5 दिसंबर को ISRO लॉन्च करेगा भारत की सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट
भारत की सबसे भारी सैटेलाइट GSAT-11 को Ariane-5 राकेट के ज़रिये ऑर्बिट में भेजा जायेगा। यह कम्युनिकेशन सैटेलाइट भारत के ब्रॉडबैंड सर्विसेस के लिए बेहतर साबित हो सकता है। यह जानकारी स्पेस एजेंसी की तरफ से दी गयी है।
भारत की स्पेस एजेंसी Indian Space Research Organisation (ISRO) 5 दिसंबर को देश की सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने जा रही है। सैटेलाइट GSAT-11 को Arianespace के Ariane-5 राकेट के ज़रिये French Guiana से लॉन्च किया जायेगा। यह जानकारी इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के ज़रिये दी है। इसरो के मुताबिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-11 का वज़न 5,854 kg है। लॉन्च के दौरान सैटेलाइट को सबसे पहले Geosynchronous Transfer Orbit में रखा जायेगा जिसके बाद सैटेलाइट के ऑन-बोर्ड मोटर को फायर करके geostationary orbit में भेजा जायेगा।
Update #1#ISROMissions#GSAT11#Ariane5
Countdown began at 13:14 (IST) for the launch of GSAT-11 on-board Ariane-5 VA246 from Kourou Launch Zone, French Guiana today. The launch is scheduled at 02:07 (IST) tomorrow.@PMOIndia@Arianespace pic.twitter.com/MaSmYLNurH
— ISRO (@isro) December 4, 2018
इसरो का कहना है कि GSAT-11 एडवांस कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स के बीच एक अच्छी शुरुआत के तौर पर शामिल हो सकता है जिसके ज़रिये इंडियन मेनलैंड और आईलैंड्स पर मल्टी-स्पॉट बीम एंटीना कवरेज आसानी से किया जा सकता है। इस सैटेलाइट की मिशन लाइफ 15 साल है। इसके साथ ही इसमें 32 यूज़र बीम्स (Ku band)और 8 हब बीम्स (Ka band) और 16 Gbps डाटा रेट है। आपको बता दें की इसरो के मुताबिक यह कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-11देशभर की ब्रॉडबैंड सर्विसेस को और भी बेहतर बनाने में मदद करेगी। इसके साथ ही नए जनरेशन की ऍप्लिकेशन्स के लिए भी यह कारगर साबित हो सकता है।
GSAT-11 BharatNet को सपोर्ट करेगा जिसके साथ इ-गवर्नेंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के रूप में ग्राम पंचायत भी शामिल होंगी। इसके साथ ही VSAT टर्मिनल्स और एंटरप्राइज नेटवर्क के लिए कंज़्यूमर ब्रॉडबैंड ऍप्लिकेशन्स से भी यह जुड़ेगा। आपको बता दें कि अप्रैल 2018 में ISRO के चेयरमैन K Sivan की मौजूदगी में इसी जगह से इस कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-11 की परफॉरमेंस के लिए कुछ टेस्ट्स किये थे।
आपको बता दें कि GSAT-11 को मई 2018 के बीच में लॉन्च करने की तैयारी की गयी थी लेकिन कुछ टेस्ट्स को लेकर लॉन्च को आगे के लिए बढ़ा दिया गया। कहा जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि GSAT-6A की असफलता के बाद कुछ टेस्ट के साथ GSAT-11 को डबल चेक किया जाना बाकी था। ISRO के मुताबिक GSAT-6A की असफलता के पीछे कम्युनिकेशन लॉस रहा।
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