फ्यूल इंजेक्शन वाली गाड़ियों के फायदे और नुकसान
By
Aafreen Chaudhary |
Updated on 23-Aug-2017
HIGHLIGHTS
कई ऑटोमोबाइल कंपनियाँ नई-नई टेक्नोलॉजी ले कर आ रही हैं, जिसके द्वारा अच्छे माइलेज के साथ गाड़ी की परफॉरमेंस में भी सुधर आ जाता है.
हर कुछ समय में पेट्रोल और डीज़ल की कीमत बढ़ती-घटती रहती है, ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि गाड़ी माइलेज अच्छा दे. कई ऑटोमोबाइल कंपनियाँ नई-नई टेक्नोलॉजी ले कर आ रही हैं, जिसके द्वारा अच्छे माइलेज के साथ गाड़ी की परफॉरमेंस में भी सुधर आ जाता है. हम यहाँ फ्यूल इंजेक्शन टेक्नोलॉजी की बात कर रहे हैं, कि यह सिस्टम कैसे काम करता है. Flipkart और Amazon के आज के बेहतरीन ऑफर
- मल्टी फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम फ्यूल भरते समय उसकी मात्रा को नियंत्रित करता है, इसमें हर सिलेंडर में फ्यूल की सप्लाई की लिए कई इंजेक्टर लगाए जाते हैं.
- एक होता है D-MPFi और एक होता है i-MPFi. D-MPFi हवा को लेकर ECU (इलेक्ट्रोनिक कंट्रोल यूनिट) को भेजता है, इसके बाद इंजेक्टर से जुड़ा RP सेंसर भी ECU को सिग्नल देता है. इसके बाद ECU इंजेक्टर को गैसोलीन को इंजेक्ट करने के लिए सिग्नल देता है. इस टेक्नोलॉजी को ऑटोमोबाइल की बेहतरीन टेक्नोलॉजी में शामिल किया गया है.
- इसमें हर सिलेंडर को फ्यूल बराबर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से इंजन ज़्यादा समय तक चलता है. इसके साथ ही माइलेज ज़्यादा मिलता है और प्रदुषण कम फैलता है.
- फ्यूल इंजेक्टेड बाइक की कीमत थोड़ी ज़्यादा होती है, इसलिए लोग इस तरह की बाइक जल्दी से नहीं खरीदते हैं, वहीं इसकी मेंटेनेंस भी आम इंजन वाली बाइक से ज़्यादा होती है. इसके अलावा अभी तक कोई ख़ास कमी देखने को नहीं मिली है.
- तेज़ स्पीड से गाड़ी चलने पर इंजन ज़्यादा फ्यूल खाता है, इसलिए गाड़ी की स्पीड 40-50 किलो मीटर प्रति घंटा रखनी चाहिए. टायर्स में हमेशा सही एयर प्रेशर रखें, क्योंकि अगर हवा कम होगी सड़क और टायर के बाच घर्षण पैदा होगा जिससे पेट्रोल की खपत ज़्यादा होगी.
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