हालाँकि कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि कैश ऑन डिलीवरी को अमान्य नहीं कहा जा सकता है।
फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन जैसे ऑनलाइन रिटेलर्स द्वारा प्रदान किए गए कैश ऑन डिलीवरी भुगतान विकल्प विधि, RBI द्वारा गैरकानूनी बताई गई है। आपको बता दें कि एक RTI के जवाब में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने जवाब देते हुए यही कहा है, इस बात की जानकारी सबसे पहले इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के माध्यम से सामने आई है।
आपको बता दें कि एक RTI के जवाब में भारतीय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने कहा है कि अमेज़न इंडिया और फ्लिप्कार्ट जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ली जा रही कैश ऑन डिलीवरी पेमेंट कानूनी नहीं है। इसका मतलब है कि इसे RBI के माध्यम से गैरकानूनी ठहरा दिया गया है।
यह मामला उस समय सामने आया है जब FDI वॉच के धर्मेन्द्र कुमार ने इस मामले को लेकर एक RTI फाइल की थी, इसके जवाब में प्रतिनिधि बैंक ने कवाब देते हुए कहा है कि, “अमेज़न इंडिया और फ्लिपकार्ट जैसे एग्रीगेटर्स/भुगतान मध्यस्थों को पीएसएस (भुगतान और निपटान प्रणाली) अधिनियम, 2007 की धारा 8 के तहत अधिकृत नहीं किया गया है।
आरटीआई पूछताछ ने भारतीय रिजर्व बैंक से यह पुष्टि करने के लिए कहा कि नकदी पर वितरण भुगतान संग्रह और ई-कॉमर्स व्यापारियों या फ्लिपकार्ट और अमेज़न इंडिया जैसे मार्केटप्लेस वितरण पेमेंट्स एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट, 2007 के तहत अधिकृत हैं।
जबकि अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन भुगतान का उल्लेख करता है, यह नकद-ऑन-डिलीवरी मार्ग के माध्यम से प्राप्त धन के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं करता है। हालाँकि कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि कैश ऑन डिलीवरी को अमान्य नहीं कहा जा सकता है।