मोमो चैलेंज जैसे खतरनाक गेम से इस तरह बचा सकते हैं बच्चों को

मोमो चैलेंज जैसे खतरनाक गेम से इस तरह बचा सकते हैं बच्चों को
HIGHLIGHTS

ब्लू व्हेल गेम के बाद अब मोमो चैलेंज के चंगुल में फंस रहे बच्चों को इस तरह बचाया जा सकता है।

काफी समय से हम मोमो चैलेंज समस्या के बारे में सुन रहे हैं जिसके कारण कई मासूम जानें जा चुकी हैं। कुछ लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या सच में मोमो चैलेंज जैसी कोई गेम है और क्या वाकई इसकी वजह से किसी की जान जा सकती है? 

सवाल हम बड़े कर रहे हैं। लेकिन ऐसी समस्यायों में फंसते तो बच्चे हैं। और कई जगह तो अच्छे भले समझदार भी फंस जाते हैं। 20 अगस्त को दार्जिलिंग के कुर्सिओंग में 18 साल के मनीश सर्की और 26  साल की अदिती गोयल ने अपनी जान ले ली। जलपाईगुड़ी, कुर्सिओंग, पश्चिम मेदिनापुर, कोलकाता और राजस्थान से मोमो चैलेंज से जुड़ी खबरें आ रही हैं। एक गेम खेलते खेलते कोई बच्चा कैसे आत्महत्या कर सकता है। इस बात को डिटेल में समझते हैं। 

जब बच्चे मोमो चैलेंज या इस तरह की कोई भी खतरनाक गेम खेलना शुरू करते हैं तो पूरे जोश में होते हैं, पूरे आत्मविश्वास से भरे होते हैं। 

लेकिन जब आखिरी टास्क यानि कि आत्महत्या तक पहुँचते हैं तब तक उनमें डर, अकेलापन, दुःख ये सब भावनाएं भर चुकी होती हैं और वो मानसिक तनाव और निराशा के बुरी तरह से शिकार हो चुके होते हैं। 
आखिर ऐसा क्या होता है इस गेम में, और इस गेम में फस चुके बच्चों को कैसे पहचाने, कैसे बचाएँ और अपने बच्चों को इस  तरह की गेम्स से कैसे दूर रखें ?

वास्तव में मोमो चैलेंज ये खेल कुछ इस तरह शुरू होता है कि 
व्हाट्सऐप पर या मैसेंजर पर बच्चों को एक मैसेज आता है और एक मैसेज के ज़रिये उन्हें एक लिंक दिया जाता है। जिसे उन्हें ओपन करना होता है। उसके बाद वो उन्हें एक एक करके टास्क देना शुरू करता है। 

उस वक़्त तो ‘हम डरपोक नहीं हैं’ ये साबित करने के लिए जोश में आकर बच्चे उसके बताये चैलेंज स्वीकार कर लेते हैं और जैसा जैसा वो कहता है वैसा वैसा वो करने लगते हैं। लेकिन धीरे धीरे वो इस जाल में फंसते चले जाते हैं। 

जिन्हें ये पता होता है कि गेम के अंत में वो आदमी उन्हें आत्महत्या करने के लिए बोलेगा, वो भी गेम खेलना शुरू कर देते हैं। क्योंकि उन्हें पूरा विश्वास होता है कि ये गेम खिलाने वाला उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि, वो उनसे बहुत दूर हैं और वो उन्हें आत्महत्या करने के लिए सिर्फ कह सकता है, मजबूर नहीं कर सकता। 

लेकिन यहाँ 2 बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहला वो आदमी जो चाहता है कि आप आत्महत्या कर लें वो आपको कुछ लिंक्स भेजता है। तो क्या उसके भेजे लिंक्स हैकिंग सॉफ्टवेयर, या एप्प नहीं हो सकते। ये सिर्फ एक अंदाज़ा है लेकिन इसके सच भी हो सकता है । और आप उस सॉफ्टवेयर, एप्प को अपनी मर्ज़ी से अपने फ़ोन में इनस्टॉल कर लेते हैं। और फिर ये एप्प आपके फ़ोन से आपकी सारी इनफार्मेशन, आपकी फोटो, वीडियो और डाक्यूमेंट्स भी चोरी कर लेता है, और यहाँ तक कि आपकी लोकेशन भी ट्रैक करने लगता है।  वैसे आपको बता दें कि हैकिंग यहां तक हो सकती है कि आपको पता चले बिना आपके फ़ोन, टैब, लैपटॉप आदि का कैमरा ऑन करके आप पर नज़र रक्खी जाये कि आप कब क्या कर रहे हैं। 

बच्चों की पर्सनल इनफार्मेशन चुराकर वो उन्हें ब्लैकमेल कर सकता है। वो शख्स बच्चों को ये अहसास दिला सकता है कि वो उन्हें जब चाहे परिवार सहित मार सकता है। इस तरह की गेम्स में उन्हें ये लगने लगता है कि अब सिर्फ उनके घर वालों को ही बचाया जा सकता है, और वो भी सिर्फ लास्ट टास्क पूरा करके यानि कि आत्महत्या करके। 

दूसरी बात, अब वो बच्चों को ये विश्वास दिलाता कैसे है? वो बच्चों से अपने आप को चोट पहुँचाने वाले टास्क करवाता है। जिससे बच्चे बड़ी तेज़ी से भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं। टास्क की क्रूरता बढ़ने लगती है और बच्चे दिमागी रूप से बीमार और कमज़ोर होने लगते हैं। लास्ट टास्क तक पहुँचते पहुँचते बच्चे दिमागी रूप से पूरी तरह बीमार हो चुके होते हैं। इसलिए आत्महत्या का कारण कोई गेम नहीं बल्कि आदमी का दिमागी रूप से बीमार, और भावनात्मक रूप से कमज़ोर, असहाय हो जाना है। उनका ये अहसास है कि अब उन्हें कोई नहीं बचा सकता। 

अपने आस पास इस गेम में फसे बच्चे को कैसे पहचानें

यदि कोई बच्चा अपने आप में ही खोया रहता है, अपने परिवार के सदस्यों या अपने दोस्तों से बहुत कम बात करने लगा है तो हो सकता है कि वो ये गेम खेल रहा हो
 
यदि बच्चा घर से भाग जाने या मरने की बात करता है तो भी ध्यान दें, कहीं बच्चा ऐसी कोई गेम तो नहीं खेल रहा

बच्चे की सोने जागने एवं खान पान की आदतों में भी अचानक परिवर्तन आ गया है तो उस पर ध्यान दें।

कहीं वो बहुत ज़्यादा परेशान तो नहीं रहता।

मोमो चैलेंज गेम के चंगुल में फंसे बच्चे को कैसे बचाएँ

यदि आपको पता चले कि आपका बच्चा मोमो चैलेंज गेम खेल रहा है तो

सबसे पहले इस तरह की गेम से दूर रहना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।

उसका इंटरनेट का प्रयोग तुरंत बंद कर दें।

लोकल पुलिस को खबर करें

उसके बाद उसके उपचार में उसका साथ दें।

इलाज के दौरान एवं उसके बाद भी बच्चे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने की कोशिश करें।

उसे ज़्यादा देर अकेला न छोड़ें और न ही उन्हें डांटे।

चाइल्ड साइकोलोजिस्ट से बात करें।

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