यूसी क्लीनर: तो अब बढ़ जायेगी आपके फ़ोन की परफॉरमेंस
यूसी ब्राउज़र बनाने वाली कंपनी यूसीवेब ने एक नए थर्ड पार्टी ऐप यूसी क्लीनर कर निर्माण कर लिया है, इसके माध्यम से आप अपने स्मार्टफ़ोन की परफॉरमेंस को काफी हद तक बढ़ा सकता है.
यूसी ब्राउज़र का निर्माण करने वाली कंपनी यूसीवेब ने एक नए मेमोरी बूस्टर ऐप यूसी क्लीनर का निर्माण कर लिया है इसके माध्यम से आप अपने स्मार्टफ़ोन की परफॉरमेंस में इजाफ़ा कर सकते हैं. यह ऐप गूगल प्ले पर मुफ्त में उपलब्ध है और इसके लिए आपको ज्यादा स्पेस भी खर्च नहीं करना पड़ता यह महज़ 1.5MB का है. यानी इसके काम बड़े हैं और यह उतना स्पेस भी नहीं लेता है. अगर आप पिछले काफी समय से अपने फ़ोन की स्लो परफॉर्मेंस से झुंझला गए हैं तो यह ऐप आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.
इसके लांच के समय यूसी क्लीनर के प्रॉडक्शन मैनेजर जेम्स वोंग ने कहा, “आज स्मार्टफोन हर जगह, हर किसी के पास उपलब्ध हो गया है जिससे फोन का इस्तेमाल दुरुस्त रखने के लिए क्लीनर ऐप्स पर लोगों की निर्भरता काफी बढ़ गई है. हालांकि कई एंड्राइड क्लीनर ऐप्स आकार में बड़े होने की वजह से काफी जगह घेरते हैं. लेकिन यूसी क्लीनर काफी कॉम्पैक्ट है. पर इसके छोटा होने से काम पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है यह उसी प्रकार काम करता है जैसे एक बड़ा क्लीनर ऐप कर सकत है. इसके साथ हम मोबाइल परफॉरमेंस को बूस्ट करने की एक नई परिभाषा लिखेंगे.”
पिछले महीने कुछ अफवाहों से सामने आया था कि यूसी ब्राउज़र से यूजर्स की गोपनीयता और सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है. इसके साथ ही कनाडा मूल के एक रिसर्च समूह ने यूसी ब्राउज़र में सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों के लीक होने को लेकर चिंता जताई है, उन्होंने इसमें कुछ कमियाँ ढूंढी हैं जिसके द्वारा यूजर्स का कुछ गोपनीय डाटा लीक हो सकता है. इस समूह ने खोज की है कि यूसी ब्राउज़र थर्ड पार्टी को कुछ महत्त्वपूर्ण डाटा का एक्सेस दे रखा है जिसमें लोकेशन के साथ साथ डिवाइस का नंबर भी शामिल है. अलीबाबा के प्रवक्ता बॉब क्रिस्टी ने कहा कि, हालाँकि, इस परेशानी को जल्द ही फिक्स कर दिया जाएगा, और यूजर्स को इस अपडेट के बारे में बता भी दिया गया है. अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड ने यूसीवेब को जून 2014 में खरीद लिया था. सिटिज़न लैब के अनुसार, यूसी ब्राउज़र के चीनी और अंग्रेजी वर्ज़न में से कुछ महत्त्वपूर्ण डाटा लीक हो रहा है, “इसके कारण यूजर्स की गोपनीयता और उनकी सुरक्षा को बड़ा ख़तरा हो सकता है. इसकी वजह से आप कोई भी किसी के भी डिवाइस में जाकर उसकी पर्सनल जानकारी का हनन कर सकता है.” इस समूह के अनुसार चीनी वर्ज़न ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. इस खबर के बारे में ज्यादा जानें यहाँ से.