आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल के साथ एक नया साइबर थ्रेट सामने आया है जो कथित तौर पर केवल कीबोर्ड की आवाज को सुनकर आपके सिस्टम के पासवर्ड्स को चुरा सकता है।
US-आधारित Cornell University की एक नई स्टडी से पता चला है कि किसी नजदीकी स्मार्टफोन में ऐक्टिवेटेड AI मॉडल 95% सटीकता के साथ एक लैपटॉप में टाइप किए गए पासवर्ड को रीप्रोड्यूस कर सकता है।
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न्यू यॉर्क पोस्ट के मुताबिक, यह नया AI मॉडल UK-आधारित कंप्यूटर वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा डिजाइन किया गया था। इसे कीस्ट्रोक्स को पहचानने के लिए ट्रेन किया गया था जिसे लेकर अब डर है कि यह हैकर्स के लिए सुविधा बन सकता है।
AI टूल केवल नजदीकी स्मार्टफोन के जरिए ही नहीं, बल्कि Zoom वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान एक लैपटॉप के माइक्रोफोन के जरिए भी कीस्ट्रोक्स को पहचानने में बेहद सटीक है।
स्टडी में कहा गया है कि, "कीबोर्ड अकॉस्टिक एमनेशंस की ubiquity केवल इसे आसानी से उपलब्ध अटैक वेक्टर ही नहीं बनाती, बल्कि विक्टिम्स को उनके आउटपुट को अंडरएस्टिमेट करने के लिए बढ़ावा भी देती है।"
साथ ही यह भी कहा गया कि, "उदाहरण के लिए, एक पासवर्ड टाइप करते समय लोग हमेशा अपनी स्क्रीन को छुपा देते हैं लेकिन अपने कीबोर्ड की आवाज को छुपाने के लिए कुछ नहीं करते।"
AI मॉडल की सटीकता को पहचानने के लिए शोधकर्ताओं ने 36 keys को 25 बार दबाया और स्मार्टफोन को कीबोर्ड से 17 cm दूर रखा। इस प्रक्रिया के दौरान उन्होंने अलग-अलग दबाव और उंगलियों का इस्तेमाल किया और AI मॉडल प्रत्येक key के दबाव के तत्वों के बीच के अंतर को पहचान पाया।
शोधकर्ताओं ने यूजर्स को इस नए साइबर रिस्क से बचने के लिए कुछ टिप्स बताए हैं। यूजर्स अपने पासवर्ड्स के लिए बड़े-छोटे लेटर्स और कैरेक्टर्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। संभावना है कि ऐसा करने से AI टूल को सटीक तौर पर पासवर्ड पहचानने में मुश्किल होगी।