Google काफी समय से मानता आया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI कुछ सबसे कठिन समस्याओं को सुलझाने में मदद कर सकती है. इस वजह से Google AI के क्षेत्र में काफी समय से काम कर रहा है. भारत में यह पिछले 5 सालों से लोकल ऑर्गेनाइजेशन के साथ काम कर लोगों को बेहतर सेवा देने के लिए काम कर रहा है.
अब दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने स्वास्थ्य-कृषि जैसे क्षेत्रों में नए कॉलेबेरेशन की घोषणा की है. इसका लक्ष्य अलग-अलग एप्लीकेशन के जरिए AI का इस्तेमाल करना है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण पहल में से एक डायबिटीज वाले लोगों में अंधापन रोकने पर भी फोकस है. इससे समय रहते डायबिटीज रेटिनोपैथी (diabetic retinopathy) का पता लगाना संभव हो पाएगा.
Google का डायबिटीज रेटिनोपैथी AI मॉडल पहले ही दुनिया भर में 6,00,000 से ज़्यादा स्क्रीनिंग में मदद कर चुका है. अब यह भारत में हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स को लाइसेंस देगा. इस पार्टनरशिप से अगले दस सालों में लगभग 6 मिलियन AI-सहायता प्राप्त स्क्रीनिंग संभव हो पाएगी. यह मरीजों के लिए मुफ्त होगी.
Forus Health के संस्थापक और CEO के. चंद्रशेखर ने इस साझेदारी को लेकर काफी उत्साह दिखाया. उन्होंने कहा कि Forus Health गूगल के साथ पार्टनरशिप करके खुश है. इससे उनके मॉडर्न रेटिनल कैमरे और प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करके AI-बेस्ड डायबिटीज रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग को आँखों की देखभाल में आगे लाया जा सकेगा.
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उन्होंने आगे कहा कि उन्हें विश्वास है कि वे लाखों जीवन पर प्रभाव डालेंगे. इससे जिन अंधापन को रोका जा सकेगा उनको रोक कर अपने लक्ष्य को पूरा करेंगे.
आपको बता दें कि स्वास्थ्य सेवा के अलावा Google पर्यावरणीय समस्याओं को सुलझाने के लिए भी AI का इस्तेमाल कर रहा है. इसका CircularNet कचरा प्रबंधन के बारे में जानकारी देकर मॉडल प्लास्टिक रीसाइक्लिंग को बेहतर बनाने में मदद करता है .
यह ओपन-सोर्स मॉडल प्लास्टिक सामानों को छांटने और पहचानने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करता है. इससे रीसाइक्लिंग प्रोसेस को बेहतर बनाने और लैंडफिल कचरा कम करने में मदद मिलती है. इसके अलावा गूगल अपने कृषि भूमि समझ (ALU) रिसर्च API का विस्तार कर रहा है. इससे सैटेलाइट इमेज और AI का इस्तेमाल करके इंडिविजुअल फार्म पर इनसाइट डेटा देगा. इस टूल की मदद से किसानों को प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के भी सुझाव दिए जाएंगे.
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