भारत में इंटरनेट के प्रयोगकर्ता जल्द ही अब अपने स्थानीय भाषाओँ में ईमेल एड्रेस बना सकते है. इकनोमिक टाइम्स के एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने बड़ी ईमेल एड्रेस प्रदाता कंपनियों जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और रेडिफ से पूछा कि यूज़र्स हिंदी सहित बाकि स्थानीय भाषाओ में अपने ईमेल एड्रेस का प्रयोग क्यूं नही कर सकते. इसका मुख्य उद्देश्य देश के ग्रामीण इलाकों तक इंटरनेट पहुँचाना है.
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राजीव बंसल, इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्रालय के सचिव ने इस सम्बन्ध में बात करते हुए कहा कि सरकार अगले कुछ सालों में देश की ढाई लाख ग्राम पंचायत को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना चाहती हैं. इसी के साथ उनको बेसिक इंटरनेट की सुविधा का उपयोग करना भी सिखाया जाएगा.” वह आगे बताते है कि बेसिक इंटरनेट एक्सेस के लिए ईमेल एड्रेस कि आवश्यकता है.
इसके जवाब में सभी कंपनियों ने यही बोला कि वह ऐसे किसी भी परिवर्तन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. रेडिफ की चीफ टेक्नीकल ऑफिसर वेंकी निस्थाला ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के बाकी अफसरों को हिंदी ईमेल एड्रेस के जरिये मेल भेजने से कौन रोक रहा है? इस पूरी प्रक्रिया में बस इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि सरकार इसको एक फरमान की तरह ना घोषित करे. उन्होंने कहा कि, "हम पहले से ही तैयार हैं. आखिर हमें हिंदी मेल आईडी यूज करने में समस्या ही कहां आ रही है?" रेडिफ के सीईओ अजित बालाकृष्णन ने कहा कि कंपनी आसानी से इन ईमेल एड्रेस पर काम कर सकती है लेकिन इसके लिए सरकार को इंटरनेट की कीमत को 50 रूपए से भी कम करना होगा.
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि उनके सॉफ्टवेयर का लेटेस्ट वर्ज़न इस तरह के ईमेल एड्रेस को सपोर्ट करता है, जबकि गूगल ने अपने ब्लॉग में 2014 को पोस्ट किया था कि उनके मेल मैकेनिज्म ने दो साल पहले से ही नॉन-लैटिन केरेक्टर जैसे चाइनिस या देवनागरी भाषा को पहचानना शुरू कर दिया था.
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