आज Google नारीवादी स्वंत्रता सेनानी Kamaladevi Chattopadhyay की 115वीं जयंती को अपने डूडल के माध्यम से मना रहा है। आपको बता दें कि नारियों के लिए किये गए इनके काम सराहनीय है। इसके अलावा महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों पर उनके विचार आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं।
इनका जन्म 3 अप्रैल 1903 को मंगलोर में हुआ था। इनके जन्म के कुछ समय बाद ही इन्हें एक नारिवारी स्वंत्रता सेनानी के रूप में देखा जाना शुरू हो गया था। यहाँ तक की 1947 में आज़ादी मिलने के बाद भी इन्होंने अपने काम को जरी रखा, और सांस्कृतिक परिदृश्य में भी योगदान दिया। आज का Google Doodle भी हमें ऐसा ही कुछ दिखा रहा है। देश के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों की स्थापना के पीछे कमलादेवी चट्टोपाध्याय एक प्रेरणा शक्ति थी, जिसमें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, वर्ल्ड क्राफ्ट काउंसिल और संगीत नाटक अकादमी शामिल हैं।
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वह 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुई और 1930 में अंग्रेजों ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में प्रवेश करने और 1930 में प्रतिबंधित नमक के पैकेट बेचने के लि लिए अरेस्ट की जाने वाली पहली भारतीय महिला बनी। इसके अलावा वह एक राजनैतिक कार्यालय चलाने वाली भी पहली महिला थी।
1926 में, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के संस्थापक मार्गरेट चॉइसंस से मुलाकात के बाद, कमलादेवी ने मद्रास विधानसभा की एक सीट पर चुनाव लड़ा, हालांकि, इस चुनाव में वह महज 55 वोटों से हार गई थीं। उनके संस्मरण में, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उस समय "महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं था।"
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उन्होंने लिंग समानता सुनिश्चित करने के लिए, समान नागरिक संहिता के लिए भी दबाव डाला और अक्सर बाल विवाह के विरुद्ध उनकी राय की आवाज उठाई। संयुक्त राज्य अमेरिका में उनकी यात्रा के दौरान, उन्होंने कई अमेरिकी नारीवादियों से उनकी विश्वदृष्टि का विस्तार करने के लिए दोस्ती की। हालाँकि इस महान व्यक्तित्त्व ने 29 अक्टूबर, 1988 ओ हमारा साथ छोड़ दिया था।