प्रक्षेपण के लगभग 17 मिनट और 18 सेकंड के बाद 320 टन वजनी रॉकेट से एक-एक करके उपग्रह अलग होते गए और पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित हुए.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अपने अंतरिक्ष केंद्र से दूर संवेदी कार्टोसैट और 30 अन्य उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया. 44.4 मीटर ऊंचे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी40) ने 28 घंटों की उल्टी गिनती के बाद शुक्रवार सुबह 9.29 बजे उड़ान भरी थी.
प्रक्षेपण के लगभग 17 मिनट और 18 सेकंड के बाद 320 टन वजनी रॉकेट से एक-एक करके उपग्रह अलग होते गए और पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित हुए.
यह अंतरिक्ष केंद्र बंगाल की खाड़ी तट से चेन्नई के 80 किलोमीटर पूर्वोत्तर में है.
इन 31 उपग्रहों में से तीन भारत के और बाकी कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं.
भारतीय उपग्रहों में पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह इस मिशन का प्राथमिक उपग्रह है. इसके साथ ही सहयात्री उपग्रह भी हैं, जिनमें 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल है.
कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह रॉकेट से सबसे पहले अलग हुआ और पृथ्वी से 505 किलोमीटर ऊपर सूर्य की तुल्यकालिक कक्षा में प्रवेश कर गया. इसके बाद 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह और 100 किलोग्राम का माइक्रो उपग्रह अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित हुए.
कार्टोसैट-2 सीरीज का उपग्रह पांच वर्षो के लिए पृथ्वी की कक्षा के आसपास रहेगा.
माइक्रो उपग्रह पृथ्वी की कक्षा के आसपास रहने वाला भारत का 100वां उपग्रह होगा.