माध्यम से. सोनी के नए स्मार्टफ़ोन Z3+ के बारे में विस्तार से पढ़ें यहाँ.
यूनिवर्सिटी ऑफ लिंकन और यूके के कुछ कंप्यूटर विजन और मशीन लर्निंग क्षेत्र के स्पेशलिस्टो ने सामने अलाय है कि वह एक ऐसी नई मोबाइल तकनीक को विक्सित करने में जुटे हैं, जिसके माध्यम से द्रष्टिहीन लोग भी देख पायेंगे. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह किस तरह का शोध हो सकता है, और इससे बड़े पैमाने उन लोगों को एक नई ज़िन्दगी मिलेगी, वह देख सकेंगे. बेशक उनकी आँखें नहीं होंगी पर फिर भी वह देख पाएंगे. इस तकनीक को लेकर बड़े कयास लगाए जा रहे हैं. इसके साथ ही आपको बता दें कि कुछ रिपोर्ट्स कह रही हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए गूगल फैकल्टी रिसर्च अवार्ड की ओर से बड़ा फंड इस कार्य को अंजाम देने के लिए दिया गया है. इसके तहत मोबाइल हैंडसेट्स में स्मार्ट विजन सिस्टम लगाना, जो इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य कहा जा सकता है, और यही लक्ष्य एक दिन समाज हित में एक बड़ा स्तम्भ साबित होने वाला है. अब आप प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने मोबाइल से भी जुड़ सकते हैं, जाने कैसे?
इस योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए इस प्रोजेक्ट से जुडी टीम ने कहा कि स्मार्ट विजन सिस्टम, कलर और डेप्थ सेंसिंग तकनीक पर आधारित होगा. आप इसे आसानी से अपने स्मार्टफ़ोन या टैबलेट पर इनस्टॉल कर सकते हैं और द्रष्टिहीन इसके माध्यम से देख सकते हैं. यह स्मार्ट डिवाइसेज में 3डी मैपिंग, नैविगेशन और वस्तु की पहचान को इनेबल करेगा, इसके बाद आप वाइब्रेशन, साउंड या बोले गए शब्दों को पहचान पायेंगे. अगर विस्तार से इसे जानें तो ये डिवाइस इनपुट के तौर पर अपने कैमरा से डाटा लेगा और यूजर को दिशा निर्देश देगा. यदि लोग डिवाइस में लगे इस तकनीक का उपयोग करना शुरू करेंगे तो उन्हें अतिरिक्त इक्विपमेंट्स पहनने की जरूरत नहीं रहेगी, मात्र इसके सहारे से ही देखा जा सकेगा. यह तकनीक अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण और सामाजिक विकास में मदद करने वाली साबित होगी.