बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रसॉफ्ट ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), क्लाउड मशीन लर्निग, सैटेलाइट इमेजरी और एडवांस्ड एनालिटिक्स जैसी नई तकनीकें भारत में छोटे किसानों को अधिक पैदावार कर अपनी आय बढ़ाने में सशक्त बना सकती हैं. तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ गांवों के किसानों को ऑटोमैटिक कॉल्स के माध्यम से मौसम की स्थितियों व फसल के चरणों के आधार पर फसलों में कीट लगने की जानकारी दी जा रही है.
इन तकनीकों के माध्यम से कर्नाटक में सरकार रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं, जैसे तूअर (लाल रंग की दाल) के न्यूनतम समर्थन मूल्य की योजना बनाने के लिए तीन महीने पहले कीमत की भविष्यवाणी कर सकती है.
इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) के एशिया क्षेत्र के निदेशक सुहास पी. वानी ने माक्रोसॉफ्ट के ब्लॉग पोस्ट में कहा, "बुआई का समय किसानों की अच्छी फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और अगर यह असफल हो जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप बहुत नुकसान होता है, क्योंकि बीज और खाद पर बहुत अधिक लागत आती है."
गैर-लाभकारी संगठन ICRISAT एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के लिए पूरी दुनियाभर में सहयोगियों के व्यापक समूह के साथ कृषि अनुसंधान का आयोजन करता है.
ICRISATएटी के सहयोग से माइक्रोसॉफ्ट ने कॉर्टना इंटेलिजेंस सुइट, मशीन लर्निग व पावर बीआईटी की सहायता से एक AI-सोइंग एप विकसित किया है.
कंपनी के अनुसार, "यह एप खेती करने वाले किसानों को बुआई के सबसे अच्छे समय की सलाह देता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए किसानों को अपने खेतों में किसी भी तरह के सेंसर को स्थापित करने या कोई खर्च करने की जरूरत नहीं है. उन्हें बस इस फीचर वाले फोन की जरूरत है, जो इस तरह के संदेश प्राप्त करने में सक्षम हो."
कर्नाटक सरकार राज्य में किसानों की बुआई की सलाह के अलावा कृषि वस्तुओं के मूल्य पूवार्नुमान करने वाली तकनीक का उपयोग भी शुरू कर देगी.
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि तकनीक के द्वारा रोजमर्रा की वस्तुओं, जैसे तूअर दाल जिसका कर्नाटक दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, की कीमतों का राज्य के प्रमुख बाजारों के लिए तीन महीने पहले अनुमान लगाया जा सकेगा.
भविष्य में दैनिक वस्तुओं और उनकी कीमतों की भविष्यवाणी करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने एक बहुउपयोगी कृषि वस्तु मूल्य पूर्वानुमान मॉडल भी विकसित किया है.
यह मॉडल खेती के हर चरण के माध्यम से फसल की पैदावार का अनुमान लगाने के लिए जियो-स्टेशनरी उपग्रह की छवियों के डेटा का उपयोग करता है.