सरकार ने पोर्न वेबसाइट्स पर लगाया बैन
सरकार ने 857 पोर्न वेबसाइट्स को बैन करने का आदेश दे दिया है. हालाँकि इससे क्या फर्क पडेगा और क्या नहीं यह बड़ा सवाल है, लेकिन इसे लेकर विरोध जरुर सामने आने लगा है.
कुछ रिपोर्ट से यह सामने आया है कि सरकार ने 857 पोर्न साइट्स को देश में बैन कर दिया है. पिछले कुछ दिनों से इसे लेकर लगभग सभी परेशान थे कि आखिर पोर्न वेबसाइट्स अचानक ही खुलना क्यों बंद हो गई थी. अचानक ही इस बात को लेकर पूरे सोशल मीडिया पर भी चर्चा होने लगी कि आखिर यह हुआ कैसे, आखिर अचानक से इन साइट्स ने खुलना क्यों बंद कर दिया. लेकिन सारा मामला अब सामने आया है, सरकार ने इन पोर्न साइट्स को बैन कर दिया है, अब यह सही कदम है या नहीं इसे लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है. बता दें कि जिस चीज़ क्स्को लेकर सभी परेशान थे उसे भारत सरकार के आदेश पर बंद किया गया है. सरकार ने टेलीकॉम ऑपरेटरों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को यह आदेश दिया है कि वह 857 पोर्न साइट्स को बंद बार दें. हालाँकि सरकार के इस कदम को जैसा कि हमने पहले भी कहा है, देश के नागरिकों के निजी जीवन में सेंध की तरह देखा जा रहा है, इसके साथ ही इसे उनके अधिकार के हनन माना जा रहा है. दूसरी ओर अगर इस मामले के दूसरे पहलू को देखें तो इस उद्योग को चलाने वाले लोगों का कहना है कि हम सरकार के इस आदेश को तब तक नहीं मानेंगे जब तक यह साफ नहीं किया जाता कि किन साइट्स को ब्लॉक करना है और किन्हें नहीं. इसके अलावा आपको बता दें कि बहुत सी साइट्स को बंद किया भी जा चुका है.
इस मामले को लेकर पिछले सप्ताह से अटकलें लगनी आरम्भ हो गई थी कि सरकार ने पोर्न साइट्स को बंद करने का आदेश दे दिया है. और अब आज लगातार आ रही खबरों ने इस खबर को और अधिक बल प्रदान कर दिया है. और सामने आया है कि सरकार ने वाकई 850 पोर्न साइट्स को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. अब यह कितना सही है अरु कितना गलत यह तो बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है. सोशल मीडिया पर इस खबर ने बड़ा रूप धारण कर लिया है. और सभी लोग के द्वारा अपना मत रखा जा रहा है कि लोगों इसे सही कदम बता रहे हैं और कुछ का कहना है कि ऐसा करने से उनकी स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है. कुछ धार्मिक स्थलों को भी बैन करने की बात कर रह रहे हैं जहां नग्न मूर्तियाँ आज भी मौजूद हैं.
अगर बात करें कि कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने इन साइट्स को बंद कर दिया है, तो इनमें बीएसएनएल, एमटीएनएल और वोडाफोन आदि ने कई मशहूर साइट्स को बंद कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे ज्यादा मशहूर 13 में से 11 का एक्सेस बंद कर दिया गया है. वहीँ जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि इसे लेकर देश में विरोध जाहिर किया जा रहा है. बता दें कि प्रसिद्द फिल्मकार रामगोपाल वर्मा ने भी इसका विरोध किया है. वह भी इस प्रतिबंद के खिलाफ हैं. रामगोपाल वर्मा ने तो एक ट्वीट करके इसकी आलोचना भी कर डाली है. उन्होंने कहा है कि इन वेबसाइट्स पर बैन लगाने से लैंगिक अपराधों में कमी या उनके समाधान के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. उन्होंने इतिहास का उदाहरण देते हुए यह भी कहा है कि जिस भी चीज़ पर प्रतिबन्ध लगाया गया है, वह छिपे तौर पर ज्यादा प्रभावी रूप में निकल कर सामने आयी है.
Considering the sheer popularity of Porn whichever government owns up to banning it is sure to be wiped out of existence in next election
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) August 1, 2015
Considering the sheer popularity of Porn whichever government owns up to banning it is sure to be wiped out of existence in next election
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) August 1, 2015
I frankly find this worry of children watching porn is foolish because if they are not yet sexually awakened it would mean nothing to them
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) August 1, 2015
All in all any deprivation of personal liberty of an individual by a government amounts to a regression of social progress of that country
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) August 1, 2015
History proved it multiple times that if anytime anything is banned it will just gather strength in the underground
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) August 1, 2015
वहीँ अगर इसके एक अन्य पहलू को देखें तो सूत्रों के अनुसार, यह आदेश आर्टिकल 19(2) सूचना तकनीक कानून के प्रावधानों के तहत दिया गया है, जिसके अनुसार सरकार शालीनता और नैतिकता के संरक्षण के लिए इस तरह का प्रतिबंध लगाने में सक्षम है उसके पास यह पूर्ण अधिकार है, और सरकार ने इसी को देखते हुए यह आदेश जारी किया है.” इस कदम की पूर जोर आलोचना करने वालों ने अपना तर्क रखा है कि यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नहीं दिया गया है. इसके अलावा प्रमुख न्यायाधीश एच एल दत्तु की एक बेंच ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन भी किया था. इस बेंच ने कहा कि, 'इस मुद्दे से सरकार को अपने आप ही निपटना होगा. इसके अलावा इस बेंच ने यह सवाल भी किया था कि क्या हम सभी अडल्ट वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के लिए अंतरिम आदेश ला सकते हैं? इसके साथ ही इस बेंच ने यह भी कहा था कि अगर उसने अपनी चारदीवारी के भीतर इस कंटेंट को देखकर क्या अपराध किया है. और इसके साथ ही कई सवाल यह भी खड़े हो गए हैं कि क्या बिना किसी अपराध को किये अपनी चारदीवारी के भीतर कुछ करने की स्वतंत्रता का ये हनन नहीं है?” और भी न जाने कितने ही सवाल उठ रहे हैं. कुछ कह रहे हैं कि बच्चों को अगर देखा जाए तो यह सही कदम हैम लेकिन क्या इसे सबके लिए बंद कर देना लोकतंत्र का उल्लंघन नहीं? आप इस मुद्दे को लेकर क्या सोचते हैं… हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर लिखें…