जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से डेवलप हो रहा है. इसकी वजह से अलग-अलग क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. कई ऐसे क्षेत्रों में भी हम इसका इस्तेमाल देख रहे हैं जहां हमें उम्मीद नहीं थी. AI का इस्तेमाल अब धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी किया जा रहा है.
ताजा घटना स्विट्ज़रलैंड के लुसर्न शहर की है. जहां पर सेंट पीटर चैपल या चर्च ने एक अनोखा प्रयोग किया है. यहां पर AI-बेस्ड कन्फ़ेशन बूथ लगायी गई है. जिसमें 3डी यीशु मसीह की बड़ी इमेज लगाई गई है. हालांकि, यह नॉर्मल डिस्प्ले नहीं है. इसमें एक AI अवतार का इस्तेमाल किया गया है जो लोगों की समस्या सुनकर उन्हें उसे दूर करने के लिए आध्यात्मिक सलाह देता है.
इस प्रयोग को ‘Deus in Machina’ यानी मशीन में ईश्वर कहा गया है. DW की रिपोर्ट के अनुसार, यह एक AI से चलने वाली बूथ है. इसमें स्क्रीन पर यीशु मसीह का एनिमेटेड चेहरा लगाया गया है. लेकिन, घुमावदार मॉनिटर होने की वजह से यह एकदम असली लगता है.
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बूथ में एंट्री से पहले लोगों से पर्सनल जानकारी शेयर न करने और सर्विस का उपयोग करने के जोखिम के बारे में चेतावनी दी जाती है. इसमें एंट्री के लिए उन्हें एक बटन दबाकर अपनी सहमति देनी होती है. इसके बाद आप यीशु के एनिमेटेड चेहरे से 100 से अधिक भाषाओं में बातचीत कर सकते हैं. कहा गया है इससे दुनियाभर के अलग-अलग धार्मिक विश्वास वाले लोगों की मदद हो सकती है.
DW की रिपोर्ट के अनुसार, AI बॉट सवालों के सीधे जवाब देने के बजाय सवाल पूछकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है. उदाहरण के लिए, DW ने पूछा, “महिलाएं पुजारी क्यों नहीं बन सकतीं?” AI यीशु ने लगभग सॉलिड जवाब देते हुए कहा कि धार्मिक ग्रंथ अलग-अलग लोगों के लिए अलग भूमिकाएं निर्धारित करते हैं. इसके बाद AI यीशु ने सवाल किया “आप अपनी ज़िंदगी में शांति और सद्भाव कैसे बढ़ा सकते हैं?”
इस सवाल के साथ एआई अवतार ने व्यक्ति को सोचने पर मजूबर कर दिया. एक व्यक्ति ने DW को बताया कि भले ही यह एक मशीन है लेकिन इसने उसे अच्छी सलाह दी. उसने आगे कहा कि ईसाई के हिसाब से उसे लगा उसकी देखभाल की जा रही है और बहुत ही शांत होकर बाहर निकला.
लुसर्न चर्च के एक धर्मशास्त्री के अनुसार, इस पहल का मकसद लोगों को AI के साथ एक जमीनी स्तर का अनुभव दिलवाना है. इस प्रोजेक्ट में Lucerne University of Applied Sciences and Arts, और धर्मशास्त्री शामिल हैं. इस AI बोट को ट्रेनिंग देने के लिए कई बाइबिल और दूसरे धर्मग्रंथ का इस्तेमाल किया गया.
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