4G, वाई-फाई देश में लाएगी अगली इंटरनेट क्रांति
2G और 3G द्वारा इंटरनेट में विकास के बाद, अब हम यह आशा कर रहे हैं कि नई पीढ़ी की सेवाएं जैसे 4G और वाई-फाई हमारे देश में इंटरनेट को बढ़ावा देंगे और उसके विकास में सहायक साबित होंगी. इसे साकार करने में बहुत सी चुनौतियां तो हैं ही, लेकिन सबसे बड़ी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इंडस्ट्री में काफी सकारात्मकता हैं. मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों की वजह से टेलीकॉम विकास के लिए कई रास्ते खुल रही हैं.
हमारे देश में इंटरनेट पर निवेश, खासकर मोबाइल ब्रॉडबैंड पर बढ़ना जारी है. बहुत सी चुनौतियों जैसे (भूगोलीय, दूसरों के बीच मूल्य) के होते हुए भी सरकार (राज्य और केंद्र), सर्विस प्रोवाइडर और खासकर उपभोक्ता इसे आगे बढ़ाने में लगे हैं, और देश भर में गुणात्मक कनेक्टिविटी के लिए अपने जी जान से काम कर रहे हैं. जैसे ही हमने 2015 में कदम रखा, टेलीकम्युनिकेशन के नई पीढ़ी- 4G और वाई-फाई हॉटस्पॉट्स ने अपनी पकड़ मज़बूत करनी आरम्भ कर दी, और जैसे जैसे यह आगे बाद रही है कहा जा सकता है कि यह मुख्य धारा में आ जायेगी.
4G की अगर बात करें, तो लेटेस्ट जेनेरेशन मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाओं ने पहले ही इसके ग्रेजुअल, सकारात्मक, और खर्च को भांप लिया है. भारती एयरटेल जिन 16 शहरों को 4G ऑफर कर रहा है, उनमें बेंगलुरु के साथ कोलकाता, चंडीगढ़, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, होशियारपुर, कपूरथला, मोहाली, पंचकुला, पटियाला, फगवारा, पुणे, नासिक, नागपुर और वसई-विरार-नालासोपारा शामिल हैं. इसके साथ ही एयरटेल ने चार सर्कल्स के लिए 4G सेवाओं के लॉन्च की घोषणा कर दी है, इनमें आंध्र-प्रदेश, असम, बिहार और ओड़िशा शामिल हैं. इसके अलावा यह 4G के लिए एक इकोसिस्टम बनाने पर भी फोकस कर रहा है. हमारे पास पहले से ही 4G को सपोर्ट करने वाले कई बजट स्मार्टफ़ोन्स की बड़ी रेंज है.
आप यहाँ 4G के बारे में ज्यादा यहाँ से जान सकते हैं. और 2015 टेलीकॉम सेक्टर के लिए क्यों संकटकालीन रहा.
व्यापक विकास: छोटे शहरों को साथ लेकर चलना महत्त्वपूर्ण
यह दिलचस्प बात है कि, अब 4G और वाई-फाई केवल शब्दों तक ही सीमित नहीं रहेगा, इसके लिए हमें बढ़ते टेक में युवाओ में बढ़ती रूचि को धन्यवाद देना चाहिए. गौरतलब हैं, दिल्ली में हुए राज्य चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में फ्री वाई-फाई देने की बात अपने चुनावी घोषणा पत्र में की थी. जैसा कि लग ही रहा था, दिल्ली और ज्यादातर मेट्रो सिटीज ने फ्री वाई-फाई के कल्चर अपनाने में लगी हैं. दिल्ली के कुछ इलाकों में तो फ्री वाई-फाई दिया भी जा रहा है.
जहां फ्री वाई-फाई के यह क्षेत्र या हॉटस्पॉट्स आम लोगों के लिए सबसे अधिक उपयोगी है, साथ ही यह सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए भी उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं. टेलीकॉम कंपनियों ने अपने पारंपरिक नेटवर्क से लोड काफी कम कर लिया है ताकि वह यूजर्स तक बेहतर सेवाओं को पहुंचा सकें. हालांकि, यहाँ एक बात और महत्त्वपूर्ण है कि यह नई पीढ़ी की सेवाएं मेट्रो सिटीज से बाहर भी अपनी पहुँच बनाने की सोच रही हैं. खासकर छोटे शहरों तक (इस साल के अंत तक या आने वाले साल में).
Inaugration of Wi-Fi services in Varanasi
भारत में Ozone सबसे पुरानी पब्लिक वाई-फाई देने वाली सर्विस प्रोवाइडर है. Ozone नेटवर्क्स के फाउंडर और सीईओ संजीव बॉबी सरीन से पब्लिक वाई-फाई सर्विस से जुड़े एक मुद्दे को लेकर इंटरैक्ट करने का अवसर मिला. इन सेवाओं में इजाफे की बात को बताते हुए इन्होंने कहा, “मैं इस बात पर बहुत अधिक विशवास करता हूँ कि अगर भारत को अपने आप को एक ब्रॉडबैंड राष्ट्र के तौर पर देखना है और इंटरनेट पर सबसे कम निवेश की धारणा को ख़त्म करना है तो वाई-फाई इसके लिए सबसे बड़ा हथियार हो सकता है. 1.27 बिलियन की जनसंख्या में केवल 6 फीसदी ही इंटरनेट से जुड़े हैं. आज भी हमारी बहुत बड़ी जनसंख्या ऐसी है जिनके लिए इसका कोई मतलब नहीं है और न ही वह इसे अफोर्ड कर सकते हैं.”
खासतौर पर उन शहरों में यह क्रांति ला सकता है जहा लोग आज भी इससे अनभिज्ञ हैं. यह उतना मुश्किल नहीं है जितना पारंपरिक टेलीकॉम ढांचे का निर्माण करना है. जितना आप के मोबाइल ऑपरेटर्स खर्च कर रहे हैं उससे काफी कम खर्च होगा इसके लिए और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह परफॉरमेंस और कांसुमेर के खर्च के लिए एफ़िसिएन्ट है.
शालीन शाह, को-जीएम-इंडिया ऑपरेशन्स UT स्टारकॉम कहते हैं कि, “वाई-फाई हॉटस्पॉट्स आने वाले समय में मेनस्ट्रीम में होंगे. इस तकनीक पर काफी समय से काम किया जा रहा है और अब वक़्त है इसे कमर्शियल कर देने का. बाकी की दुनिया इस तरह की तकनीक को लेकर काफी आगे है. वाई-फाई दोनों ही मेट्रो और छोटे शहरों के लोगों के लिए काफी उपयोगी है. रिमोट एरियाज में जरुरी नहीं है कि हर घर में अपना अलग कनेक्शन हो इसलिए वाई-फाई की उपयोगिता और बढ़ जाती है.”
डिजिटल इंडिया ने हमारी आशाओं को फिर से ताज़ा कर दिया
डिजिटल इंडिया पहल से हमें यह आशा मिलती है कि टेलीकम्युनिकेशन सेवाओं की सेवाएं इस पहल के बाद से मेट्रो शहरों तक ही सिमित नहीं रहेगी, यह दूरदराज एक क्षेत्रों तक भी अपनी पहुँच बना सकेगी. इस तरह की महत्त्वपूर्ण पहा देश के तकनीकी विकास के लिए अहम् योगदान अदा करती हैं. हालांकि, इसके इम्प्लीमेंटेशन और ढांचे को लेकर कई बड़ी चुनौतियां भी हमारे सामने खड़ी हैं. जिनसे हमें पार पाना है.
भारत जैसे देश में “स्मार्ट सिटी” जैसी पहल के एक महत्त्वपूर्ण मॉडल के रूप में काम कर सकती है, पर इसके लिए हमें अपने द्रष्टिकोण में व्यापक परिवर्तन करने की जरुरत है. हम देख रहे हैं कि हमारे देश में काफी सालों से टेलीकॉम ऑपरेटर्स सिखने की बड़ी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं साथ ही उन्होंने टेलीकॉम ढांचे में सुधार और उसे खड़ा करने के लिए काफी बड़ा निवेश भी किया है.
शालीन शाह, को-जीएम-इंडिया ऑपरेशन्स UT स्टारकॉम का कहना है, “डिजिटल इंडिया भारत के लिए आगे बढ़ने का सही रास्ता है और वास्तव में यह भारतीय लोगों की जबरदस्त प्रतिभा की क्षमता को बढ़ाने और सबके सामने रखने का सही मौका है. इसके द्वारा हम अपनी प्रतिभा लोगों को दिखा सकते हैं. आज दुनिया जानकारियों को सबसे पहले अपना बनाने में काफी आगे बढ़ गया है और भारत को भी यह आज़ादी है कि वह ऐसा करे. डिजिटल इंडिया के माध्यम से पूरी इंडस्ट्री में एक क्रांति आ गई है. और एक बात जिसके लिए हम सब बड़े उत्साहित हैं वह निश्चित रूप से शिक्षा है.
ग्लोबल स्टेज से प्रतिस्पर्धा करने के लिए “मेक इन इंडिया” भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है. पहले कुछ समय के लिए सही ढांचे और सहायता की जरुरत है परन्तु उसके बाद भारत विनिर्माण के नजरिये से अपने आप पनप सकता है. खासतौर पर इस काम के लिए हालांकि, सरकार को इन अवरोधों को दूर करने में सक्रीय होने की जरुरत है. भारत अभी भी व्यापार करने के लिए एक बहुत ही मुश्किल जगह है पर अब यह बदल गया है.
निष्कर्ष
टेलीकॉम ऑपरेटर्स टेलीकॉम सेवाओं की नेक्स्ट जेनेरेशन पर खुल कर निवेश कर रहे हैं, हालांकि मौजूदा नेटवर्क्स जैसे 2G और 3G कुछ समय के लिये एक होने वाले हैं. ग्राहक के द्रष्टिकोण से अगर देखें तो, उन्हें उन उपकरणों/उत्पादों में निवेश करना चाहिए जो नए रेडियो के साथ और उसके मुताबिक़ हों. उद्यमी के नजरिये से, इंटरनेट के अवसरों का एक बहुत बड़ा मंच बन गया है. जल्द ही ये कम्पनियां (सेक्टरों में) बेटर और फास्टर तकनीकी की तरफ जाने लगेंगी, और साथ यह इसके द्वारा पैसा भी इकट्ठा करने लगेंगी.
क्या आपको लगता है कि हम 4G, वाई-फाई और इसके जैसी सेवाओं के प्रति ज्यादा ही आशावादी हो गए हैं? क्या आप इसे लेकर अन्य चुनौतियों की उम्मीद कर रहे हैं? हमसे अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर साझा करें.