जल्द ही भारत में सभी फोंस में मिलेगा हिंदी भाषा का सपोर्ट
भारत सरकार की योजना है कि वह हिंदी के साथ ही 22 अन्य भारतीय भाषाओँ के सपोर्ट को भी सभी फोंस में अनिवार्य करने वाली है. सरकार ऐसा डिजिटल इंडिया मिशन को कामियाब बनाने के लिए भी करना चाह रही है. अगर ऐसा होता है तो इसे हिंदी भाषा की तरक्की माना जा सकता है.
हम ये सब तो जानते ही हैं कि हमारा देश भारत तरक्की कर रहा है, लेकिन क्या हमारे देश में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा ‘हिंदी’ भी तरक्की कर रही है? अब आप सोच रहे होंगे कि एक भाषा कैसे तरक्की कर सकती है… किसी भाषा की तरक्की को मापने का क्या पैमाना हो सकता है, लेकिन हम यहाँ आपको बता दें कि, आज के दौर में हम लोगों के जीवन में टेक्नोलॉजी (तकनीकी) एक बहुत ही जरुरी वस्तु के रूप में उभर रही है. हमारे चारों ओर टेक्नोलॉजी और मशीने विधमान हैं. हम न तो घर और न ही दफ्तर में बिना टेक्नोलॉजी के रह सकते हैं. वैसे तो सभी टेक्नोलॉजी का हम सब रोज़ इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इनमें से भी कुछ टेक्नोलॉजी हैं जिनका इस्तेमाल हम हर समय करते रहते हैं, और बिना इस टेक्नोलॉजी के हमारा काम हो ही नहीं सकता है. मोबाइल टेक्नोलॉजी वही एक टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल हम रोज़ और हर समय करते हैं.
ये तो बात हो गई आज के दौर में टेक्नोलॉजी की आवश्कता की, लेकिन चलिए अब अपने विषय पर वापस आते हैं और वो है हिंदी भाषा की तरक्की. तो हम ऊपर बात कर रहे थे कि आखिर कैसे किसी भाषा की तरक्की को मापा जाए. भूतकाल में भाषा की तरक्की को इस बात से मापा जाता था कि आखिर वह भाषा कितनी लोकप्रिय है. उसे कितने ज्यादा लोग रोजाना बोल-चल के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आज के दौर में हिंदी अपनी लोकप्रियता खोती जा रही है, और इसके पीछे एक बहुत बड़ा हाथ टेक्नोलॉजी और गैजेट्स का है, और इसमें भी सबसे बड़ा हाथ कंप्यूटर और मोबाइल टेक्नोलॉजी का है, वो ऐसे कि कंप्यूटर और मोबाइल को इस्तेमाल करने के लिए इंग्लिश भाषा का ज्ञान होना जरुरी है. अगर इंग्लिश भाषा का ज्ञान नहीं होगा तो आप कैसे कंप्यूटर और मोबाइल के निर्देशों को पढ़ और समझ कर इसे चला पाएंगे. हालाँकि कई लोग बिना इंग्लिश भाषा के ज्ञान के भी मोबाइल और कंप्यूटर चला लेते हैं (और आज ये संख्या बहुत बड़ी है) लेकिन ऐसा वो तभी कर पाते हैं जब उनको कोई काफी मदद करे और ऐसा करने वाले काफी कम लोग ही होते हैं.
अभी तक तो मोबाइल को इस्तेमाल करने के लिए इंग्लिश भाषा का ज्ञान होना जरूरी था, हालाँकि बाज़ार में कुछ ऐसे भी स्मार्टफोंस और फीचर फोंस मौजूद है जिनमें हिंदी भाषा के अलावा कुछ और क्षेत्रीये भाषाओँ का भी सपोर्ट मौजूद है. लेकिन ऐसा सभी फ़ोन में नहीं है, ऐसा सिर्फ कुछ ही मोबाइल फोंस और कुछ ही कंपनियों के मोबाइल फोंस में मिलता है. लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा. दरअसल "भारत सरकार की योजना है कि भविष्य में सभी मोबाइल फोंस में हिंदी (और सभी क्षेत्रीय भाषाओं) भाषा का सपोर्ट मौजूद होगा". सरकार फ़िलहाल अपनी इस योजना पर विचार कर रही है. भारत सरकार की योजना है कि वह हिंदी के साथ ही 22 अन्य भारतीय भाषाओँ के सपोर्ट को भी सभी फोंस में अनिवार्य करने वाली है. सरकार ऐसा "डिजिटल इंडिया मिशन" को कामयाब बनाने के लिए भी करना चाह रही है. अगर ऐसा होता है तो इसे हिंदी भाषा की तरक्की माना जा सकता है.
भले ही कुछ कंपनियों और लोगों को सरकार की यह योजना थोड़ी अटपटी लग सकती है. उन्हें ऐसा भी लगेगा की इस योजना या नियम को लगाने की कोई जरुरत नहीं है. कुछ लोग इस नियम को सरकार की बाकि कमियों और खामियों से भी जोड़ कर देखेंगे, वो कहेंगे कि इससे कुछ नहीं होगा, कोई बदलाव नहीं आएगा, कुछ कहेंगे कि सरकार कुछ और नहीं कर पा रही है तो ऐसे फालतू के नियम बना रही है, कुछ लोग तो इस योजना को “असहिष्णुता” के मुद्दे से भी जोड़ कर देख सकते हैं, कुछ कहेंगे सरकार टेक्नोलॉजी को भी हिंदुत्व से जोड़ने का प्रयाश कर रही है, लेकिन जरा सोचिये उन लोगों के बारे में जिनको इंग्लिश का ज्ञान नहीं है, वो लोग जो मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना चाहते हैं और वो जो सोशल नेटवर्किंग के इस दौर में इसका हिस्सा बनना चाहते हैं. क्या उन लोगों का हक नहीं है मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का?
दरअसल इस मुद्दे को हमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी जोड़ कर देखना चाहिए. हाल ही में वह ब्रिटिश पार्लियामेंट को संबोधित करने वाले पहले भारतीय भी बने हैं. उन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट में हिंदी भाषा में ही अपना भाषण दिया था. कुल मिलाकर कहें तो सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया योजना के लिए काफी अच्छा हो सकता है और इसके माध्यम से वो लोग भी मोबाइल टेक्नोलॉजी से जुड सकते हैं तो अभी तक इंग्लिश भाषा का ज्ञान न होने की वजह से इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे, वो भी अब मोबाइल का इस्तेमाल कर पाएंगे.