हम जानते हैं कि Google Play Store पर असली एप्स के अलावा कुछ ऐसे एप्प भी हैं जो फेक हैं
इसका मतलब है कि आपको प्ले स्टोर पर कई ऐसे एप्प भी मिल जाने वाले हैं जो नकली हैं। लेकिन इन्हें पहचानना सभी के बस की बात नहीं है
आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर आप कैसे Google Play Store पर फेक एप्प को स्पॉट कर सकते हैं
अगर हम एप्स की बात करें तो यह हमारे चारों ओर हमें नजर आ जाने वाले हैं। आपको बता देते हैं कि एप्प ने हमें इस कदन घेर रखा है कि यह हमारे स्मार्टफोंस में ही रहते हैं, और इनके बिना हमारा आधुनिक जीवन असंभव सा कहा जा सकता है। यह एप्प हमारे स्मार्टफोंस से लेकर स्मार्टवॉच, लैपटॉप और टीवी में भी मौजूद हैं। ऐसा भी कहा जा सकता है कि एप्स का एक पूरा एकोसिस्टम ही है, जो हमारे हर तरफ मौजूद है। अब या तो हम एंड्राइड डिवाइस की बात कर लें, iOS डिवाइस के बारे में चर्चा कर लें या किसी विंडोज मशीन की ओर चले जाएँ, हमें ऐसे बहुत से ऐसे फ्री एप्स मिल जाते हैं जिन्हें हम डाउनलोड कर सकते हैं। हमें हर श्रेणी में एप्प मिल जाते हैं, यह फिर चाहे शॉपिंग हो, प्रोडक्टिविटी हो, एंटरटेनमेंट हो या गेम्स आदि। अब हमें यह एप्स फ्री में तो मिल रहे हैं लेकिन इन फ्री Apps के एक हमेशा से ही एक दिक्कत रही है, और वह इनके फेक होने की है।
हालाँकि गूगल की ओर से प्ले स्टोर पर ऐसे कई सिक्यूरिटी चेक ऐड किये गए हैं, जिनके माध्यम से आप इन एप्स को पहचान सकते हैं, इसके अलावा आप इन्हें रिमूव भी कर सकते हैं। आप ऐसा कर तो जरुर सकते हैं लेकिन इसके बाद भी कई ऐसे एप्स हैं जो इसके बाद भी गूगल प्ले स्टोर तक पहुँच ही जाते हैं। हालाँकि इसके बाद जब भी गूगल के पास ऐसी कोई रिपोर्ट पहुँचती है तो गूगल की और से ऐसे एप्स को हटा दिया जाता है। लेकिन इसके बाद भी कुछ एप्स अपने आप को गूगल प्ले स्टोर पर बनाये रखने में कामयाब हो जाते हैं।
फेक एप्प करते क्या हैं, और कैसे?
जबकि इनमें से कुछ ऐप कष्टप्रद बैनर विज्ञापन प्रदर्शित करते हैं, अन्य गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। यहाँ आप ऐसे भी ऐप देख सकते हैं जिनमें मैलवेयर होते हैं जो आपकी व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकते हैं, जैसे कांटेक्ट, आपके संदेश आदि। आपकी स्तोरेग में से कुछ भी, कैमरा के अलावा अन्य जगहों तक यह अपनी पहुँच बना सकते हैं। फिर ऐसे स्कैमर हैं जो बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड की जानकारी पढ़कर लाभान्वित हो सकते हैं।
कुछ महीने पहले, ट्रेंड माइक्रो ने Google Play पर बैंकिंग मैलवेयर एप्स को देखा था, जो डिटेक्शन को छिपाने के लिए मोशन सेंसर का इस्तेमाल करते थे। इस तरह के मैलवेयर के हमलों का पता लगाने के लिए एमुलेटर चलाए जाने पर यह ट्रिक उन्हें अनिर्धारित रहने देती है। वास्तव में, 2018 में, कास्परस्की लैब ने पाया कि 4 प्रतिशत भारतीय उपयोगकर्ता बैंकिंग ट्रोजन से प्रभावित थे। ये ऐप हमलावरों को बैंक खाता संख्या, पासवर्ड तक पहुंचने और उन्हें धनराशि स्थानांतरित करने की अनुमति देगा। नकली ऐप्स को स्पॉट करने और उनसे दूर रहने के लिए कुछ ट्रिक्स हैं, आज हम आपको बताने जा रहे हैं। इन ट्रिक्स को अपनाकर आप काफी हद तक इन एप्स से अपने आप को बचा सकते हैं।
कैसे Google Play Store पर पहचानें Fake Apps?
जब आप गूगल प्ले स्टोर पर किसी एप्प के लिए सर्च करते हैं तो आपको एक से ज्यादा एप्प एक ही नाम से नजर आते हैं। इनमें सबसे बड़ा अंतर इनके नाम की स्पेलिंग में आपको नजर आने वाला है, इसके अलावा आप इसकी डिस्क्रिप्शन में भी कुछ अंतर देख सकते हैं। अब आपको यहाँ यह ध्यान रखना है कि आपको एप्प को डाउनलोड करने से पहले इसके डिस्क्रिप्शन को बारीकी से पढ़ना है।
जब आप एप्प डिस्क्रिप्शन पेज पर हैं, आपको कुछ टैग्स जैसे एडिटर्स चॉइस और टॉप डेवेलपर आदि को देखना चाहिए, क्योंकि फेक एप्स में आपको यह देखने को नहीं मिलते हैं। इसके अलावा आप पब्लिशर की वेबसाइट पर डाउनलोड से पहले जा सकते हैं।
जब आप किसी जाने मानें एप्प जैसे व्हाट्सएप्प या फेसबुक, या PUBG Mobile या किसी अन्य एप्प को डाउनलोड कर रहे हैं, उस समय आपको डाउनलोड काउंट को जरुर देख लेना चाहिए। अब अगर आप देखते हैं कि किसी एप्प का डाउनलोड काउंट 5000 या उससे कम है तो इस एप्प के फेक होने के आसार बढ़ जाते हैं।
इसके अलावा आपको एप्प के स्क्रीनशॉट आदि को भी देखनना जरुरी है। एक फेक एप्प में आपको अजीब वर्डिंग और स्ट्रेंज फोटो देखने को मिल सकती है। इसके अलावा आपको रिव्यु और रेटिंग को भी ध्यान में रखना चाहिए।
इसके अलावा आपको एप्प की पब्लिश डेट पर भी ध्यान देना चाहिए। अगर यह किसी जानी मानी कंपनी की ओर से नया एप्प है तो इसकी पब्लिश डेट भी नई होनी चाहिए। हालाँकि इसके अलावा सभी फेक एप्स की पब्लिश डेट नई ही होती है। हालाँकि असली एप्प अपनी डेट को कभी भी गलत नहीं करते हैं।
इसके अलावा सबसे जरुरी है कि आप एप्प को डाउनलोड करते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि यह आपसे किस तरह की परमिशन मांग रहा है। आमतौर पर कोई भी एप्प आपसे फ़ोन बुक, डायलर और स्टोरेज आदि की परमिशन मांगता है, लेकिन अगर यह इससे ज्यादा की मांग करता है तो यहाँ फ़िक्र की बात शुरू हो जाती है। अब आपको यहाँ यह भी ध्यान रखना हैं कि आपको किसी भी अन्य तरह की परमिशन किसी भी एप्प को नहीं देनी है।
अगर आप इन कदमों को आगे से ध्यान रखते हैं तो आप बड़ी ही आसानी से इस बारे में जान जाने वाले हैं कि आखिर एक फेक एप्प क्या है, और कैसे आप इसकी चंगुल से बच सकते हैं। इन कदमों को अपनाकर आप अपने फोन को और अपने आप इन फेक एप्स से सुरक्षित रख सकते हैं।