मशीन लर्निंग से भारत में ट्रेनों में होने वाली देरी की भविष्यवाणी में उल्लेखनीय सुधार आया

Updated on 27-Jul-2023
HIGHLIGHTS

रेलयात्री के ट्रेन डिले प्रिडिक्टिव इंटेलीजेंस से यात्रियों के लिए स्टेशन पर इंतजार करने के समय में कमी आई।

यात्रियों को किसी स्टेशन पर ट्रेन के आने का सही समय बताना भविष्यवाणी करने जैसा है। ट्रेन के सही समय पर आने के पीछे कई कारक होते हैं और अक्सर इसके लिये यात्री घंटों प्रतीक्षा करते हैं। यात्रियों को असुविधा होती है, उनके कई घंटे बर्बाद हो जाते हैं और स्टेशनों पर अनावश्यक भीड़-भाड़ होती है। 

ट्रैवल स्टार्ट-अप रेलयात्री ने मशीन लर्निंग और स्टैटेस्टिकल माॅडलिंग तकनीकों का उपयोग कर अनोखे एस्टिमेटेड अराइवल टाइम (ईटीए) प्रिडिक्शन एल्गोरिदम का आविष्कार किया है, ताकि किसी स्टेशन पर ट्रेन के आने का सही समय बताया जा सके। इस एल्गोरिदम को गाड़ियों के चलने के बारे में कई सालों के तिहासिक डेटा का विश्लेषण करने में महारत दिलाई गई है और यह भावी परिणामों का अनुमान लगाती है।  

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भारत के रेल यातायात को देखते हुए विलंब एक बोझिल हिस्सा बन चुका है और यात्री अनिश्चितता में रहते हैं। सर्वेक्षण बताते हैं कि यात्री विलंब को यात्रा का एक हिस्सा मान चुके हैं, लेकिन उनका झुंझलाहट तब बढ़ जाती है जब मौजूदा सिस्टम उन्हें उनकी गाड़ियों के एस्टीमेटेड टाइम आॅफ अराइवल (ईटीए) पर सही जानकारी नहीं दे पाते हैं। इस वजह से वह प्लेटफाॅर्म पर केवल प्रतीक्षा करते रहते हैं, और उन्हें पता ही नहीं होता है कि उनकी ट्रेन आखिरकार कब आएगी। 

रेलयात्री के सह-संस्थापक कपिल रायज़ादा के अनुसार, ‘‘भारत में ट्रेन आने की भविष्यवाणी करने की विधि कई दशकों से बदली नहीं है और यह केवल गति और दूरी के विभाजन पर आधारित होती है। हम मानते हैं कि ऐतिहासिक जानकारी रखने से यह भविष्यवाणी अधिक सटीक होगी, जैसे की यातायात का बढ़ना, आपा-धापी, मौसम, आदि। हमारी एल्गोरिदम बहुत सटीक है और जानकारी के आधार पर बदलती है। इसलिये भविष्यवाणी समय के साथ बेहतर होती है।’’

रेलयात्री की स्मार्ट भविष्यवाणी में क्लस्टरिंग एल्गोरिदम का उपयोग होता है, जिसमें ट्रेन की ऐतिहासिक जानकारी को कई पद्धतियों से मिलाया जाता है और समय सम्बंधी जानकारी समान होती है। चलती हुए ट्रेन के लक्षणों के आधार पर एल्गोरिदम लाखों पद्धतियों से मिलती है और सही समय का आकलन होता है। भविष्यवाणी की तरह ही मशीन लर्निंग एल्गोरिदम ट्रेन के चलने के नये पैटर्न का निर्धारण करती है।

यात्री प्रायः यात्रा से 2-4 घंटे पूर्व ट्रेन के आने का समय पता करते हैं और नई एल्गोरिदम वेटिंग टाइम में 25 मिनट बचाती है। यह रेल्वे के लिये भी अच्छा है, क्योंकि वह स्टेशन पर कम भीड़ चाहता है और लोगों को ट्रेन के आने का सही समय पता चलने से ऐसा ही होगा।

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श्री रायज़ादा ने आगे कहा, ‘‘भारत में रेल परिवहन की जटिलता को देखते हुए सही भविष्यवाणी के लिये कई प्रकार के डेटा जरूरी हैं। हमें खुशी है कि हमने इस कार्य की शुरूआत कुछ वर्ष पहले की थी। हमारी एल्गोरिदम द्वारा की गई ईटीए भविष्यवाणी सर्वश्रेष्ठ है और अनिश्चितता के वातावरण में सटीकता और विश्वसनीयता की कसौटी पर खरी है। हमें विश्वास है कि बेहतर भविष्यवाणी से न सिर्फ उन लाखों घंटों की बचत होगी जोकि यात्रियों द्वारा स्टेशन पर अपनी ट्रेन का इंतजार करने के लिए बेकार चले जाते थे। बल्कि इससे रेलवे स्टेशनों पर भीड़भाड़ भी काफी हद तक कम होगी।’’

 

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