भारत को बहुत जल्द 5G सेवाएं मिलने वाली हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आखिरकार दूरसंचार विभाग (DoT) की 5G स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दे दी है, जिसके माध्यम से बोली लगाने वालों को जनता के साथ-साथ उद्यमों को भी 5G सेवाएं प्रदान करने के लिए स्पेक्ट्रम सौंपा जाएगा।
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कैबिनेट ने दावा किया कि 5G नेटवर्क स्पीड और क्षमता प्रदान करेगा जो वर्तमान 4G सेवाओं की तुलना में लगभग 10 गुना फास्ट होगा। जुलाई के अंत तक 20 साल की वैधता के साथ 72097.85 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कुल नीलामी रखी जाएगी, इसी दौरान इस नीलामी को पूर्ण करने के लिए 5G नेटवर्क का आवंटन भी कर दिया जाने वाला है। यानि कुलमिलाकर ऐसा कहा जा सकता है कि जुलाई में इस काम को पूरा कर लिया जाने वाला है। दूरसंचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि "स्पेक्ट्रम नीलामी की घोषणा आज भारत का 5G पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का एक अभिन्न अंग है।"
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पीआईबी ने एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में विस्तार से बताया कि "नीलामी विभिन्न low (600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज), मिड (3300 मेगाहर्ट्ज) और हाई (26GHz फ़्रीक्वेंसी बैंड) में स्पेक्ट्रम नीलामी आयोजित की जाएगी।"
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कहा जाता है कि स्पेक्ट्रम नीलामी सितंबर 2021 में घोषित दूरसंचार क्षेत्र के सुधारों से लाभान्वित होगी। सुधारों में आगामी नीलामी में प्राप्त स्पेक्ट्रम पर शून्य स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) शामिल है, जो सेवा प्रदाताओं को परिचालन लागत के मामले में महत्वपूर्ण राहत प्रदान करता है।
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कैबिनेट ने यह भी कहा कि पहली बार "सफल बोलीदाताओं द्वारा अग्रिम भुगतान करने की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है।" स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान 20 समान वार्षिक किश्तों में किया जा सकता है जिसका भुगतान प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में अग्रिम रूप से किया जाना है। मोदी सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "बोली लगाने वालों को 10 साल बाद स्पेक्ट्रम सरेंडर करने का विकल्प दिया जाएगा, जिसमें शेष किश्तों के संबंध में कोई भविष्य की देनदारी नहीं होगी।"
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