गूगल ने इस बात को मान लिया है कि वह हैंगआउट्स चैटिंग में एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन का उपयोग नहीं करता है, इसका साफ मतलब है कि मतलब है कि आपकी पर्सनल चैट को सरकार और न्यायालय के कहने पर टैप किया जा सकता है. ऐसा गूगल तब भी कर सकता है जब आपने ‘ऑफ द रिकार्ड’ ऑन किया हुआ हो.
गूगल ने इस जानकारी का खुलासा अपनी हाल ही में हुई रेडित AUA सेशन में किया. गूगल से यहाँ सवाल किया गया कि, “गूगल ने हैंगआउट्स में वायरटैप को लेकर अभी तक पारदर्शिता क्यों नहीं बरती है? हालाँकि अब तक गूगल का पारदर्शिता को लेकर अभी तक ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है पर हैंगआउट्स को लेकर क्यों आपने चुप्पी साध रखी है, यह बात समझ के परे है.” गूगल के कुछ प्रतिनिधियों ने इसका जवाब देते हुए कहा कि, “हैंगआउट्स परिवर्तन के मार्ग पर है, और इसके साथ ही हम अन्य सेवाओं के लिए भी इसकी तरह की नीति अपनाने वाले हैं.” गूगल ने इस बात पर भी मोहर लगा दी है कि सरकार या किसी न्यायालय के द्वारा कहे जाने पर वह हैंगआउट्स पर हुई बातों को हैक कर सकता है. इसके अलावा अगर एप्पल की बात करें तो इसके पास एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन है जिसके माध्यम से किसी भी मैसेज को किसी भी रूप में टैप नहीं किया जा सकता है.
गूगल के प्रवक्ता ने कुछ समय पहली कहा था कि वह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इसके बाद गूगल के लिए यह तकनिकी रूप से बहुत आसान हो जाता है कि वह किसी न्याय प्रति एजेंट, सरकार यह एजेंसी के कहने पर आपकी बातों को रिकॉर्ड कर सकता है. यह आपकी सुरक्षा और गोपनीयता के लिए बड़ी खतरे की बात हो सकती है.
पिछले 5 सालों में दुनियाभर की सरकारों के कहने पर गूगल ने अपनी एक पारदर्शिता रिपोर्ट से पर्दा उठाया था. हालाँकि कम्पनी ने अभी इस बात का खुलासा नहीं किया है कि इसमें से कितने हैंगआउट्स के लिए थे. तो साफ़ हो गया है कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन कम्युनिकेशन के मामले में कितना जरुरी हो गया है. इसके अलावा अगर बाद करें याहू और व्हाट्सऐप की तो उन्होंने हाल ही में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को अपने ऐप के लिए इस्तेमाल किया है. इसके साथ ही अभी भी कुछ सेवाएं ऐसी हैं जिन्हें इसे लागू करना जरुरी है.