Aadhaar holders now can use virtual ID: गोपनीयता और डाटा सिक्योरिटी आधार होल्डर्स की एक बड़ी समस्या उभर कर आई है। अब इस समस्या के सुझाव के रूप में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने घोषणा की है कि ऑथेंटिकेशन एजेंसीज द्वरा वर्चुअल आइडेंटिटी (VID) को उपयोग किया जाएगा। यह ध्यान देना होगा कि कुछ महीनों पहले आधार डाटा सिक्योरिटी पर रौशनी डाली गई थी जिसके बाद अथॉरिटी ने निर्णय लिया कि आधार नंबर के बजाए प्रमाणीकरण कर्ताओं को जानकारी प्राप्त करने के लिए अन्य टोकन या ID नंबर का उपयोग करना होगा। VID समस्या का सुझाव करने के लिए स्थापित एक समान अवधारणा है। यह यूज़र्स के आधार से जुड़ा एक 16 अंकों वाला नंबर है।
अथॉरिटी ने UID टोकन और लिमिटेड KYC प्रोसेस के ज़रिए कार्ड होल्डर्स को VID मुहैया कराने के लिए लोकल और ग्लोबल एजेंसीज सेटअप की है। प्रमाणीकरण के लिए इस नई विधि को अपनाने के लिए अथॉरिटी ने API 2.5 लॉन्च किया है जिसका अब एजेंसियों द्वारा प्रमाणीकरण करने के लिए उपयोग किया जाएगा। UIDAI ने यह भी घोषित किया है कि 1 जुलाई से API वर्जन 2.5 और ई-KYC API 2.5 को अपनाने वाले टेलिकॉम और ई-साइन प्रोवाइडर यूज़र एजेंसीज को प्रत्येक लेनदेन के लिए 20 पैसे का शुल्क देना होगा।
इस कदम से टेलिकॉम कंपनियां API 2.5 को तेज़ी से अपनाएंगी और VID तेज़ी से फैलेंगी, और पिछले आधार नंबर पर आधारित वेरिफिकेशन की जगह लेगी। ऐसी उपयोगकर्ता एजेंसियों को 1 जुलाई से 31 जुलाई की अवधि के लिए लगाए गए सभी प्रमाणीकरण लेनदेन शुल्क का भुगतान करने से छूट दी जाएगी।
टेलिकॉम कंपिनयों के अलावा, बैंक्स को भी अपनी ऑथेंटिकेशन सेटअप करने के लिए API 2.5 और ई-KYC API 2.5 पर माइग्रेट करना होगा। इन संस्थाओं के लिए, समय सीमा 31 अगस्त होगी। यदि कंपनियां और प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियां नई विधियों को अपनाने में विफल रही हैं, तो UIDAI आधार अधिनियम के अनुसार AUA पर अपनी शक्ति का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा। इस नई विधि में माइग्रेट करने में देरी के परिणामस्वरूप UIDAI की एजेंसियों के लिए भारी जुर्माने के साथ लाइसेंस की कार्रवाई और स्क्रैपिंग हो सकती है।