फिक्सड बैटरी या स्वेपेबल बैटरी: इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर के बढ़ते हुए बाजार के लिए क्या सबसे बेहतर

Updated on 18-May-2022
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चार्ज करें या स्वैप करें : इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर उद्योग के लिए लाख टके का सवाल

फिक्सड बैटरी या बदली जा सकने वाली बैटरी : इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर के बढ़ते हुए बाजार के लिए क्या सबसे बेहतर है

भारत में टू-व्‍हीलर्स का भविष्य-उभरते हुए इलेक्ट्रिकल वाहन (ईवी) के क्षेत्र पर एक नजर

दुनिया भर में भारत टू-व्‍हीलर का सबसे बड़ा बाजार है। यह काफी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में भी तेजी आई है । इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माताओं की सोसाइटी (एसएमईवी) की हाल के रिसर्च के अनुसार 2021 में भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर की बिक्री में 132 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 

पर्यावरण के लिए उभरी चिंताओं और इंटनरल कंबंशन इंजन व्‍हीकल्स (आईसीई) में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर लोगों का रुख करना एक स्वागत योग्य कदम है। इस नए ट्रेंड से अब इलेक्ट्रिक टू व्‍हीलर का निर्माण करने वाली दिग्गज कंपनियों और सर्विस ऑपरेटरों की दिलचस्पी इसका उत्पादन बढ़ाने में देखने को मिली है। हीरो इलेक्ट्रिक और ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसी इंडस्ट्री की दिग्गज कंपनियों का इस क्षेत्र में काफी तेजी से विस्तार हो रहा है।   

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ईवी का बढ़ता बाजार

भारत ने पेरिस में हुए सीओपी21 समिट में प्रतिबद्धताएं की थी, जिसमें 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की मात्री को 35 से घटाकर 33 फीसदी करना शामिल है। पेरिस में हुए सीओपी में भारत की ओर से परंपरागत ईंधन की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव और उनकी अस्थिर कीमतों के मद्देनजर ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने का वादा किया गया है। इसके साथ ही तेज अर्थवव्यवस्था, शहरीकरण, यात्रा की बढ़ती मांग और ऊर्जा सुरक्षा से तालमेल बनाए रखते हुए ट्रांसपोर्ट के वैकल्पिक साधनों के विकास की प्रतिबद्धता जताई गई। 

भारत सरकार ने इन सभी समस्याओं के संभावित समाधान के रूप में इलेक्ट्रिकल वाहन की पहचान की है। इसके साथ ही इन इलेक्ट्रिकल वाहन के दाम काफी आकर्षक रखे गए हैं। इसमें पर्याप्त आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए आधारभूत ढांचा भी उपलब्ध करा रही है।  केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन और इस्तेमाल बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।  

केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग कार्यक्रमों से इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को प्रोत्साहन दे रही है। इनके संचालन की बेहतर व्यवस्था की गई है। इस कारण से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में तेजी आई है। केंद्र सरकार ने भारत में मिश्रित और इलेक्ट्रिक कारों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए  फेम-II योजना बनाई है। इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने की सरकार की यह प्रोत्साहन पर आधारित योजना है। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण, उत्पादन और बिक्री पर सब्सिडी दी जाती है, जिसमें टू व्‍हीलर्स भी शामिल हैं। 

बैटरी की कीमतों में भी लगातार गिरावट आ रही है। इससे लोगो का इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना और ज्यादा किफायती हो गया है। सरकारी आंकड़ों  के अनुसार जनवरी से मार्च 2022 के बीच 5,888 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रजिस्ट्रेशन कराया गया। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों को तभी प्रभावी ढंग और तेजी से अपनाया जा सकता है, जब इसकी बैटरी को चार्ज करने के लिए जगह-जगह पर समुचित व्यवस्था की जाए।  

आज बहस मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत वाली फिक्सड बैटरियों और बदली जा सकने वाली बैटरियों के बीच है कि कौन ज्यादा उपयोगी है। 

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इलेक्ट्रिक टू व्‍हीलर्स में फिक्सड बैटरियों के इस्तेमाल का वस्तुपरक नजरिया

चार्जिंग स्टेशन पर अपने इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करना सबसे सामान्य और प्रचलित तरीका है। इलेक्ट्रिक वाहन में लगाई जाने वाली फिक्सड बैटरी से ज्यादा समय तक बैटरी वाहन के अनुकूल बनी रहती है। इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करना बिजली से चलने वाले किसी भी घरेलू उपकरण को प्लग में लगाने जितना आसान है। इसके लिए कोई मानवीय प्रयास करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए घर पर भी चार्जर लगाया जा सकता है और यही अब इस बाजार की प्राथमिकता है क्योंकि वाहन प्रमुख व्यक्तिगत संपदा होती है।  

इसके अलावा यह ध्यान रखना उचित है कि स्थायी बैटरियां बदली जाने वाली बैटरियों की तुलना में पर्यावरण के अधिक अनुकूल होती हैं।

हालांकि शहरी क्षेत्रों में सुविधाजनक चार्जिंग स्टेशन बनाने का आधारभूत ढांचा प्रदान करना काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उस क्षेत्र में इसके लिए पर्याप्त निवेश और शहरों में चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए जगह की कमी है, लेकिन फिर भी इसके लिए कोशिश की जा रही है। उदाहरण के लिए हीरो इलेक्ट्रिक ने घोषणा की है कि वह 2022 के अंत तक भारत में इलेक्ट्रिकल वाहन को चार्ज करने के लिए कुल 20 हजार ईवी  चार्जिंग स्‍टेशन बनाएगा। कंपनी को इन चार्जिंग स्टेशन के अनुपात में इलेक्ट्रिक वाहन की मांग में तुलनात्मक बढ़ोतरी की उम्मीद है।

अगर चार्जिंग स्टेशन तक लोगों को आसानी से पहुंच प्रदान की जाए तो भी वह केवल एक इलेक्ट्रिकल वाहन को चार्ज कर सकता है और इसकी प्रक्रिया काफी धीमा रहती है। इससे बैटरी की सेहत पर असर पड़ता है। ईवी को रिचार्ज करने से पहले हमेशा यह आशंका रहती है कि चार्जिंग के बाद वाहन से कितनी दूरी तय की जा सकती है। हालांकि काफी निर्माता रैपिड चार्जर प्रदान करते हैं, लेकिन इसमें भी एक घंटा लगता है। 

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हालांकि, फिक्सड बैटरी की सबसे बड़ी खामी यह है कि वह तकनीकी विकास पर रोक लगाती है। यह सिर्फ अलग-इलग उभरने वाली केमिस्ट्री के संदर्भ में नहीं बल्कि बैटरी को बदलने के संदर्भ में भी कहा जा रहा है। 

स्वेपेबल बैटरियां:  क्या यह इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य हैं?

इलेक्ट्रिक टू-व्‍हीलर में बदली जा सकने वाली बैटरियों को फिक्सड बैटरियों की तुलना में ज्यादा व्यावाहरिक और प्रभावी विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 को पेश करते समय अपने बजट भाषण में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी बदलने की रणनीति और इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन में सर्वश्रेष्ठ मानकों को अपनाने की घोषणा की। व्यावासायिक क्षेत्र में कारोबारियों से से बैटरियों के लिए या सेवा के क्षेत्र में ऊर्जा के लिए एक दीर्घकालीन और रचनात्मक बिजनेस मॉडल बनाने के लिए कहा गया। 

बैटरी की अदला-बदली करने की इस अवधारणा में बैटरी लीजिंग सर्विस शामिल की गई है। इसमें इलेक्ट्रिक 2 व्‍हीलर और इलेक्ट्रिक 3 व्‍हीलर तथा वाहनों के स्वामित्व के मुद्दे को अलग रखा जाता है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करने वाले लोगों के खर्च में कमी आती है।

इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद के समय टू व्‍हीलर और बैटरी को अलग-अलग करने से शुरुआती तौर पर वाहनों की कीमत भी कम होती है और प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। अच्छी तरह से चार्ज होने के बाद बदली जा सकने वाली बैटरियां वाहन की सुरक्षा में इजाफा कर सकती है या उनकी जिंदगी बढ़ा सकती है। उपभोक्ताओं को बैटरी के खराब होने की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती। वह बैटरियां तकनीक के क्षेत्र में होने वाली आधुनिक प्रगति का लाभ उठाना भी जारी रख सकते हैं।  

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संभावित मानकों पर खरी उतरने वाली बदली जा सकने वाली बैटरियों के मामले में बैटरी की पूरी कीमत एक केंद्रीयकृत बैटरी नियंत्रण प्रणाली या क्लोज्ड लूप मैनेजमेंट से कम की जा सकती है। बैटरी की लाभदायक जिंदगी के बाद इसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा या ऊर्जा भंडारण के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। हालांकि, बैटरी बदलना अधिक व्यावाहरिक तकनीक प्रतीत होती है। इस प्रक्रिया के मानक तय करना बहुत जरूरी है, जिनमें बैटरी के निर्माण के कारक, कनेक्टर और कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल को भी शामिल किया जाना चाहिए।  

फेम-II प्रोग्राम को फिक्सड बैटरी को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया था इसलिए इसमें विस्तार की जरूरत है। इसे बैटरी बदलने की नीतियों के संदर्भ में ज्यादा लचीला बनाया जाना चाहिए।  बैटरी चार्जिंग के आईएसओ मानक का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। चूंकि हर निर्माता अलग होता है इसलिए सभी बैटरियां भी अलग-अलग होती है। बैटरी निर्माताओं से बैटरियों के विकास के समान मानकों की अपील करना मुश्किल है क्योंकि इस क्षेत्र में लगातार प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। 

क्या निकला फैसला

क्रिसिल ने 2030 तक भारत में 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के लक्ष्य की तर्ज पर एक  शोध प्रकाशित किया है। 2024 तक भारत में कुल बिकने वाले दुपहिया वाहनों की बिक्री में 12 से 17 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रिक टू व्‍हीलर्स का हो सकता है। 

भारत में टू व्‍हीलर इंडस्ट्री एक बड़े बदलाव के लिए तैयार है। इस समय इलेक्ट्रिक वाहन ईंधन की बचत करने वाले, किफायती और आर्थिक रूप से ज्यादा अनुकूल साबित हो रहे हैं। इलेक्ट्रिक टू व्‍हीलर के क्षेत्र में मौजूदा समय में कई गतिविधियां चल रही हैं। जैसे फिक्सड बैटरी की तुलना में बदली जाने वाली बैटरियों के लाभों की खूब वकालत की जा रही है। इससे केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार और इस क्षेत्र में नए-नए आविष्कार होने की राह खुली है। 

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आखिरकार, भविष्य तो इलेक्ट्रिक वाहनों का ही है।

अश्वनी कुमार

अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी में पिछले 7 सालों से काम कर रहे हैं! वर्तमान में अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी के साथ सहायक-संपादक के तौर पर काम कर रहे हैं।

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