नई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2018 में प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया विजन को शामिल किया गया है, ताकि 1.3 अरब नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाया जा सके.
ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम की यहां बुधवार को आयोजित तीसरे सालाना सैटकॉम सम्मेलन 'इंडिया सैटकॉम-2017' में दूरदराज के कठिन क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड पहुंचाने, सैटेलाइट मोबिलिटी, इनफ्लाइट कनेक्टिविटी के साथ 5जी समेत नई तकनीकों और नवाचार पर चर्चा की गई. साथ ही सैटेलाइट ब्राडबैंड और डिजिटल इंडिया पर श्वेत पत्र भी जारी किया गया. सम्मेलन में मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा ने कहा कि नई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2018 में प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया विजन को शामिल किया गया है, ताकि 1.3 अरब नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाया जा सके.
उन्होंने कहा, "नई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2018 में प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, जो देश के 1.3 अरब लोगों को सशक्त बनाएगी. इसमें सेटेलाइट कम्यूनिकेशन पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें देश के दूरदराज के क्षेत्रों तक डिजिटल कनेक्टिविटी मुहैया कराने की क्षमता है."
उन्होंने कहा, "सरकार का प्रयास है कि हर भारतीय को किफायती इंटरनेट मुहैया कराया जाए. इसमें नए और नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी और सेटेलाइट ब्रॉडबैंड पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. हम 5जी प्रौद्योगिकी को लेकर भी नीति तैयार कर रहे हैं और अगले तीन महीनों में इस पर ठोस कदम उठाएंगे."
उन्होंने कहा कि दूरसंचार सेवाओं पर वर्तमान सरकार ने जितना काम किया है, उतना पिछली सरकारों ने नहीं किया है.
'इंडिया सैटकॉम-2017' में प्रमुख सैटेलाइट ऑपरेटरों, वीसैट सेवा प्रदाताओं, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, वीसैट निर्माताओं, केबल सर्विस सेवा प्रदाताओं, यूजर संगठनों (बैंक, तेल और गैस, रक्षा, सुरक्षा बलों, डीटीएच सेवा प्रदाताओं, प्रसारकों और इससे जुड़े अन्य उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ देश-विदेश के उद्योग विशेषज्ञों ने भाग लिया.
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिए भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. रजत कठुरिया ने कहा, "मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि भारत को सेटेलाइट ब्रॉडबैंड बड़े पैमाने पर चाहिए. देश को इस प्रगतिशील तकनीक के लिए और खुला होना चाहिए और इस क्षेत्र में अभिनव और नई प्रौद्योगिकीयों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना चाहिए. चाहे यह केए बैंड को खोलना हो या हाई थ्रोपुट सैटेलाइट्स (एचटीएस) की तैनाती करना हो, या लो अर्थ ऑर्बिट/मीडियम अर्थ ऑर्बिट वाले उपग्रह स्थापित करने की अनुमति देना हो, उच्च गति की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड वर्तमान तकनीक का पूरक साबित होगी. इससे इनकी दरें भी काफी कम हो जाएगी और उपभोक्ताओं को फायदा होगा."
दूरसंचार सचिव और दूरसंचार आयोग की अध्यक्ष अरुणा सुंदराजन ने कहा, "डिजिटल बदलाव एक लक्जरी नहीं है, बल्कि आज एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. इस संदर्भ में आगामी राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2018 की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. सरकार सैटेलाइट ब्रॉडबैंड उद्योग की क्षमता के विस्तार को लेकर प्रतिबद्ध है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर जगह किफायती और सबकी पहुंच में वायरलाइन और वायरलेस ब्रॉडबैंड हो. इससे देश में डिजिटल खाई पाटने में मदद मिलेगी. हमारा यह भी मानना है कि इस क्षेत्र को खोलने से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा और उच्च विकास व उच्च तकनीक वाली इस क्षेत्र में अतिरिक्त नौकरियां पैदा होगी."