मस्क से Jio, Airtel और Vi की भिड़ंत, समझिए Starlink का पूरा गणित जिसको लेकर छिड़ी जंग, किसको फायदा?

मस्क से Jio, Airtel और Vi की भिड़ंत, समझिए Starlink का पूरा गणित जिसको लेकर छिड़ी जंग, किसको फायदा?
HIGHLIGHTS

अब Starlink के भारत आने का रास्ता हो गया साफ

दूर-दराज के क्षेत्रों में भी मिलेगा तेज इंटरनेट

इसको इंस्टॉल करना काफी आसान

Elon Musk और भारतीय दिग्गज कारोबारियों के बीच एक सीधी जंग चल रही है. Elon Musk की इस जंग में दूसरी साइड खड़े हैं Jio, Airtel, Vodafone-Idea (Vi). सारी बहस भारत में स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर है. हम एक-एक कर सारी बातें समझेंगे.

एलॉन मस्क भारत में अपने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस Starlink को लॉन्च करना चाह रहे हैं. इसके लिए वह भारत में स्पेक्ट्रम लेना चाहते हैं ताकि लोगों को इंटरनेट उपलब्ध करवाया जा सके. मस्क चाहते हैं स्पेक्ट्रम उन्हें प्रशासनिक आवंटन के जरिए मिल जाए. जबकि भारतीय टेलीकॉम कंपनियां इसका विरोध कर रही है.

भारतीय टेलीकॉम कंपनियों में से जियो ने इसके खिलाफ काफी मुखर आवाज उठाई है. टेलीकॉम कंपनियों का मानना है कि नीलामी के जरिए ही स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाना चाहिए. इससे बाकी के टेलीकॉम ऑपरेटर्स को भी बराबर का मौका मिलेगा. जबकि मस्क का कहना है ग्लोबल ट्रेंड को फॉलो करते हुए प्रशासनिक आवंटन के जरिए ही स्पेक्ट्रम दिया जाना चाहिए.

टेलीकॉम मंत्री ने क्या कहा

इस मामले में टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि टेलीकॉम एक्ट 2023 में ही पास हो चुका है. उसके शेड्यूल 1 के अनुसार सैटकॉम यानी सैटेलाइट कम्युनिकेशन स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक तरीके से ही आवंटन किया जाना चाहिए. हालांकि, यह फ्री में नहीं मिलेगा. इसके लिए एक कीमत तय की जाएगी जिसका निर्धारण ट्राई करेगा. यानी ट्राई जिस कीमत को तय करेगा उस कीमत पर इसका आवंटन किया जाएगा.

सारा विवाद इसी को लेकर है. एयरटेल और जियो ने इसका कड़ा विरोध किया है. एयरटेल के सुनील मित्तल ने कहा है सैटेलाइट कंपनियां को भी सर्विस देने के लिए दूसरे टेलीकॉम कंपनियों की तरह भुगतान करना चाहिए. जियो ने भी कई बार कहा है स्पेक्ट्रम नीलामी के जरिए ही देना चाहिए. इस लड़ाई में मस्क भी कूद पड़ें उन्होंने ट्विटर पर लिखा भारत के लोगों को इंटरनेट देने के लिए स्टारलिंक को कंपीट करने के लिए इजाजत देने में ज्यादा दिक्कत आनी नहीं चाहिए. अब टेलीकॉम मंत्री के संकेत के बाद साफ है कि स्टारलिंक को प्रशासनिक तरीके स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा.

अब समझिए क्या है स्टारलिंक

कल्पना करें कि आप दुनिया के किसी ऐसे कोने में रहते हैं जहां कोई भरोसेमंद इंटरनेट नहीं है. ऐसे में ना आप नेटफ्लिक्स पर मूवी पाएंगे ना ही वॉट्सऐप के जरिए अपने दोस्तों से बातचीत कर पाएंगे. स्टारलिंक इस समस्या का ही हल देता है. इसने दुनिया से जुड़ने का एक आसान और बिल्कुल सीमलेस तरीका पेश किया है.

Starlink के जरिए ना केवल आप दूर-दराज के क्षेत्र में इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं बल्कि आप आसमान में उड़ते हुए भी हाई-स्पीड इंटरनेट का लुत्फ उठा सकते हैं. इसको एलॉन मस्क की कंपनी SpaceX ने बनाया है.

लोगों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए सैटेलाइट का एक ग्रुप बनाया गया है. यह धरती के किसी भी कोने में इंटरनेट पहुंचा सकता है. परंपरागत ब्रांडबैंड में जहां केबल का इस्तेमाल किया जाता है, स्टारलिंक में केबल का झंझट ही नहीं रहता है. यह स्पेस से इंटरनेट बीम करता है. यानी जहां भी केबल वाले इंटरनेट प्रोवाइडर्स को पहुंचने में दिक्कत होती है वहां भी आसानी से स्टारलिंक इंटरनेट पहुंचा जा सकता है.

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भारत के रुख से मस्क खुश

जैसा की ऊपर हमनें बताया टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम एलॉकेशन के लिए नए तरीके पर विचार कर रही है. इससे परंपरागत नीलामी प्रोसेस के बजाय ग्लोबल पैरामीटर को अपना सकता है. इसमें नीलामी नहीं होती है. इससे स्टारलिंक जैसी कंपनियों के लिए भारत में एंट्री आसान हो जाएगी. इस अपडेट पर मस्क ने भी ट्वीट कर खुशी जाहिर की.

धरती के पास वाले सैटेलाइट का इस्तेमाल करता है स्टारलिंक

Starlink ने परंपरागत केबल बिछाने के बजाय सैटेलाइट का इस्तेमाल किया. यह धरती की निचली कक्षा में हजारों सैटेलाइट का इस्तेमाल करता है. इससे घर, ऑफिस, चल रहे वाहनों से सिग्नल को बीम किया जा सकता है. परंपरागत सैटेलाइट से भी इंटरनेट सेवा दी जा सकती है. लेकिन, वे सभी पृथ्वी से काफी दूर है. जिस वजह से इंटरनेट की स्पीड कम होती है और लेटेंसी ज्यादा. जबकि स्टारलिंक पास के सैटेलाइट का इस्तेमाल करता है. इससे कम लेटेंसी के साथ तेज इंटरनेट स्पीड भी दी जाती है. इससे कनेक्शन ज्यादा सिक्योर हो जाता है. इसका इस्तेमाल वीडियो कॉल और ऑनलाइन गेमिंग के लिए आसानी से किया जा सकता है.

यूजर्स को मिलता है खास इंस्टॉलेशन किट

Starlink को पहुंचने के लिए यूजर्स को एक खास किट की जरूरत होती है. जिसे उन्हें खरीदना होता है. इसमें एक सैटेलाइट डिश, एक Wi-Fi राउटर और दूसरे सभी जरूरी केबल्स शामिल होते हैं. डिश छोटा और पोर्टेबल होता है. इसे आपको छत या किसी खुले जगह पर लगाना होता है. इससे यह सैटेलाइट से सिग्नल लेने लगता है. फिर Wi-Fi राउटर की मदद से आपको इंटरनेट मिलने लगता है. इसका सेटअप काफी आसान है. इसके लिए कंपनी एक ऐप भी देती है. जिसका इस्तेमाल करके आप अपनी डिश को लगाने की सबसे अच्छी जगह खोज सकते हैं. सबसे खास बात इसे लगाने के लिए आपको किसी प्रोफेशनल की जरूरत नहीं होती है.

स्पीड की बात करें तो स्टारलिंक आपको 25 Mbps से 220 Mbps तक इंटरनेट स्पीड दे सकता है. हालांकि, स्पीड आपके प्लान और जगह पर भी निर्भर करेगी. इसके साथ एक बड़ा फायदा है कि यूजर्स को अनलिमिटेड डेटा दिया जाता है. हालांकि, कुछ प्लान्स के साथ कुछ GB के लिए ही हाई-स्पीड इंटरनेट मिलती है.

भारत जैसे देश में यह नई क्रांति ला सकता है. खासतौर पर छोटे गांवों और दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए. भारत में अभी भी कई जगहों पर खराब इंटरनेट की वजह से कनेक्टिविटी की दिक्कत आती है. इससे लोग ऑनलाइन एजुकेशन, वर्क फ्रॉम होम, ईमेल, सोशल मीडिया जैसे बुनियादी काम करने से चूक जाते हैं. स्टारलिंक इसमें सुधार ला सकता है.

दूर-दराज क्षेत्रों के लिए वरदान

दूर-दराज के क्षेत्रों में फाइबर केबल लगाना महंगा पड़ता है इसलिए कंपनियां वहां तक नहीं पहुंचती है. स्टारलिंक के केस में केबल लगाने का झंझट ही नहीं रहेगा. इंटरनेट सैटेलाइट की मदद से दी जाती है तो यह आसानी से पूर्वोत्तर के पहाड़ से लेकर राजस्थान के दूरदराज गांव तक पहुंच सकता है. सबसे खास बात है यूजर्स को स्पीड और डेटा लिमिटेशन की दिक्कत नहीं आएगी. यानी वे बिना किसी इंटरनेट स्पीड की दिक्कत के अनलिमिटेड डेटा का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे हाई-क्वालिटी वीडियो, ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉल जैसे काम बिना रुके हो सकेंगे.

इसको इंस्टॉल करने के लिए किसी प्रोफेशनल की जरूरत नहीं है तो यूजर्स के लिए इसकी सर्विस लेना भी आसान होगा. हालांकि, इसके प्लान्स का खुलासा भारत में लॉन्च होने के बाद ही होगा लेकिन कई देशों में इसके प्लान्स महंगे हैं. अगर भारत में भी ऐसा होता है तो यह लोगों के लिए सस्ता विकल्प नहीं रह जाएगा.

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Sudhanshu Shubham

Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile

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