FASTag से कैसे अलग है नया GNSS सिस्टम? अब होगी पैसों और समय दोनों की बचत, जानिए कैसे

FASTag से कैसे अलग है नया GNSS सिस्टम? अब होगी पैसों और समय दोनों की बचत, जानिए कैसे
HIGHLIGHTS

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है।

GNSS का इस्तेमाल करने पर आपकी शुरुआती 20 किलोमीटर की यात्रा टोल-फ्री होगी।

सरकार इस प्रोद्योगिकी को पहले प्रमुख हाईवे और एक्सप्रेसवे पर रोलआउट करने की योजना बना रही है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है जो आपकी लंबी यात्राओं को पूरी से चिकना और आसान बना देगा। मंगलवार, 10 सितंबर को उन्होंने 2008 के राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में बदलाव किया, और जिस तरह हम टोल भुगतान करते हैं उस तरीके को अपग्रेड करने के लिए कुछ रोमांचक तकनीकी लेकर आए।

आपने शायद पहले टोल से गुजरने के लिए FASTag का इस्तेमाल किया होगा, लेकिन अब सरकार सैटलाइट-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के साथ खेल को एक कदम ऊपर लेकर जा रही है। जी हाँ! बहुत जल्द आप ग्लोबल नेविगेशन सैटलाइट सिस्टम (GNSS) के कारण अपनी गाड़ी को धीमा किए बिना भी टोल भुगतान करने में सक्षम होंगे, जिसमें जानी-मानी GPS तकनीकी शामिल है।

GNSS सिस्टम कैसे काम करता है?

आपकी गाड़ी में लगे OBUs हाईवे पर आपकी गति को ट्रैक करेंगे और यह डेटा सैटलाइट्स को भेज देंगे, जो फिर यह कैलकुलेट करेगा कि आप कितनी दूर चले हैं। इससे आपकी यात्रा तेज और तनाव मुक्त होगी। सबकुछ सटीक है यह सुनिश्चित करने के लिए हाईवे पर कई हिस्सों पर लगे CCTV कैमरे आपकी गाड़ी की लोकेशन को वेरिफाई करेंगे।

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GNSS vs FASTag System

GNSS तकनीकी द्वारा संचालित सैटलाइट टोलिंग सड़कों और हाईवे पर वर्चुअल टोल बूथ पेश करेगी, जो GNSS-सक्षम गाड़ियों द्वारा तय की दूरी और उसकी लोकेशन को मॉनिटर करेगी। ये वर्चुअल टोल बूथ गाड़ियों की डिटेल्स को भी कैप्चर करेंगे, जिनमें गाड़ी का टाइप, रजिस्ट्रेशन नंबर और बैंक खाते की जानकारी शामिल है।

इसकी तुलना में FASTag प्रणाली के तहत गाड़ियों को ट्रैक करने और चार्ज करने के लिए फिजिकल टोल बूथ की आवश्यकता होती है, जहां GNSS-सक्षम गाड़ियां बिना किसी बाधा के बूथ-फ्री अनुभव का आनंद ले सकेंगी।

इस नई प्रणाली को टोल प्लाज़ा पर लगने वाले ट्रैफिक को कम करने के लिए बनाया गया है, जिसे हम सभी को झेलना पड़ता है, यहाँ तक कि FASTag के साथ भी।

गाड़ी चलाने वालों के लिए इसका क्या मतलब है? ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBUs) वाली गाड़ियां जो GNSS से लैस हैं, वे इस आधार पर ऑटोमैटिक टोल भुगतान करेंगी कि उन्होंने कितनी दूर की यात्रा तय की है। अब आपको टोल प्लाज़ा पर इंतज़ार या इस बात को लेकर चिंता नहीं करनी पड़ेगी कि आपके FASTag में पर्याप्त राशि है या नहीं। बल्कि GNSS OBUs वाली गाड़ियों के लिए विशेष लेन बनाने के लिए नियम 6 को अपडेट किया गया है, ताकि उन्हें रुकना न पड़े।

New GNSS toll collection system

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पहले 20km तक Zero-Toll!

अगर आप नए नियमों में शामिल ज़ीरो-टोल कॉरिडोर के बारे में सोच रहे हैं, तो आइए मैं इसके बारे में भी आपको विस्तार से बताती हूँ।

GNSS का इस्तेमाल करने पर आपकी शुरुआती 20 किलोमीटर की यात्रा टोल-फ्री होगी। उसके बाद आप जितनी दूरी तय करेंगे उसके आधार पर आपसे शुल्क लिया जाएगा। यह बार-बार हाईवे पर यात्रा करने वालों के लिए यह बेहद उपयोगी होने वाला है।

लेकिन अगर आप बिना GNSS के कार चला रहे हैं तब भी चिंता न करें। इन OBUs के बिना वाली गाड़ियां, या फिर जो भारत में रजिस्टर्ड नहीं हैं, वे पुराने तरीके से – या तो हाथ से या फिर FASTag का इस्तेमाल करके टोल भुगतान कर सकेंगे।

कहाँ से मिलेगा OBU?

सरकार इस प्रोद्योगिकी को पहले प्रमुख हाईवे और एक्सप्रेसवे पर रोलआउट करने की योजना बना रही है, तो अगर आप एक बार-बार यात्रा करने वाले व्यक्ति हैं, तो यह आपको जल्द ही देखने को मिल सकता है। और अगर आपके पास अब तक OBU नहीं है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं, यह आपको FASTags की तरह सरकारी पोर्टल्स के जरिए आसानी से मिल जाएगा।

Faiza Parveen

Faiza Parveen

फाईज़ा परवीन डिजिट हिंदी में एक कॉन्टेन्ट राइटर हैं। वह 2023 से डिजिट में काम कर रही हैं और इससे पहले वह 6 महीने डिजिट में फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं, और उनके पसंदीदा तकनीकी विषयों में स्मार्टफोन, टेलिकॉम और मोबाइल ऐप शामिल हैं। उन्हें हमारे हिंदी पाठकों को वेब पर किसी डिवाइस या सेवा का उपयोग करने का तरीका सीखने में मदद करने के लिए लेख लिखने में आनंद आता है। सोशल मीडिया की दीवानी फाईज़ा को अक्सर अपने छोटे वीडियो की लत के कारण स्क्रॉलिंग करते हुए देखा जाता है। वह थ्रिलर फ्लिक्स देखना भी काफी पसंद करती हैं। View Full Profile

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