अगली पीढ़ी की साइबर सुरक्षा की कमान भारतीय तकनीशियनों के हाथ : मैकफी सीईओ

Updated on 22-Oct-2017
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अमेरिका की कंपनी मैकफी का राजस्व भारत में बढ़कर दोगुना हो गया है. कंपनी का बेंगलुरु में अनुसंधान व विकास संबंधी सबसे बड़ी फैसिलिटी है जिसमें 1,000 से ज्यादा इंजीनियर काम करते हैं.

दुनिया भर के उद्यम जहां साइबर हमलों से बचने के लिए अगली पीढ़ी की साइबर सुरक्षा आर्किटेक्चर की तलाश में हैं, वहीं, इंडियन सिस्टम इंटिग्रेटर (एसआई) समुदाय प्रमुख कंपनियों को अत्याधुनिक सुरक्षा संरचनाएं मुहैया करवाने में मदद कर रही है. यह बातें मैकफी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस यंग ने कही. 

'एमपावर साइबर सिक्यूरिटी सम्मेलन' से इतर आईएएनएस से बातचीत में यंग ने कहा, "भारत की कई कंपनियां दुनिया भर के फर्मो को साइबर सुरक्षा समाधान मुहैया करवा रही हैं. उनके आर्किटेक्टचर मॉडल में सही क्षमता है, जिसका अन्य कंपनियां प्रयोग कर रही हैं."

उन्होंने कहा, "भारतीय एसआई समुदाय में यह क्षमता है कि वे अगली पीढ़ी की आर्किटेक्चरल दृष्टि को समझने में अन्य कंपनियों की मदद कर बड़ी भूमिका निभा रहे हैं."

अमेरिका की कंपनी मैकफी का राजस्व भारत में बढ़कर दोगुना हो गया है. कंपनी का बेंगलुरु में अनुसंधान व विकास संबंधी सबसे बड़ी फैसिलिटी है जिसमें 1,000 से ज्यादा इंजीनियर काम करते हैं. 

उन्होंने बताया कि अगले कुछ सालों में भारत मैकफी का शीर्ष बाजारों में से एक होगा. 

एपीएसी क्षेत्र में भारत मैकफी का सबसे तेजी से विकास करने वाला बाजार है. ईटी 500 के फर्मो में मैकफी ने तकरीबन 49 फीसद के साथ साझेदारी की है और इसका लक्ष्य इसे बढ़ाकर 60 फीसद करना है. साथ ही 20 फीसद ग्राहक भी बढ़ाने हैं. 

साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के निवेश को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में यंग ने आईएएनएस को बताया, "भारत की कई प्रमुख कंपनियों के पास उद्योग की अग्रणी साइबर सुरक्षा संबंधी कार्यप्रणाली है और आंकड़ों में सेंध को रोकने के लिए ये कंपनियां सर्वोत्तम उपलब्ध औजारों का इस्तेमाल कर रही हैं. इनके पास कुछ अव्वल दर्जे के पेशेवर लोग भी हैं. मुझे नहीं लगता है कि देश में साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निवेश की कोई कमी हो रही है." 

उन्होंने कहा कि दुनियाभर की कंपनियों के लिए यह उचित समय है कि वे अपने पारंपरिक क्षेत्रों से निकलकर उन क्षेत्रों में निवेश करें जिनकी जरूरत आने वाले दिनों में होगी.  

रेन्समवेयर के बारे में यंग ने कहा कि यह तीस साल से मौजूद है और इसका पहला हमला 1980 में प्रकाश में आया था. लेकिन 2013 से इसके हमले बढ़ गए हैं.

यंग ने कहा, "इसमें इजाफा होने का कारण यह है कि हैकर्स इन हमलों से धन वसूलने लगे हैं. ग्राहक देख रहे हैं कि आंकड़ों में सेंधमारी की जा रही है, जिसका इस्तेमाल लाभ उठाने में किया जा रहा है, यह मैलवेयर से परे चीज है. हैकर्स अपनी भयावह योजनाओं को निष्पादित करने के लिए विश्वसनीय औजारों का इस्तेमाल कर रहे हैं." 

उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि ऐसी युक्ति अपनाई जाए जिससे इन विरोधी ताकतों से बचाव हो और इसके लिए समस्याओं की पड़ताल करके उनमें सुधार लाना जरूरी है, जिससे आखिरकार साइबर हमले से सुरक्षा हो सके. 

दुनियाभर में मैकफी का साइबर सुरक्षा समाधान हर श्रेणी के डिवाइसों में 25 करोड़ से ज्यादा एंड प्वाइंट की सुरक्षा करती है, साथ ही यह विश्व की 2,000 बड़ी कंपनियों में तकरीबन दो तिहाई को अपनी सेवा देती है और हर दिन 20 करोड़ उपभोक्ताओं की रक्षा करती है. 

यंग ने इस मौके पर कंपनियों को अपने सिस्टम को बचाने में सक्षम बनाने के लिए नए एंड प्वाइंट व क्लाउड समाधान लॉन्च करने की घोषणा की. 

ये समाधान उन्नत विश्लेषिकी, डीप लर्निग और आर्टिफिशियिल इंटेलिजेंस (एआई) की तेजी और शुद्धता का लाभ उठाकर मशीन लर्निग से कहीं आगे बढ़कर काम करता है, जिससे सुरक्षा कार्यप्रणाली की क्षमता में इजाफा होता है. 

कंपनी ने ग्राहकों को कांप्रिहेन्सिव विजिविलिटी व रियल टाइम सिक्योरिटी ऑरकेस्ट्रेशन मुहैया करने के लिए नेटवर्किंग व सुरक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सिस्को के साथ भागीदारी की घोषणा की है.

IANS

Indo-Asian News Service

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