सयानोजेन के सीर्इओ कर्ट मैक्मास्टर के पास गूगल से एंड्रॉयड को टेक ओवर करने की योजना है ताकि ओर्इएम और थर्ड पार्टी डेवलपर्स अपनी सर्विसेस को बेहतर ढंग से इंटिग्रेट कर सकें। सयानोजेन के पास अगले 3 से 5 साल में यह करने की योजना है।
सेन फ्रांसिस्को में हुए एक कार्यक्रम में मैक्मास्टर ने स्वयं का परिचय इस प्रकार दिया ‘‘मैं सयानोजेन का सीर्इओ हूं। हम एंड्रॉयड को गूगल से अलग ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।’’ उन्होंने आगे कहा ‘‘हम एंड्रॉयड का एक ऐसा वर्शन बना रहे हैं जो अधिक ओपेन है, इसलिए हम अधिक से अधिक पार्टनर्स के साथ इंटीग्रेट कर सकते हैं ताकि उनकी सर्विसेस को एक सर्विस के रूप में रखा जा सके, स्टार्टअप (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) काम कर सके या तब दूसरी समस्यायें पैदा न हो सके जब आप एक छोटा सा एप्लीकेशन लॉन्च करें जिसे गूगल या एप्पल के द्वारा अनिवार्य रूप से अधिगृहीत किया जाता है। ये कंपनियां नॉन-गूगल एंड्रॉयड पर फल-फूल सकती हैं।’’
सयानोजेन गूगल से एंड्रॉयड को इसलिए अलग ले जाना चाहती है क्योंकि सयानोजेन चाहती है कि एंड्रायड प्लेटफॉर्म के कोर के प्रति पूरी तरह से ओपेन हो ताकि अधिक से अधिक थर्ड पार्टी डेवलपर्स प्लेटफॉर्म के लिए ज्यादा इंटिग्रेट एप्लीकेशन्स और सर्विसेस का निर्माण कर सकें।
कर्ट की कल्पना है कि आने वाले समय में, एंड्रॉयड के विकास में कार्यरत डेवलपर्स को कोर ऑपरेटिंग सिस्टम एलीमेंट्स को विकसित करने और उसे डेलीवर करने के लिए अब गूगल पर आश्रित नहीं होना होगा। ये डेवलपर्स बस अपने फीचर्स और डिजाइन्स को सयानोजेन रनिंग गेम के द्वारा अपने आप डेवलप कर सकते हैं।
मैक्मास्टर ने योजना का खुलासा किया है कि सयानोजेन खुद अपना एप्प स्टोर और नेटिव एप्प इकोसिस्टम बना रही है। सयानोजेन द्वारा निर्मित नया एप्प स्टोर अगले 18 महीनों में उपलब्ध हो जायेगा।
सयानोजेन, एंड्रॉयड के लिए सबसे बड़ा आरओएम निर्माताओं में से एक, हाल ही में वन प्लस वन अपनी मदद हटाने के लिए भारत में माइक्रोमैक्स के साथ हुए खास समझौते के कारण सुर्खियों में रहा। इसके कारण सयानोजेन को न केवल भारतीय वन प्लस वन कस्टमर्स से बल्कि अंतर्राष्ट्रीय प्रेस से भी ढेर सारी आलोचना मिली।
इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम और सयानोजेन के सीर्इओ कर्ट मैक्मास्टर द्वारा किये गये खुलासे बहुत ही विरोधाभासी हैं। एक तरफ सयानोजेन ने कम्युनिटी के पसंदीदा वन प्लस वन से अपना समर्थन इसलिए समाप्त कर लिया है कि उन्होंने माइक्रोमैक्स के साथ एक खास समझौते पर हस्ताक्षर किया था और दूसरी ओर जब वे गूगल से अलग हो जायें तब वे थर्ड पार्टी डेवलपर्स को बेहतर एप्प बनाने के लिए मदद करना चाहते हैं।
यह कहना कोई बड़ी बात नहीं होगी कि आगामी कुछ पांच सालों में सयानोजेन गूगल से अलग रास्ता अख्तियार कर सकता है और एंड्रॉयड डेवलपमेंट को एक अधिक कांटेदार और डेवलपर ओरिएंटेड लेवल तक ले जा सकता है। एंड्रॉयड का डेवपलपर समुदाय इस तथ्य को लेकर चिंतित है कि सयानोजेन एक वेंचर फंडेड कंपनी है अत: यह सामुदायिक परियोजना अपने मूल चरित्र से अलग हो सकती है। साथ ही, विभिन्न फोरम के अनुसार, डेवलपर्स को यह चिंता है कि सयानोजेन की दीर्घकालीन योजना ओर्इएम्स को अपना कांटेदार एंड्रॉयड वर्शन का सॉफ्टवेयर लाइसेंस बेचना पड़ सकता है।
हालांकि गूगल ने अभी तक इस विषय पर टिप्पणी नहीं की है लेकिन अतीत की घटनाओं को देखते हुए, जब सयानोजेन खुद का एक नया एप्प स्टोर लाने की कोशिश करेगी तब गूगल सयानोजेन से किनारा कर लेगा।
सयानोजेन और उसके एंड्रॉयड वर्शन का भविष्य चाहे जो भी हो, हमारा मानना है कि वन प्लस वन की असफलता के बाद, इसे समुदाय का भरोसा फिर से हासिल करने की जरूरत है।