भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अगले माह परीक्षण के लिए तैयार अपने पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हेकिल(पीएसएलवी) की 'मजबूती' (रोबस्टनेस) बढ़ा दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.
इसरो ने यह कदम इससे पहले लॉन्च किए गए पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट की असफलता के बाद उठाया है. परीक्षण के बाद इस रॉकेट का हीट शिल्ड रॉकेट से अलग नहीं हुआ था, जिससे यह मिशन असफल हो गया था.
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक के. सीवन ने आईएएनएस को बताया, "हम अपने पिछले मिशन की असफलता के बाद दिसंबर में अपने अलगे मिशन को लेकर चिंतित नहीं हैं. पिछले रॉकेट परीक्षण की असफलता की जांच अभी भी जारी है, हमने अपने अगले रॉकेट की मजबूती बढ़ा दी है."
इस अभियान की असफलता के बाद नेविगेशन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एच को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका था. इस सेटेलाइट को आईआरएनएसएस-1ए के स्थान पर भेजा जा रहा था, जिसमें कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी.
सीवन ने कहा, "भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अगले महीने 30 छोटे सेटेलाइट के साथ अपने काटरेसेट काटरेग्राफी सेटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है."
सीवन ने कहा, "यह हमारे लिए अभी भी आश्चर्यजनक है कि हमारी योजना के मुताबिक इससे पहले का रॉकेट कैसे असफल हो गया."
असफल पीएसएलव के परीक्षण और फ्लाइट पारामीटर के बारे में पूछे जाने पर सीवन ने कहा, "ये सब समान्य था और और कोई भी बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई थी."
उन्होंने कहा कि अगस्त में असफल मिशन के पीछे डिजाइन संबंधी गलती नहीं थी.
सीवन ने कहा कि हिट शील्ड को रॉकेट से अलग नहीं होने की वजह 'प्यारो तत्व' में खराबी हो सकती है. सामन्यत: कम्यूटर से कमांड देने के बाद हिट शिल्ड को अलग हो जाना चाहिए.
सीवन के अनुसार, हिट शिल्ड के रॉकेट से अलग होने के लिए जरूरी दबाव नहीं बन पाया.
नए पीसीएलवी रॉकेट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "ईंजन तैयार हो चुका है और इस माह के अंत तक रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में तैयार होने के बाद रखा जाएगा."
उन्होंने कहा लॉन्च करने से पहले रॉकेट पर और भी टेस्ट किए जाएंगे. इस बीच रॉकेट के हिट शिल्ड के अलग नहीं की जांच की रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है.