कौशल विकास से पूरा होगा भारत का डिजिटल सपना : आईबीएम

Updated on 09-Jan-2018
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2010 से 2030 के बीच भारत की कामकाजी आबादी बढ़कर 75 करोड़ होने की संभावना है।

डिजिटल परिवर्तन के साथ ही नई तकनीकों, जैसे- बिग डेटा, क्लाउड, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के लिए कार्यबल को तैयार करना एक कठिन कार्य बन गया है, जो भारत में सरकारों और उद्यमों की भारी मांग को पूरी कर सकता हो। 

आईबीएम के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, सीधे स्कूलों और विश्वविद्यालयों से शुरुआत करने का यही सही समय है, जिससे देश के उद्यमों और स्टार्ट-अप डेवलपरों के समुदाय का कौशल बढ़ाया जा सकता है और नए कौशल सिखाएं जा सकते हैं।  2010 से 2030 के बीच भारत की कामकाजी आबादी बढ़कर 75 करोड़ होने की संभावना है। 

आईबीएम/दक्षिण एशिया के कंट्री लीडर (डेवलपर इकोसिस्टम और स्टार्टअप्स) सीमा कुमार ने बताया, "पर्याप्त शिक्षा और प्रशिक्षण के बिना, आबादी में इतनी बड़ी बढ़ोतरी बेरोजगारी और रोजगार की कमी को ही बढ़ाएगी। दुनिया भर में और भारत में कौशल नए धन के रूप में उभरा है।"

कुमार ने कहा, "हमारा मानना है कि उद्योगों को 'ब्लू कॉलर' नौकरियों और 'व्हाइट कॉलर' नौकरियों में अब बांटा नहीं जा सकता। अब 'न्यू कॉलर' कामकाजी समुदाय का जमाना है, जो प्रौद्योगिकी को तेजी से अपना रहा है, पारिस्थिति तंत्र भागीदारों के साथ संबंधों को गहरा बना रहा है और उस कौशल को प्राप्त कर रहा है, जिसकी 'मांग' है।"

भविष्य के लिए टैलेंट पूल की सख्त जरूरत को भांपते हुए आईबीएम ने हाल में ही भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में तकनीकी कौशल को विकसित करने के लिए दूरसंचार क्षेत्र कौशल परिषद (टीएसएससी) के साध भागीदारी की घोषणा की है। 

इस समझौते के तहत दूरसंचार क्षेत्र के लिए आवश्यक और प्रासंगिक कौशल प्रदान करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के क्षेत्रों में क्षमता निर्माण के लिए एक कार्ययोजना की रूपरेखा तैयार की जाएगी। 

कुमार ने कहा, "यह भागीदारी छात्रों और युवा पेशेवरों को बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, आईओटी और मोबाइल एप्लिकेशंस जैसी उभरती हुई तकनीकों में कुशल बनने का अवसर प्रदान करेगा, जिसमें दूरसंचार क्षेत्र में बड़ी संभावना है।"

IANS

Indo-Asian News Service

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