दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की सेल के लिए 100 करोड़ रुपए की सब्सिडी

दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की सेल के लिए 100 करोड़ रुपए की सब्सिडी
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दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी इलेक्ट्रिक वाहन नीति ने इस महीने लॉन्च के दो साल पूरे कर लिए हैं।

दिल्ली को भारत की ईवी राजधानी के रूप में स्थापित करने और ईवी वाहनों की खरीद में तेजी लाने के मिशन के साथ 7 अगस्त 2020 को दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति शुरू की थी।

दिल्ली सरकार का कहना है कि उन्होंने अभी तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के लिए लगभग 100 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की गई है जो भारत में किसी भी राज्य द्वारा दी जाने वाली सबसे अधिक सब्सिडी है।

दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी इलेक्ट्रिक वाहन नीति ने इस महीने लॉन्च के दो साल पूरे कर लिए हैं। दिल्ली को भारत की ईवी राजधानी के रूप में स्थापित करने और ईवी वाहनों की खरीद में तेजी लाने के मिशन के साथ 7 अगस्त 2020 को दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति शुरू की थी।

दिल्ली सरकार का कहना है कि उन्होंने अभी तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के लिए लगभग 100 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्रदान की गई है जो भारत में किसी भी राज्य द्वारा दी जाने वाली सबसे अधिक सब्सिडी है। इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग पैदा करने और उपभोक्ताओं द्वारा वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए इस ईवी नीति में विभिन्न वर्गों के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए खरीद सब्सिडी प्रदान की गई। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने सभी बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क माफ कर दिया, जिससे वे और भी किफायती हो गए।

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राज्य सरकार के मुताबिक इसके नतीजतन, दिल्ली ईवी नीति की शुरूआत के बाद से पिछले 2 वर्षों में 62,483 इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए हैं। दिल्ली में बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहनों के चलने के कारन चाजिर्ंग पॉइंट ऑपरेटर भी प्रोत्साहित हुए हैं। उन्होंने 2 हजार से अधिक चाजिर्ंग पॉइंट और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन पूरी दिल्ली में लगाए हैं।

इस नीति के बाद से दिल्ली में ई गाड़ियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। नीति के कार्यान्वयन से पहले, दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार मुख्यत ई-रिक्शा पर निर्भर था, जिसने दिल्ली में कुल ईवी बिक्री का लगभग 85 फीसदी योगदान दिया। ई-रिक्शा में लोगों की दिलचस्पी ईंधन पर कम खर्च और ज्यादा मुनाफे के कारण थी। चूंकि दिल्ली में दो तिहाई पंजीकृत नए वाहन 2 डब्ल्यू श्रेणी के हैं, इसलिए नीति का फोकस दो पहिया और वाणिज्यिक तिपहिया श्रेणी को इलेक्ट्रिक में बदलने पर था।

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि हम दिल्ली को दुनिया की ईवी कैपिटल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एक तरफ जहां इलेक्ट्रिक वाहनों से दिल्ली में प्रदूषण कम होगा, वहीं दूसरी तरफ इससे रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। ईवी नीति के अंतर्गत हम महिलाओं को काफी बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे दिल्ली की सड़कों पर महिलाओं को निजी और सार्वजनिक ई वाहनों के ड्राइवर के रूप में आप देख सकते हैं। मैं दिल्ली ईवी नीति को सफल बनाने के लिए सभी हितधारकों और दिल्ली के नागरिकों को धन्यवाद देता हूं।

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दिल्ली सरकार का कहना है कि किसी भी नीति को सफल बनाने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि सभी संबंधित स्टेकहोल्डर्स से परामर्श किया जाए और नीति तैयार करने से पहले विशेषज्ञों की राय को लागू किया जाए। दिल्ली सरकार ने नीति के प्रारूप के लिए सभी हितधारकों के विचारों और सुझावों को शामिल करना सुनिश्चित किया। निजी क्षेत्र में वाहनों के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के अलावा, दिल्ली सरकार ने अपने परिवहन बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को भी प्राथमिकता दी है।

दिल्ली के परिवहन मंत्री के मुताबिक 150 इलेक्ट्रिक बसें पहले से ही दिल्ली की सड़कों पर चल रही हैं। राज्य में 2023 के अंत तक लगभग 2000 इलेक्ट्रिक बसें दिखाई देंगी, जो देश में सबसे ज्यादा होंगी। 55 बस डिपो का विद्युतीकरण प्रगति पर है 3 पहले से ही विद्युतीकृत हैं। 17 बस डिपो जून 2023 तक और 35 बस डिपो दिसंबर 2023 तक विद्युतीकृत किए जाने हैं। इसके अलावा, नीति में महिलाओं को भी शामिल किया गया है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक ऑटो के लिए 4261 परमिट जारी किए, उनमें 33 फीसदी परमिट विशेष रूप से महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए।

IANS

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