धरती चपटी है या गोल? इसको लेकर कुछ लोगों का मानना है कि धरती चपटी है. हालांकि, वैज्ञानिक साबित कर चुके हैं कि धरती गोल है. हालांकि, कुछ लोग इसके बावजूद वैज्ञानिकों पर सवाल खड़े करते हैं. लोगों का एक ग्रुप अपनी फ्लैट धरती थ्योरी को लगातार लोगों के सामने लाकर इन सबूतों को नाकरता रहता है. फ्लैट धरती थ्योरी को साबित करने के लिए एक YouTuber ने एक्सपेरिमेंट करने की सोची.
इसके लिए उसने लाखों रुपये खर्च कर दिए. लेकिन, आखिर में जो रिजल्ट आया वह हैरान कर देने वाला था. YouTuber जेरान कैंपनेला ने यह साबित करने के लिए 31.4 लाख रुपये खर्च किए कि पृथ्वी चपटी है. वह फ्लैट अर्थ थ्योरी में सकीन रखते थे. उन्होंने इसको साबित करने के लिए अंटार्कटिका की एक कठिन और महंगी यात्रा शुरू की.
इसके लिए उन्होंने लगभग $37,000 (31.4 लाख रुपये) खर्च कर दिए. उनका मानना था कि अंटार्कटिका दुनिया के किनारे पर बस एक “बर्फ की दीवार” थी. हालांकि, सबसे दक्षिणी महाद्वीप में अपने अनुभव के बाद कैंपनेला का विश्वदृष्टिकोण पूरी तरह से बदल गया. उनको अपने फ्लैट अर्थ थ्योरी को छोड़ना पड़ा.
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यह एक्सपेडिशन कोलोराडो के पादरी विल डफ़ी द्वारा कल्पित एक ब्रॉडर पहल, द फाइनल एक्सपेरिमेंट का हिस्सा था. मिशन का उद्देश्य फ्लैट अर्थ बहस को हमेशा के लिए खत्म करना था. उन्होंने फ्लैट अर्थ समर्थकों और पारंपरिक गोलाकार पृथ्वी सिद्धांत का समर्थन करने वालों को अंटार्कटिका की यात्रा करने को कहा. इसके अलावा उन्होंने पृथ्वी के फिजिकल क्वालिटी की सच्चाई को महसूस करने की चुनौती दी. उन्होंने इसके जरिए इस विवाद को खत्म करने बात कही.
अपनी यात्रा से पहले कैंपनेला फ़्लैट अर्थ मॉडल के जोरदार समर्थक थे. जिसका मानना था कि पृथ्वी वास्तव में गोलाकार नहीं बल्कि चपटी है और अंटार्कटिका दुनिया भर में एक सीमा है. उन्होंने दलील दी थी कि अंटार्कटिका में, सूर्य दुनिया के दूसरे हिस्सों की तरह नहीं उगता या अस्त नहीं होता है। इसके बजाय, उन्होंने सजेस्ट किया कि सूर्य या तो एक ही पोजिशन में रहता है या एक पूरी तरह से अलग पैटर्न का पालन करता है—जो फ्लैट अर्थ मॉडल के अनुरूप है.
हालांकि, जब वे अंटार्कटिका पहुँचते हैं, तो कैंपनेला का पूरा विजन ही टूट जाता है. जिस समय वे पहुँचते हैं, उस समय दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी आती है. इस वजह से कैंपनेला ने प्रकृति की असाधारण घटनाओं में से एक-मिडनाइट सन का अनुभव किया. यह घटना उच्च अक्षांशों, ध्रुवों के नजदीक दिखाई देती है.
इस प्रकार सूर्य रात में गायब होने के विपरीत दिन में 24 घंटे दिखाई देगा. कैंपनेला ने पहले कभी ऐसा नहीं सोचा था. यह उनकी पिछली समझ के बिलकुल विपरीत था कि सूर्य को एक चपटी पृथ्वी पर कैसे व्यवहार करना चाहिए. 24 घंटे की डेलाइट सबसे ज़्यादा ज्ञात घटनाओं में से एक है जो केवल एक गोलाकार पृथ्वी पर ही दिखाई देती है.
पृथ्वी का घूर्णन अक्ष ध्रुवीय क्षेत्रों के कुछ हिस्सों को गर्मियों में कई हफ्तों तक सूर्य की रोशनी में छोड़ देता है. इस घटना को देखना कैंपनेला के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. जिससे उन्हें अपनी मानसिकता बदलने और पृथ्वी के चपटे होने के बारे में अपने सभी ज्ञान को खारिज करने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने वीडियो में इस बात को स्वीकार किया वे गलत थे. यानी फ्लैट अर्थ या चपटी धरती की थ्योरी एक बार फिर से पूरी तरह से खारिज हो गई. उन्होंने इस थ्योरी को सपोर्ट करने वाले समर्थकों को भी अपनी राय बदलने के लिए कहा.
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