मध्यम खंड के स्मार्टफोन निर्माताओं के लिए लंबे समय तक बाजार में टिके रहना हमेशा से मुश्किल रहा है, जहां उपभोक्ता की बदलती जरूरतों और तेजी से बदली प्रौद्योगिकी के बीच बाजार में भयंकर प्रतियोगिता होती है और खासतौर से भारत जैसे मूल्य संवेदनशील बाजार में टिके रहना और भी कठिन होता है।
चीनी औद्योगिक समूह लीईको ने गंभीर वित्तीय संकट के कारण पिछले साल अपने भारतीय कारोबार को बंद कर दिया था और अब चीन की एक द्वितीय श्रेणी की स्मार्टफोन निर्माता -जियोनी को अपने घरेलू मैदान में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर उसके भारतीय कारोबार पर भी पड़ सकता है। ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।
चीनी मीडिया ने जनवरी में जानकारी दी थी कि एक स्थानीय अदालत ने जियोनी के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी लियु ली रोंग के 41.4 फीसदी शेयरों को दो सालों के लिए जब्त कर लिया है।
हालांकि इसके पीछे की सही जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन कुछ मीडिया रपटों का कहना है कि इसका कारण 'जुए में हारने के कारण चढ़ी उधारी है।'
निक्केई एशियन रिव्यू की मध्य जनवरी की रपट में बताया गया है कि कथित तौर पर वित्तीय संकट के कारण कंपनी को अपने आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान करने में भी कठिनाई आ रही है।
जियोनी ने एक बयान में अखबार को बताया कि यह मामला अभी भी अदालती प्रक्रिया में है और कंपनी जल्द से जल्द इस मुद्दे को सुलझा लेगी।
इससे पहले, भारत में पांच सालों तक घरेलू कारोबार को चलानेवाले जियोनी इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक अरविंद वोहरा ने पिछले अगस्त में इस्तीफा दे दिया था। वोहरा अभी भी कंपनी के कार्यकारी निदेशक बने हुए हैं।
जियोनी के वैश्विक बिक्री निदेशक डेविड चांग अब भारतीय कारोबार की अगुवाई कर रहे हैं।
कंपनी को इस संबंध में उनका बयान लेने के लिए एक ईमेल भेजा गया, जिसका कोई जवाब नहीं मिला।
सूत्रों के मुताबिक, कंपनी अपने भारतीय कारोबार में कटौती कर सकती है और वृद्धि दर हासिल करने के लिए दूसरा व्यापार मॉडल अपना सकती है।